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भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली ने खुद को सामाजिक सरोकार से जुड़े युवा आइकन की पहचान बनाने के लिये शीतल पेय पदार्थ पेप्सी और गोरा बनाने वाली एक उत्पाद के प्रचार करने से मना कर दिया। विराट के मुताबिक ये उत्पाद जंक फूड और नस्लवाद को बढ़ावा देते हैं।
मौजूदा टीम के सबसे बड़े सितारों में से एक इस 28 वर्षीय खिलाड़ी ने फैसला किया है कि वह सिर्फ उन्हीं उत्पादों का प्रचार करेंगें जिससे वह खुद को जोड़ सकें, जिसका इस्तेमाल वह खुद कर सकें।
विराट के साथ काम कर चुके एक शख्स ने कहा कि उनके इस फैसले का सबसे बड़ा असर पेप्सी पर पड़ेगा, जिसका प्रचार वह 2011 से कर रहे थे। पेप्सी के साथ विराट का करार इस साल अप्रैल में खत्म हुआ जिसके बाद विराट ने कहा था कि वह लोगों से ऐसे उत्पाद का सेवन करने के लिये नहीं कह सकते जो वह खुद नहीं लेते है।
विराट गोरा बनाने का दावा करने वाली फेयरनेस क्रीम का भी विज्ञापन अब नहीं करेगे। उन्होंने कहा है कि वह अब इस विचार को बढ़ावा देंगे कि किसी का सम्मान उसके गुणों और मेहनत के बल पर बढ़ता है न कि त्वचा के गोरेपन से।
कोहली के विज्ञापनों को प्रबंध करने वाली कॉर्नरस्टोन ने इस मुद्दे पर कुछ कहने से मना कर दिया है, लेकिन भारतीय कप्तान के साथ करीब से काम करने वाले ने बताया कि कोहली अपने सामाजिक सरोकार को लेकर ज्यादा सहज हो गये है।
विज्ञापन के लिए रोजाना चार से पांच करोड़ का मेहनताना लेते हैं विराट
फिलहाल कोहली लगभग 17 ब्रांडों का विज्ञापन करते हैं, जिनमें प्रमुख रूप से ग्लोबल न्यूट्रीशन कंपनी का प्रोडक्ट हर्बालाइफ, पुमा, ऑडी कार और टिसोट वॉच घड़ी का विज्ञापन शामिल है। पेप्सी के विज्ञापन के लिए उन्हें कितने पैसे मिलते थे, इस बात का पेप्सी ने खुलासा नहीं किया है। लेकिन उन्हें केवल एमआरएफ टायर और पुमा ब्रॉन्ड के विज्ञापन के लिए ही लगभग सौ करोड़ रुपये मिलते हैं। कोहली इस वक्त किसी भी ब्रॉन्ड के विज्ञापन के लिए रोजाना के हिसाब से साढ़े चार करोड़ से लेकर पांच करोड़ रुपये तक लेते हैं।