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मेहनत करके भाग्य की लकीरों को भी बदला जा सकता है। किस्मत कोई ऊपर से लिखाकर नहीं आता। किस्मत आपके कामों से बनती है। वगैरह वगैरह... कैसा भी ज्ञान बघारलो, लेकिन इंडिया में कुछ चीजें ऐसी हैं जो किस्मत से ही मिलती हैं। आप चाहें सिर के बल खड़े हो जाएं, अगर आप केवल कर्म भरोसे रहे तो मायूस होंगे... क्योंकि यहां किस्मत का ही बोलबाला होता है। यकीन नहीं है तो पूरी लिस्ट देख लो।
दशहरा हो या दिवाली... कोई भी त्योहार हो... अगर आपका किसी सांसद-मंत्री से कनेक्शन नहीं है तो रेल में रिजर्वेशन तो आपको मिलेगा ही नहीं। तत्काल टिकट पर भी दलालों की गिद्ध निगाहें रहती हैं। त्योहारों के अलावा भी ट्रेन खाली नहीं मिलती, ऐसा लगता कि आधा इंडिया ट्रेनों में ही रहता हो। यानी अगर आप वाकई में बहुत लकी हुए तो ही आपको रिजर्वेशन मिल सकता है।
इंडिया की 90-95 फीसदी आबादी मनचाही नौकरी से महरूम रह जाती है। किसी को बनना होता है डॉक्टर तो पिता जी उसे इंजीनियर बना देते हैं। एक बात कॉमन है, हर पिता अपने बेटे को सरकारी नौकरी करते जरूर देखना चाहते हैं।
बीवी सुंदर हो और समझदार भी, इसके लिए वाकई किस्मत का धनी होना जरूरी है। क्योंकि कई बार अच्छी शक्ल के पीछे कमअक्ल बीवी भी रहती है।
होस्टल चाहे किसी कस्बे के स्कूल का हो या मेट्रो सिटी का... खाना अच्छा मिल जाए तो समझ लीजिए आपने पिछले जन्म में बहुत अच्छे काम किए होंगे। होस्टल में लजीज खाना मिलना भी किस्मत का ही खेल लगता है।
ये बात कोई बताता नहीं है, लेकिन सोचता हर कोई है। सफर बस का हो या ट्रेन का... हर मुसाफिर की चाहत होती है कि कोई खूबसूरत हमसफर उसकी बगल वाली सीट पर बैठा/बैठी हो। लेकिन भाईसाहब 99 फीसदी लोगों को मायूसी ही हाथ लगती है, क्योंकि ये वाली बात किस्मत से ही होती है।
दुनिया का कोई भी प्रोफेशन हो, कुछ मुख्य त्योहारों पर छुट्टियां मिल ही जाती हैं, लेकिन मीडिया वालों को उनकी शादी के दिन भी नहीं मिलतीं, बस काम जुगाड़ से लेना होता है... बोले तो एडजस्टमेंट से। यानी मीडियावालों को अगर त्योहार पर छुट्टी मिल जाए तो समझ लीजिए कि किस्मत ने काम कर दिया है।