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हिंदुस्तान में जब क्रिकेट की खुमारी चढ़ती है तो बड़े-बड़े त्योहारों और उत्सवों का रंग फीका पड़ जाता है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, चाय के ठियों से लेकर चौराहों तक… सिर्फ क्रिकेट ही क्रिकेट होता है। खाने में क्रिकेट, गाने में क्रिकेट और बजाने में भी क्रिकेट ही खेला जाता है। भारतीय महिला क्रिकेट टीम के विश्वकप 2017 के फाइनल में पहुंचने के बाद फिर से क्रिकेट का माहौल बन चुका है, इसकी खुमारी सब्जियों पर भी देखने को मिली, आईए देखते हैं सब्जी के बाजार से क्रिकेट का स्कोर कार्ड।
ओपनर आलू-प्याज को सस्ते में निपटाने के बाद आंटी के झोले में उत्साह था, रणनीति के मुताबिक सब्जी मंडी की लिसलिसी क्रीज पर टमाटर और हरी सब्जियों को भी सस्ते में निपटाकर अपने ही पुराने रिकार्ड को ध्वस्त किया जाएगा, इधर क्रीज पर मौजूद टमाटर और शिमला भी लगातार अपनी बढ़ते के प्रयास में लगे हुए थे। शुरुआती कसी हुई गेंदबाजी और शानदार फिल्डिंग के बाद टमाटर और शिमला अब क्रीज पर जम चुके हैं।
दाएं हाथ से माथे पर टपकते पसीने को अपने पल्लू से पोछते हुए उपभोक्ता आंटी… गेंदबाजी के लिए तैयार… आंटी ने नई दुकान की ओर रुख किया, और तेजी से सब्जी वाले से पूछा- भईया टमाटर कैसे दिए, फटी आवाज में रेहड़ी वाले ने लगाई आवाज… लाल-लाल टमाटर सिर्फ 120 रुपये में…
ओेवर की पहली ही गेंद में निराश आंटी ने शतकवीर टमाटर को झुंझलाहट भरी निगाहों से घूरा और बुदबुदाते हुए अगली दुकान की ओर रुख किया। टमाटर की लालिमा का बदला आंटी, हरी-हरी शिमला मिर्चों से लेना चाहती है नए प्रयास के साथ आंटी ने शिमला मिर्च को अप्रोच किया, लेकिन ये क्या शिमला मिर्च ने आगे बढ़कर बात को बाउंड्री लाइन से बाहर कर दिया और स्कोर बोर्ड पर अपने नाम के आगे 80 रुपये लिख डाला।
लगातार 2 प्रयासों के बाद आंटी का मनोबल काफी नीचे है, टमाटर और शिमला के बुलंद हौसले को देखते हुए उपभोक्ता आंटी ने फिल्डिंग में बड़ा बदलाव किया। टमाटर चाट और चाउमीन का प्लान कैंसल करते हुए धनिया की चटनी के साथ आलू के पराठों को डिनर और लंच की जगह पर रिप्लेस किया।
आंटी एक बार फिर, तेजी से धनिया की ओर लपकी, लेकिन दस रुपये के नोट के बदले सिर्फ धनिया की खूशबू से उनका मूड ऑफ हो गया… दोबारा प्रयास किया तो एक बार फिर मिस फिल्डिंग का शिकार हुईं और धनिया अपने मंहगे स्कोर कार्ड को दिखा कर इतराती हुई दिखाई दी।
अब आंटी बिल्कुल निराश, मैदान छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं, टमाटर और शिमला मिर्च के इस परफॉर्मेंस को देखने के बाद उन्हें अंदाजा हो चुका था कि भिंडी और परवल भी तेजी से रन बटोर सकते हैं। लिहाजा पैर में मोच का बहाना लेकर आंटी ने मैदान से बाहर जाने का फैसला किया। हिस्से में आए आलू और प्याज के साथ, फिसड्डी लौकी और टिंडे देखकर आंटी खासी निराश… आंटी ने ऑटो न लेकर पैदल ही घर जाने का फैसला किया।