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मूंछ नहीं तो कुछ नहीं... मूंछ है तो पूछ है... मूंछे हो तो नत्थूलाल जैसी... सड़क से लेकर सिनेमा तक और अब सत्ता के गलियारों तक मूंछों ने ताव पकड़ लिया है। लेकिन मूंछ खुद अगर जज्बात बयां कर पाती तो शायद बहुत कन्फ्यूजन में होती! बेचारी मूंछ न हुई, गरीब की लुगाई हो गई, जिसको देखो... जो मने आ रहा है... बोल दे रहा है!
युग परिवर्तन के साथ मूंछों ने भले ही फैशन वर्ल्ड में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई हो, लेकिन हकीकत यही है कि मूछें हमेशा आन-बान और शान का प्रतीक रही हैं। मूंछ नीची न हो जाए, इसके लिए बड़े-बड़े युद्ध लड़े गए। लेकिन अब इसे लेकर वाक् युद्ध छिड़ गया है।
टीवी की डिबेट में भी मूंछ ने जगह बना ली है। मुद्दों की घोर कमी और हाड़तोड़ कंपटीशन के इस माहौल में अखबारों से लेकर टीवी की हेडलाइंस और डिबेट में मूंछों को जगह दिलाने के लिए भला हो बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव का। हमारी तरफ से उन्हें खास शुक्रिया जो मूंछ के हवाले से बयान देकर उन्होंने फिरकी लेने का मौका दिया।
दरअसल, बिहार के उपमुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव इन दिनों खानदानी घोटाला आरोपों से घिरे हैं।
बुधवार को सीएम नीतीश के साथ हुई बैठक के बाद वह अपनी गाड़ी की तरफ बढ़े तो पत्रकारों ने घेर लिया। तेजस्वी जज्बाती हो गए और बोले- अरे जो आरोप लगा है, ऊ तब का है जब हम बच्चा था। उस वक्त तो ससुरा हमरा मूंछ भी नहीं आया था। अब बताइए भला बिना मूंछ का बच्चा घोटाला कर सकता है? ई सब मोदी और शाह का खेल हैं, षड्यंत्र है।
तेजस्वी ने आरोपों को खारिज करने के लिए जिस तरह मूंछ पर जोर दिया है, उसने दूसरा सवाल पैदा कर दिया कि - क्या मूंछ वाला घोटाला कर सकता है? हालांकि यह सवाल किसी पत्रकार ने पूछा नहीं! किसी के मन में भी रहा होगा तो पूछने से पहले ही तेजस्वी ने बता दिया कि अब वह मूंछ वाले हैं। मूंछ न रहते घोटाला नहीं किया तो अब क्या करेंगे!
खैर, जो हो... तेजस्वी का बयान सुनकर, देखकर या पढ़कर उन लोगों का हाथ बर्बस ही ऐंठने के लिए आतुर हो उठा, जिनकी मूंछे हैं। लेकिन उन लोगों को मायूसी हाथ लगी जो जवां दिखने की भागम-भाग में सफाचट रहने में यकीन करते हैं।
हमारे संवाददाता (काल्पनिक) ने बताया कि तेजस्वी के बयान ने एक बड़े कन्फ्यूजन को भी जन्म दे दिया है। चाय की दुकानों, पान के खोखों, बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों पर लोग आते-जाते एक दूसरे की मूंछों पर घूर रहे हैं। लोग मूंछ कॉन्शियस हो गए हैं। वहीं, राम भरोसे ने यह भी बताया कि उनके एक पुराने दोस्त राम बाबू गांव में दूध की फैक्ट्री यानी डेयरी चलाते हैं और तेजस्वी की बात सुनकर इतने उत्साहित हो उठे कि अपनी ढाई फुट लंबी मूंछ को संभालते हुए जियो के फ्री डेटा से अरसे बाद फ्री वीडियो कॉल करने लगे।
राम भरोसे ने उन्हें आश्वासन दिया के मूंछे कुछ फुट और बढ़ाने पर 'ओ तेरे की' कैटेगरी में छाप दी जाएंगीं?
कुल मिलाकर मूछों को लेकर शुरू हुई बहस खत्म होने का नाम नहीं ले रही है, आपके मन में भी इसे लेकर उद्गार हिचकोले मार रहे हों तो हमसे शेयर करना न भूलें... और यह जरूर बताए कि तेजस्वी के बयान से आप अपने आप को किस तरह जोड़ते हैं?