ऑस्ट्रेलिया में शनिवार को आम चुनाव खत्म हो चुके है। एक ओर जहां दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में वोटिंग प्रक्रिया में जनता की भागीदारी पर निर्भर रहना पड़ता है तो वहीं विश्व में कुछ ऐसे भी देश है, जहां जनता का वोट देना अनिवार्य है । इसका मतलब है, इन देशों में नागरिकों के लिए वोटिंग करना बेहद जरूरी है वरना उन पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
इस कानून को ऑस्ट्रेलिया ने 1924 में अपनाया था। जिसके बाद आजतक कभी भी इस देश में वोटर टर्नआउट 91% से कम नहीं हुआ। इस कानून के चलते लोग बढ़-चढकर देश की राजनीति में हिस्सा लेना शुरू किया है।
ऑस्ट्रेलिया में हर नागरिक अपने इस अधिकार का पालन बखूबी पालन करते है। इस देश में वोटिंग के लिए रजिस्ट्रेशन और वोटिंग करना दोनों ही जनता के लिए कानूनी कर्तव्यों में शमिल है। जिसका मतलब है 18 साल से ऊपर के किसी भी व्यक्ति के लिए वोट करना जरूरी है।
वोट न करने पर यहां की सरकार जनता से जवाब मांगती है, यदि जनता की तरफ संतोषजनक जवाब या कारण न मिलने पर उस पर 20 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (करीब 1000 रुपए) का जुर्माना भरना पड़ता है। साथ ही वोट न देने वाले को यहां कोर्ट के चक्कर भी काटने पड़ते हैं।
यही कारण है कि 95 सालों के इतिहास में ऑस्ट्रेलिया में वोटर टर्नआउट कभी 91% के नीचे नहीं गया और पिछले 12 सालों में यहां 6 प्रधानमंत्री बदले जा चुके है। ऑस्ट्रेलिया में अनिवार्य वोटिंग के मायनों को देखते हुए अलग-अलग सरकारों ने भी समय-समय पर मतदाताओं के लिए सुविधाओं में बढ़ोतरी की है।