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मंगलवार की रात मुबई-दिल्ली राजधानी में जो हुआ, उसने एकबार फिर ये बता दिया कि भले ही इसकी देखरेख प्रभु के हवाले हो, भारतीय रेल आजादी के 70 साल बाद भी महफूज नहीं है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यात्रियों के करीब 15 लाख रुपये, स्मार्टफोन और अन्य कीमती चीजों पर चोरों ने बड़े इत्मिनान से हाथ साफ किया। वारदात को मध्य प्रदेश के रतलाम के करीब अंजाम दिया गया। चोरों ने एक नहीं, बल्कि सात कोचों में चोरी की। चोरी की वारदात से परदा तब उठा जब ट्रेन राजस्थान के कोटा जंक्शन पहुंची और यात्रियों के बटुए और बैग टॉयलेट के पास पड़े दिखे। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने इस पर सफाई दी है कि कोचों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे।
लेकिन प्रभु जी आप लाख सीसीटीवी लगा दें, ये वारदात बताती है कि राजधानी जैसी लक्जरी और हाई क्लास ट्रेन को लेकर आपकी सुरक्षा व्यवस्था सोई ही नहीं, कुंभकर्ण की भांति खर्राटे मार रही है।
जरा सोचिए, यात्री हवाई जहाज के रेट के बराबर का आपका राजधानी का टिकट यूं हीं नहीं खरीदता। यात्री इस भरोसे के साथ राजधानी में सफर करता है कि उसका पैसा भले ही लगा लेकिन इत्मिनान से वह सुरक्षित अपनी मंजिल तक पहुंचेगा, लेकिन ये वारदात चीख-चीख कर बता रही है कि नहीं... अब राजधानी एक्सप्रेस भी छिछोरों से बची नहीं है। किसी भी वक्त आपका सामान, पर्स, मोबाइल गायब हो सकता है।