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1918 से 1926 तक पहाड़ों में बसा गढ़वाल हर शाम सन्नाटे की चादर ओढ़ लिया करता था। घर में सब लोग कैद हो जाया करते थे, मानो इलाके में कोई मातम मन रहा हो। 500 वर्ग किलोमीटर के इलाके में कोई भी शख्स रात को घर से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं करता था। वर्ना उसे मिलती थी मौत। रुद्रप्रयाग के इलाके में सक्रिय एक नरभक्षी तेंदुए ने आठ साल में 125 लोगों को अपना निवाला बनाया। जानिए कैसे इस नरभक्षी तेंदुए का अंत हुआ।
आठ साल तक जंगल के इस कोने से उस कोने तक छुपे रहने में माहिर तेंदए ने गढ़वाल के लोगों का 8 साल तक जीना मुश्किल कर दिया। इस तेंदुए के आतंक की ख़बरें सिर्फ़ भारत तक सिमित नहीं थीं, बल्कि खबरें ब्रिटेन के अखबारों की भी सुर्खिया बन गईं। यहां तक कि ब्रिटेन की संसद में भी उसकी चर्चा होने लगी।
तेंदुए को पकड़ने में कई शिकारी और आर्मी के स्पेशल यूनिटों के हाथ नाकामी लगी। 90 से ज्यादा लोगों की मौत के बाद उत्तर प्रदेश के गवर्नर ने नैनीताल के जिम कॉर्बेट के मशहूर शिकारी से संपर्क किया। जिसके बाद 1925 को उन्हें तेंदुए को मारने की इजाज़त मिली।
इससे पहले वो चंपावत की नरभक्षी बाघिन को मार चुके थे। चंपावत की आदमखोर बाघिन ने कुमाऊं और नेपाल में करीब 430 लोगों को मारा था। तेंदुए को मारने की अनुमति लेने के बाद कॉर्बेट कई दिनों की पैदल यात्रा कर कुमाऊं से गढ़वाल पहुंचे। कई दिनों तक वह तेंदुए की खोज करते रहे, वहीं दूसरी तरफ तेंदुआ आए दिन लोगों को अपना शिकार बनाता जा रहा था। आखिरकार 26 मई 1926 की रात जिम कॉर्बेट को कामयाबी मिल गई। तेंदुआ की गोली लगने से मौत हो गई थी।
जिम कॉर्बेट ने जब उस बूढ़े तेंदुए को देखा तो पता चला कि उसका एक नुकीला दांत काफी पहले से टूटा हुआ था। पता चला कि दो नौसिखिये शिकारियों ने आठ-नौ साल पहले उस जवान तेंदुए का शिकार करने की कोशिश की। गोली उसके दांत में लगी और तब से वो जंगली जानवरों का शिकार कर पाने में असक्षम हो गया। भूख से बेहाल तेंदुए ने पेट भरने के लिए कोमल मांस वाले इंसान पर झपटना शुरू कर दिया।
सूर्योदय के वक्त तेंदुए की लाश के पास पहुंचे जिम कॉर्बेट ने उसे सहलाया। तेंदुए की मौत देखकर कॉर्बेट इतने दुखी हुए कि उन्होंने वन्य जीवन को बचाने की मुहिम छेड़ दी। जिम कॉर्बेट की ही सलाह पर 1936 में ब्रिटिश सरकार ने उत्तराखंड में एशिया का पहला नेशनल पार्क बनाया। जिम कॉर्बेट के भारत छोड़कर केन्या जाने के बाद उनके मित्र और उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत ने पार्क का नाम जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क कर दिया।