विस्तार
बॉलीवुड में गब्बर के बाद दूसरे सबसे सफल खलनायक के तौर पर अमरीश पुरी आज भी लोगों के जहन में जिंदा है। लंबा चौड़ा क़द, रौबदार आवाज़, डरावने गेटअप और दमदार शख़्सियत के ज़रिए लोगों के दिल में ख़ौफ़ पैदा करने वाले अभिनेता अमरीश पुरी की आज पुण्यतिथि है। लगभग चार दशक तक अपने दमदार अभिनय से खास पहचान देने वाले अमरीश पुरी 12 जनवरी 2005 को इस दुनिया से अलविदा कह गए। उनकी पुण्यतिथि पर जानिए अमरीश पुरी से जुड़ी दिलचस्प बातें।
बचपन से एक्टिंग का शौक
पंजाब के नौशेरां गांव में 22 जून 1932 में जन्में अमरीश पुरी ने अपने करियर की शुरूआत श्रम मंत्रालय में नौकरी से की और उसके साथ साथ सत्यदेव दुबे के नाटकों में अपने अभिनय का जौहर दिखाया। बाद में वह पृथ्वी राज कपूर के पृथ्वी थियेटर में बतौर कलाकार अपनी पहचान बनाने में सफल हुये।
प्रधानमंत्री भी थे 'फैन'
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी गिरीश कनार्ड के नाटक हयवदन देखनी आई थी। उनके पास सिर्फ 20 मिनट का समय था, पर वह इतना प्रभावित हुई कि नाटक पूरा खत्म होने के बाद ही गई और अगले दिन उन्होंने हमें नाश्ते पर आमंत्नित किया। दो तीन बार प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी हमारे नाटक देखने आए थे।
बॉलीवुड में एंट्री
अमरीश पुरी ने अपने फिल्मी कॅरियर की शुरूआत 1971 की "प्रेम पुजारी" से की फिल्म में उनका रोल बहुत छोटा था जिसकी वजह से उनकी प्रतिभा को नहीं पहचाना जा सका वह फिल्म "रेशमा और शेरा" में पहली बार बड़ी भूमिका में नजर आए इस फिल्म में वह पहली बार अमिताभ के साथ नजर आए।
40 की उम्र में डेब्यूट
लगभग 40 साल की उम्र में अमरीश पुरी ने बॉलीवुड में डेब्यूट किया था, फिल्म का नाम 'रेशमा और शेरा' था। उसके बाद अमरीश पूरी ने लगभग 400 फिल्मों में काम किया था।
हीरो बनने आए थे लेकिन....
अमरीश पुरी से जुड़ी सबसे ज्यादा खास बात तो ये है कि वे भारतीय सिनेमा में हिरो बनने आए थे पर हिरो नहीं बन पाए लेकिन खलनायक ऐसे बने की हर हिरो के सामने बहुत दमदार साबित हुए।
इन फिल्मों ने बनाया कामयाब
'निंशात', 'मंथन', 'कलयुग' और 'मंडी' कुली, मेरी जंग, नगीना, लोहा, गंगा जमुना सरस्वती, राम लखन, दाता, त्रिदेव, जादूगर, घायल, फूल और कांटे, विश्वात्मा, दामिनी, करण अर्जुन, कोयला जैसी फिल्मों में काम किया और अपनी अदाकारी का जौहर दिखाकर अपना सिक्का जमाने में कामयाब रहे।
इंटरनेशल लेवल पर बनाई पहचान
अमरीश पुरी ने देश से बाहर भी बहुत काम किया, उन्होने इंटरनेशनल फिल्म "गांधी" में "खान" की भूमिका निभाई जिससे उन्होने खूब तारीफ बटोरी,इसके अलावा उन्होने स्टीवन स्पीलबर्ग की "इंडीयाना जोंस" में एक अहम रोल निभा एक अलग पहचान बनाई ।
'मोगैंबो खुश हुआ'
1987 में शेखर कपूर की फिल्म 'मिस्टर इंडिया' में मोगैंबे की भूमिका के जरिए सभी जेहन में छा गए। इस फिल्म का एक संवाद 'मोगैंबो खुश हुआ' आज भी सिनेमा प्रेमियों के जेहन में ताजा है।
क्लीन शेव का राज़
फिल्म 'इंडिआना जोंस एंड द टेम्पल ऑफ डूम' के लिए अमरीश पुरी ने अपने बाल शेव कराए थे और लोगों ने उनके अवतार को इतना सराहा की उन्होंने अपनी क्लीन शेव हेड की स्टाइल रख ली।
टोपियों के शौकिन
अमरीश पुरी को टोपियों का काफी शौक था, उनके घर में आज भी अलग अलग देशों की बहुत सारी टोपियों का संग्रह है।