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काले हिरण ने सलमान के नाम लिखा खुला खत, पढ़ें

टीम फिरकी, नई दिल्ली Updated Thu, 05 Apr 2018 05:12 PM IST
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Salman Khan
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विस्तार

काला हिरण शिकार मामले में फिल्म अभिनेता सलमान खान को 5 साल की सजा और दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। कोर्ट ने बाकी सभी आरोपी सितारों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है। 20 साल बाद आए इस फैसले को सुनने के बाद सलमान के फैन्स की आंखें दुख से गीली थी लेकिन काले हिरण की आत्मा जो 20 साल से छटपटा रही थी। काले हिरण के परिवार की तरफ से सलमान को एक खुला खत लिखा गया है। जिसकी भाषा सिर्फ Firkee ही पढ़ पा रही है, तो आप भी पढ़ें, क्या कह रहा है काला हिरण। 

खम्मा घणी सलमान भाई

हमारी मुलाकात पुरानी है लेकिन उम्मीद है आप पहचान ही गए होंगे। 20 साल पुरानी बात है, मरने से पहले मैंने आप ही आंखों में आखिरी बार झांका था। जिसमें एक स्टार का स्टारडम, जवानी का जोश और खुद को खुदा समझने वाला शख्स दिखाई दे रहा था। आज जो हुआ, उसकी इबारत आपने उस रोज लिखी थी, जब मैं पड़ोस वाले गांव में टहलने गया था। जाते वक्त मेरी मां ने मुझे पीछे से आवाज देकर कहा था कि रुक जा बेटा मैं भी तेरे साथ चलती हूं, लेकिन आप तो जानते ही हैं... जवानी में कहां, किसी के पैर रुकते हैं। मैंने जोर से छलांग लगाई और कुछ ही देर में मां की आंखों से ओझल हो गया और चहकते हुए जंगल में पहुंच गया।  

रात घनी थी, झिंगुरों की आवाज के बीच मैं ताजी हवा को अपने चेहरे पर महसूस कर पा रहा था कि तभी जंगल के एक कोने से मुझे कुछ इंसानों के चहचहाने की आवाज आने लगी। जिसको सुन मैं मोहित होकर आवाज की तरफ चल पड़ा। रास्ते में एक बार फिर, मुझे ढूंढते हुए मेरी मां मुझसे मिली और कहने लगी कि उधर मत जा, इंसान हैं। लेकिन मैंने नहीं सुना। 

जिस कोने से आवाज आ रही थी उधर से मेरे कुछ दोस्त भी आ रहे थे। उन्होंने भी चेताया लेकिन मुझे आपकी आवाज अपनी तरफ खींचती जा रही थी। पहली बार देखा तो आप लंबी सी कोई चीज लेकर मेरी ही तरफ देख रहे हैं। मेरा आकर्षण और बढ़ता उससे पहले आपकी बंदूक से निकली गोली, मेरे पड़ोस के पेड़ को चीरती हुई निकल गई। मेरी सासें तेज और धड़कने ड्रम की तरह बजने लगीं। मैं खुद को संभाल पाता कि एक और गोली मेरे पीछे खड़े पेड़ पर जा धंसी। मौत के आगे बेबस खड़ा था मैं, और आप अपने दोस्तों के साथ मुझे डरा लेने का जश्न मनाने लगे। 

अगली गोली मेरे सीने में लगी थी। दर्द भी समझ पाता, उससे पहले मौत को देख लिया था मैंने। जिस धरती पर हमें पूजा जाता था, वहां ऐसी मौत नसीब होगी, मैंने कभी सोचा भी नहीं था । आपको आज सजा मिली, मुझे खुशी नहीं है... लेकिन आपके साथ कोई हमदर्दी भी नहीं है। सच क्या है, आप मुझसे बेहतर जानते हैं। एक जानवर हूं आपसे सिर्फ इंसानियत की उम्मीद रख सकता हूं। 

आपका अपना 
चिंकारा 

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