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शरद जोशी का मजेदार व्यंग्य- 'मेरे क्षेत्र के पति: एक सर्वेक्षण' हर इलाके की कहानी बयां करता है

Updated Wed, 13 Dec 2017 07:56 PM IST
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Sharad Joshi Satire Mere Kshetra Ke Pati Ek Sarvekshan
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किसी का पति होना कोई साधारण बात नहीं है। पतियों पर अक्सर पुरुषवादी मानसिकता का आरोप लगता है और नारियों के उत्थान की बात की जाती है। पति बेचारा पिसता है और किसी से अपना दर्द भी बयां नहीं कर पाता है, क्यों कि पुरुषों को रोना मना है! व्यंग्य सम्राट शरद जोशी ने 'मेरे क्षेत्र के पति: एक सर्वेक्षण' व्यंग्य के जरिये पतियों की हालत की जो मजेदार समीक्षा की है, उससे हर क्षेत्र के पति सहमत होंगे। यहां हम उनके व्यंग्य के कुछ अंश 1985 में ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित की गई किताब यथासम्भव से पेश कर रहे हैं। 

मेरे क्षेत्र में कुछ पति बसते हैं। वे लखपति हैं, सभापति हैं, वे मात्र पति हैं, शुद्ध पति, जो चंद स्त्रियों की किस्मत में लिखे थे और पूर्व जन्म के शर्तनामों के अनुसार इस जन्म में ‘अलाट’ किए गए। उनकी बड़ी संख्या है और हर घर में एक पति का अनुपात आता है। उनके गलों में जंजीर बंधी रहती है, जो उनकी औरत के हाथ में रहती है और वे अंदर काम करती हैं। पर वे समय पर छोड़ भी दिए जाते हैं, तब वे सड़क पर भटकते हैं और दफ्तर जाते हैं। वे सड़क पर अकेले नजर आते हैं। पर उनके चेहरे से साफ दिखता है कि वे बेचारे अकेले नहीं हैं, बल्कि किसी औरत के पति हैं।

वे जब जन्मे थे, तब पति नहीं थे और उनको इस बात का गुमान नहीं था कि वे पति हो जाएंगे। पर बड़े होने पर वे औरतों के पास गए तो जाने-अनजाने ही पतियाने लगे और देखते ही देखते पति हो गए। शादी के लंबे समय बाद वे सोचते हैं कि इसके सिवाय वे क्या कर सकते थे! मेरे क्षेत्र में बसे पतियों की यही स्थति है।

पति मुझे काम करते नजर आते हैं। वे अक्सर हाथ में थैली लिए बाजार जाते और वहां से सामान से लदे लौटते दिखाई देते हैं। पतियों के कुछ शौक होते हैं, जैसे अपना कपड़ा प्रेस कराना, तम्बाकू का पान खाना या सिगरेट पीना और सड़क पर भटकना। कुछ को यह सुविधा मिली रहती है, कुछ को नहीं मिलती। पतियों में कुछ सोचने-विचारने वाले होते हैं। वे अपने इस दोष के कारण पत्नी से असहमत हो जाते हैं। ऐसी हालत में वे अच्छे पति नहीं रहते। कहा मानने वाले पतियों की तुलना में वे निकृष्ट माने जाते हैं। यह भी मत है कि अच्छा पति होना ही सभ्य व्यक्ति की पहचान है। पर जहां सभ्यता का विकास हुआ नहीं माना जाता, उन क्षेत्रों में भी काफी ठोस, टिकाऊ और विश्वस्त पति पाए जाते हैं। यह समस्या विचारणीय है कि पति होने से सभ्यता का क्या संबंध है?

पति से उम्मीद की जाती है कि वह सस्ता, सुंदर, टिकाऊ और मजबूत हो। अच्छा दिखाई देनेवाला, स्वस्थ, ईमानदार और कम खर्च में प्राप्त पति सामान्यत: उचित माना जाता है। अच्छे पति के लिए थोड़ा खर्च बर्दाश्त कर लेने में नुकसान नहीं होता। जो पति महज प्रेम में पटकर पति बन गए हों और बाद में टिकाऊ और उपयोगी भी साबित हुए हों, घरों के लिए गर्व और शोभा की वस्तु होते हैं। प्रेम में पति पट जाता है, हालांकि लड़की को शुरुआत में थोड़ा परिश्रम करना पड़ता है। शुरू का प्रेम बाद में भी लाभ देता है, क्योंकि प्रेम में अंधा पति घर छोड़कर इधर-उधर नहीं जा पाता और इस प्रकार टिकाऊ सिद्ध होता है।

मेरे क्षेत्र में पतियों की सामान्य स्थिति ठीक है। कुछ पति घर पर सेवा के अतिरिक्त दो नौकरियां कर लेते हैं, इस प्रकार अन्य पतियों की तुलना में अच्छे माने गए हैं। आवश्यकता है कि अन्य क्षेत्रों में पतियों की आम स्थितियों से मेरे क्षेत्र के पतियों की तुलना की जाए। घर की झंझटों में फंसे रहने के कारण फिलहाल यह संभव नहीं लगता।

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