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फेसबुक और ट्विटर की लोगों को इतनी आदत पड़ चुकी है कि इसके बिना जीवन की कल्पना करना मुश्किल मालूम पड़ता है। अब जरा गंभीरता से सोचो तो इसके बिना भी जिंदगी होती थी कभी। आज से सैकड़ों साल पहले त्रेता युग में न तो एंड्रॉयड फोन थे और न ही फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, फिर भी लोग खुश थे… न तो सेल्फी थी और न ही कैमरे… फिर भी लोग मेकअप किया करते थे।
अब अगर गलती से भी सोचें... कि रामायण वाले काल में मोबाइल फोन होता तो क्या होता… पहली बात तो दिमाग में आती है कि लड़ाई होती ही नहीं। अगर हो भी जाती तो एक आदमी व्हॉट्सएप ग्रुप बना देता, मामला वहीं निपट जाता और सीता मैया वापिस घर आ जाती। चलो मान लिया कि बात बहुत गंभीर है और मामला व्हॉट्सएप पर नहीं सुलझता तो दो युद्ध होते, एक मैदान पर और दूसरा सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर।
राम भक्त और रावण के राक्षसी दल अपने अपने महारथियों को फेसबुक और ट्विटर पर बिठा देते और फिर सब जगह फैलता रायता… दोनों पक्षों के लोग ट्रोलिंग सैनिकों के कटाक्ष भरे तीरों से घायल हो जाते। अगर ऐसा होता तो कई लोग ट्रोल के भंवर में फंस जाते, बाकि सबका तो नहीं पता ये लेकिन 4-5 लोग तो जरूर ट्रोल होते।
ब्रह्मांड की पहली ऑफिशियल किडनैपिंग इन्हीं साहब ने की थी तो जाहिर सी बात है कि रावण तो ट्रोलर्स की पहली पसंद होते। मतलब आज की दुनिया में कहीं भी किडनैपिंग होती है तो उसके जिम्मेदार रावण ही माने जाते हैं। हैशटैग राम vs रावण के साथ स्टेटस में दस मुंह वाले आदमी की फोटो शेयर करके ये जरूर लिखा जाता कि आईफोन एक्स रखने वाला ये शख्स, स्वामी ओम जैसा भेष बनाकर, सीता मैया को अपहरण करके ले गया। इसको इतना शेयर करो कि रावण शर्मिंदगी में सीता माता को वापस पहुंचा जाए।
इनका ट्रोल होना तो बनता है, ये जनाब 6 महीने सोते थे और 6 महीने खाते थे। पता नहीं पचाया हुआ खाना निकालते कब थे। इनका आकार प्रकार इतना विचित्र था कि ट्रोलबाज दिन भर इन पर तंज कसते रहते। किसी पार्टी में 100-200 लोगों के खाए हुए खाने की प्लेटें दिखाकर लिखते कि 200 गरीबों से छीन कर कुंभकर्ण ने किया नाश्ता।
इन्होंने जो किया ट्रोलबाजों के लिए वो फेवरेट काम था। भाई की जानकारी दुश्मन को देने पर रावण पक्ष के लोग विभीषण की वो बातें बताते जो रावण ने उस वक्त नहीं बताई थी।
गुस्से में ये ऐसा बहुत कुछ कर गए जो ट्रोलबाजों को पसंद आता। धनुष तोड़ने पर इतना बवाल काटा था।
वैसे तो लक्ष्मण ने मेघनाथ का वध किया था, लेकिन एक बार मेघनाथ ने गुस्से में श्री राम के अनुज को नागपाश में बांध दिया था। ऐसा करने के बाद मेघनाथ जोर-जोर से हंसा था। उसी हंसी को मूर्छित लक्ष्मण की फोटो के साथ वायरल किया जाता। कि बड़े आए थे लड़ने वाले… हालांकि बाद में लक्ष्मण ने ही मेघनाथ को निपटाया था।
सुग्रीव बाबू तो रामायण के वो पात्र थे जो थे तो बहुत वीर, लेकिन कई दफे पिटाए और डपटाए गए थे। इनके बड़े भाई बाली तो जब देखते थे तब कुटाई कर दिया करते थे। बाद में राम की शरण में आकर भाई का मर्डर करवा दिए, अब रावण पक्ष के लोग ऐसे कैरेक्टर को कैसे छोड़ देते।
ये लेख सिर्फ मनोरंजन के उद्देश्य से लिखा गया है, इसकी मंशा किसी को दुखी या आहत करने की नहीं है ...