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मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाने वाले राम के कुल में एक से अधिक विवाह का प्रचलन था। स्वयं उनके पिता ने भी तीन शादियां की थीं। अपने विवाह के बाद राम ने सीता को यह वचन दिया था कि वो कभी किसी परायी स्त्री की ओर न देखेंगे। उनकी एकमात्र पत्नी सिर्फ़ सीता रहेंगी।
हमें भी अपने नेताओं से ऐसा ही वर चाहिए। हम वो लोग हैं जो आसाराम जैसे महानुभावों को 'बापू' कहते हैं। संजय दत्त के जेल जाने पर अनशन पर बैठ जाते हैं। सलमान खान की सुनवाई पर कोर्ट को धर्मशाला बना देते हैं। देश में जब पोर्न की 800 साइट्स बंद की जाती हैं तो बवाल मचा देते हैं पर हमें हमारा नेता ऐसा चाहिए जो पूर्णिमा की रात को गंगा में स्नान कर के आया हो। हमारा नेता बिल्कुल पाक-साफ और पवित्र होना चाहिए।
आप ने वीडियो देखी? उसमें क्या दिखाया गया है? एक आदमी किसी औरत का बलात्कार कर रहा है? ज़बरदस्ती हो रही है? नहीं, वीडियो से यही पता चलता है कि जो भी हो रहा है उसमें दोनों की सहमति है। तो फिर इसमें बुराई क्या है?
अगर इस वीडियो के सत्यता की पुष्टि हो जाती है तो इसमें बुराई ये है कि इस दृश्य का फिल्मांकन किया गया जो कि जुर्म है। दूसरी गलती ये है कि संदीप ने अपनी पत्नी को धोखा दिया। ऐसे में अगर उनकी पत्नी उनपर आरोप लगाती हैं तो कार्यवायी होनी चाहिए। पर भारतवर्ष की कितनी पत्नियां आरोप लगा पाती हैं? त्याग की देवी बनकर और पति को परमेश्वर मानकर मामला शांत हो जाता है।
नैतिकता के आधार पर आप देखें तो किसी विवाहित पुरुष का विवाहेतर संबंध गलत है। पर इसमें ऐसा कुछ भी नहीं जिसे वायरल कर टीआरपी बटोरी जाए।
आप उस समाज में ऐसे संबंध पर आपत्ति जता रहे हैं जहां दिल्ली से 180 किलोमीटर दूर आगरा में पोर्न वीडियोज़ 50 से 150 रुपये में बिक रहे हैं और लोगों में उसे देखने की बौखलाहट है। क्यों? क्योंकि वो रेप वीडियो है। तो हमारा समाज उस ज़बरदस्ती के सेक्स को देखने के लिए बेताब हुआ जा रहा है। लड़की तैयार हो तो उतना मज़ा कहां आता है! मज़ा तो तब है जब ज़बरदस्ती मर्दान्गी साबित की जाए।
डेढ़ सौ रुपये में किसी लड़की की आबरू धड़ल्ले से बिक रही है और आप अभी यहां असहमति जता रहे हैं।
आप में से अधिकतर लोगों ने अपने घरों में या उसके आस-पास सुना होगा कि किसी फलाने को वो लड़की पसंद थी, शादी दूसरी से हो गई पर उसके यहां आना-जाना लगा रहता है। ऐसे देवर-भाभी के किस्सों की भी कोई कमी नहीं है। पति घर से दूर नौकरी करता है देवर घर पर रहता है तो भाभी और देवर की सेटिंग है। जब देवर की बीवी आती है तो उसे नाकों चने चबाने पड़ते हैं।
जिस मीडिया के ज़रिए आपके समक्ष ये वीडियो पेश किया गया उसके गलियारों में कितने तरह के विवाहेतर संबंध और उन संबंधों पर कानाफूसी चलती रहती है इसका भी जायज़ा ले लें।
मैं इस संबंध को सही नहीं ठहरा रही हूं पर आपकी इस पृष्ठभूमि को इसे गलत कहने का अधिकार भी नहीं है।
केजरीवाल बाबू ने अपनी पार्टी की छवि बचाने के लिए संदीप कुमार को आधे घंटे में झट से बर्खास्त कर दिया और सत्यवादी राजा हरिश्चंद बन गए जबकि उन्हें इस वीडियो का पता 15 दिन पहले से था। क्रांति का जो ढोल पीटते हुए वो सत्ता में आए थे वो योगेंद्र यादव के जाने के बाद ही फट चुका है।
हां लेकिन पूरे प्रकरण को मसालेदार बनाने में और सहानुभूति बटोरने में संदीप कुमार ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। कुछ न मिला तो दलित कार्ड खेल दिय़ा। "मैं दलित हूं इसलिए मेरे साथ ऐसा हुआ है।"
साहब! आप दलित हैं और आप ने ऐसा बेतुका बयान दे दिया इस कारण कितने ही दलितों को उनका हक नहीं मिलने वाला है। आप ये कार्ड नहीं भी खेलते तो खुशहाल ज़िंदगी जी लेते। एक बार उनका सोचिए जो वाकई दलित हैं। आप सरकारी आवेदन फॉर्म भर में दलित हैं। यहां असंख्य लोग हैं जिन्होंने आजीवन कोई फॉर्म भरा ही नहीं जिसकी श्रेणी वाले कॉलम में 'दलित' लिख सकें।
आप कोई पहले दलित नेता भी नहीं हैं और न ही बहुत क्रांतिकारी रहे हैं जो आपके खिलाफ़ षड्यंत्र रचा गया हो। इसलिए इस शब्द को भुनाना छोड़ दें।
मेरी सहानुभूति उस देश की जनता के साथ है जहां लगभग हर दूसरा इंसान पॉर्न फिल्में आनंद लेने के लिए देखता है। लगभग हर पांचवे-छठे इंसान के फोन में आपको ब्लू फिल्म मिल जाएगी फिर भी इस घटना पर विलाप करने आ गए।