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आज के दिन हम 2 भाईयों को याद कर रहे हैं! फ़र्क बस इतना है कि एक आज जन्मा था तो दूसरा...

Updated Thu, 13 Oct 2016 01:13 PM IST
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आज के दिन हम 2 भाईयों को याद कर रहे हैं! फ़र्क बस इतना है कि एक आज जन्मा था तो दूसरा...
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दोस्तों कुमुदलाल गांगुली और आभास गांगुली को तो आप सब ज़रूर जानते होंगे। नहीं जानते क्या? नाम नहीं सुना? हम बात कर रहे हैं भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री के 2 महान कलाकारों की जो कि सगे भाई थे। ये हैं अशोक कुमार और किशोर कुमार की, और इनके असली नाम आप ऊपर पढ़ ही चुके हैं। आज बड़े भाई अशोक कुमार उर्फ़ दादामुनि का जन्मदिन है तो विडंबना ये है कि आज किशोर कुमार की पुण्यतिथि है। 1987 के बाद अशोक कुमार ने अपना जन्मदिन कभी नहीं मनाया क्योंकि इस साल की 13 अक्टूबर को उनके भाई और एक महान गायक अनंत में विलीन हो गए थे।

आज हम इन दोनों को ही याद करेंगे और इनके जीवन से जुड़े कुछ ख़ास पहलुओं को जानने की कोशिश करेंगे। अशोक कुमार चार भाई-बहनों में सबसे बड़े थे तो किशोर कुमार सबसे छोटे। दोनों के बीच करीब 14 साल का अंतर था। इनके पिता का नाम था कुंजलाल गांगुली जो एक वकील थे और इनकी मां गौरी देवी एक होम-मेकर थीं। अशोक कुमार ने कभी फ़िल्मों में आने के बारे में नहीं सोचा था। उनकी शादी काफ़ी कम उम्र में हो गई थी। ये एक टिपिकल अरेंज्ड मैरिज थी। इनकी पत्नी का नाम था शोभा। दोनों ने अपने चार बच्चों के लिए घर का माहौल बेहद सादा बना के रखा और फ़िल्मी करियर और स्टारडम की छाप कभी उनपर नहीं पड़ने दी।

वहीं किशोर कुमार की चार शादियां हुईं। उनकी पहली पत्नी बंगाली एक्ट्रेस और सिंगर रुमा गुहा ठाकुरता (रुमा घोष) थीं। इन दोनों का एक बेटा था अमित कुमार जो कि बाद में जाकर बॉलीवुड सिंगर बने। किशोर कुमार के साथ कई फ़िल्मों में काम करने वाली मधुबाला से उनकी दूसरी शादी हुई। उनसे संपर्क में आने के दौरान किशोर और रुमा एक साथ ही थे और मधुबाला बेहद बीमार चल रही थीं। किशोर और रुमा के तलाक के बाद 1960 में दोनों ने शादी कर ली और 1969 में मधुबाला की मृत्यु तक दोनों साथ ही रहे। किशोर कुमार के परिवार ने कभी इस शादी को नहीं माना। उनकी तीसरी शादी योगिता बाली से हुई जो महज़ 2 साल ही चल सकी और उसके बाद उन्होंने लीना चंद्र्वरकर से शादी की।

 source: the indian express

अशोक कुमार ने वकालत की पढ़ाई की थी पर उनका रुझान सिनेमा की तरफ़ था। उनकी बहन के पति शशिधर मुखर्जी बॉम्बे टॉकीज़ में एक बेहद ऊंची पोस्ट पर थे और उन्होंने ही अशोक कुमार को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। अशोक कुमार का सपना था कि वो फ़िल्म इंडस्ट्री में एक तकनीशियन के रूप में काम करें और उन्हें इसका मौका भी मिला। उन्हें लैब असिस्टेंट के रूप में काम मिल गया और वो इस काम में ही बेहद खुश थे तभी एक्टिंग उनके जीवन में एक हादसे के रूप में आई। उस समय स्टूडियो में एक फ़िल्म की शूटिंग चल रही थी। फ़िल्म के हीरो नजमुल हसन हिरोइन देविका रानी के साथ भाग गए जो की स्टूडियो के हेड हिमांशु राय की पत्नी थीं।

देविका कुछ ही दिनों में अपने पति के पास लौट आईं लेकिन हिमांशु राय ने नजमुल हसन को फ़िल्म से निकाल दिया और लैब असिस्टेंट अशोक कुमार को मुख्य किरदार निभाने का मौका मिला। ये फ़िल्म थी जीवन नैया। इसी साल इन दो कलाकारों के साथ एक और फ़िल्म आई जिसका नाम था अछूत कन्या और ये ब्लॉकबस्टर हिट हुई। कुमुदलाल गांगुली को इसी समय अपना नया नाम मिला (अशोक कुमार)। अशोक कुमार और देविका रानी ने इसके बाद 1941 तक बहुत सारी फ़िल्में साथ कीं और ये एक फ़ेमस ऑन स्क्रीन कपल बन गया।

जब आभास गांगुली ने इंडस्ट्री का रुख किया तब तक अशोक कुमार एक जाने-माने एक्टर बन चुके थे। इन्होंने बॉम्बे टॉकीज़ में एक कोरस सिंगर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। 1946 में एक फ़िल्म आई शिकारी जिसमें अशोक कुमार मुख्य किरदार निभा रहे थे, इसी फ़िल्म ने आभास कुमार गांगुली को किशोर कुमार बना दिया। इसी फ़िल्म में किशोर पहली बार नज़र आए। म्यूजिक डायरेक्टर खेमचंद प्रकाश ने किशोर कुमार को फ़िल्म जिद्दी में अपना पहला गाना गाने का मौका दिया (मरने की दुआएं क्यों मांगूं)। अपने बड़े भाई की मदद से किशोर कुमार को कई फ़िल्में ऑफर हुईं और उन्होंने कुछ में काम भी किया पर वो गाने के प्रति अधिक समर्पित थे।

अशोक कुमार को हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री का पहला एंटी हीरो कहा जाता है। 1943 में ज्ञान मुख़र्जी ने एक फ़िल्म डायरेक्ट की 'किस्मत' इस फ़िल्म ने उस समय सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 1 करोड़ रूपए की कमाई की और इस फ़िल्म ने उन्हें सुपरस्टार बना दिया। वो जहां दिखते लोगों की भीड़ उनके पीछे दौड़ पड़ती थी और भीड़ पर काबू पाने के लिए कई बार पुलिस को लाठीचार्ज भी करना पड़ता था।

इसके बाद अशोक कुमार ने लगातार कई हिट फिल्में दिन जिसमें चल चल रे नौजवान, शिकारी, साजन, महल, संग्राम,समाधि आदि शामिल हैं। देव आनंद, राज कपूर, दिलिप कुमार के साथ कलाकारों की एक नई खेप आ गई और दादामुनि ने मेच्योर रोल्स की तरफ़ अपना रुख कर लिया। इन्होंने ज्वेल थीफ़, आशीर्वाद, पूरब-पश्चिम, पाकीज़ा, खूबसूरत जैसी फ़िल्मों में काम किया और उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार और दादा साहेब फ़ाल्के पुरस्कार से भी नवाज़ा गया। अशोक कुमार ने ही अपनी फ़िल्म ज़िद्दी में देव आनंद को पहला ब्रेक दिया।

किशोर कुमार के गायन के विषय में अलग से कोई बात करने की आवश्यकता नहीं है उन्होंने अपने दौर के हर एक एक्टर के लिए गाने गाए हैं और एक से एक हिट गाने दिए हैं। इनके गानों की एक लंबी फ़ेहरिस्त है। किशोर कुमार के एल सहगल से बहुत प्रभावित थे और उनको अपना गुरु मानते थे। किशोर कुमार ने कभी गाने की कोई ट्रेनिंग नहीं ली। किशोर कुमार यूडलिंग में माहिर थे और गाना ज़िंदगी एक सफ़र है सुहाना इस बात का सुबूत है। उन्होंने एल्विस प्रेस्ली को केवल सुन सुन कर यूडलिंग करना सीख लिया था। एक बार अशोक कुमार को अन्दर से यूडलिंग की आवाज़ आई उन्हें लगा अन्दर कोई इंग्लिश गाना बज रहा है लेकिन जब उन्होंने अंदर जाकर देखा तो पाया कि खुद किशोर ही ये गाना गुनगुना रहे थे।

किशोर कुमार को जब तक पेमेंट नहीं मिल जाता था वो गाना नहीं गाते थे तो इस बात के लिए वो बेहद मशहूर थे। उन्हें इंदिरा गांधी के समय पर दूरदर्शन और रेडियो से सालों के लिए बैन कर दिया गया था क्योंकि उन्होंने उनके एक निजी प्रोग्राम में गाने से मना कर दिया था। वो सेट पर आधे मुंह पर मेकअप लगाकर आ जाते थे और कहते थे आधा पेमेंट तो आधा मेकअप एक बार वो सेट से स्मर्सौल्ट करते हुए बहार चले गए थे क्योंकि डायरेक्टर आर सी तलवार पर उनके 5000 रूपए बकाया थे। डायरेक्टर ऋषिकेश मुकर्जी अपनी फ़िल्म आनंद में किशोर कुमार और महमूद को लेना चाहते थे पर जब वो इस बारे में उनसे बात करने गए तो किशोर कुमार के गेटकीपर ने उन्हें भगा दिया।

किशोर कुमार ने अपने घर के बाहर एक साइन लगा दिया था जिसपर लिखा था 'बीवेयर ऑफ़ किशोर'। एक बार प्रोडूसर-डायरेक्टर एच एस रावल किशोर कुमार को उनका बकाया पैसा लौटाने गए। पैसे देने के बाद जैसे ही वो हाथ मिलाने के लिए आगे बढ़े किशोर कुमार ने उनके हाथ पर काट लिया और वजह पूछने पर कहा तुमने बाहर लिखा हुआ नहीं देखा क्या? ये डायरेक्टर हंसते हुए वहां से उल्टे पांव वापस दौड़ गए। एक बार किशोर कुमार ने बटवब्बल को अपने घर बुलाया। इससे पहले उनके कहने पर किशोर के घर में इनकम टैक्स वाले रेड कर चुके थे। जैसे ही वो वहां आए उन्होंने उनको एक अलमारी में बंद कर दिया और पूरे 2 घंटे बाद निकाला और उनसे कहा दोबार मेरे घर कभी मत आना।

अपने अंतिम दिनों में किशोर कुमार बेहद अकेले हो गए थे। वो कहते थे कि मेरे कोई दोस्त नहीं हैं। उनके बगीचे के पेड़ ही उनके दोस्त थे जिनसे वो अक्सर बातें किया करते थे। आज अशोक कुमार और किशोर कुमार दोनों का ही दिन है। और इन 2 महान कलाकरों को हम कभी नहीं भुला पाएंगे।

https://youtu.be/xlbAlfzIPo0
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