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फिल्में हिट होने के बाद कलाकार जितनी तेजी से पॉपुलर होते हैं। एक दो फिल्में फ्लॉप होने के बाद उससे दोगुनी तेजी से भुला भी दिए जाते हैं। ऐसे कई कलाकार हैं जिनकी एक्टिंग और एक्सप्रेसन ने दिलों पर प्रभाव तो बनाया लेकिन कुछ ही समय बाद वह लोगों के दिल और दिमाग से बाहर हो गए। इसी कड़ी में आपको 1999 में रिलीज हुई वास्तव के मशहूर किरदार देढ़ फुटिया के बारे में बताते हैं।
जिन लोगों ने 90 के दशक में अपना बचपन बिताया, उनकी यादों की एल्बम में एक चैप्टर फिल्म 'वास्तव' का भी होगा। वास्तव के पच्चास तोला वाले डायलॉग की नकल बिना बचपन अधूरा मालूम पड़ता है। इस फिल्म में एक किरदार डेढ़ फुटिया का भी था। इस यादगार किरदार को निभाया था संजय नारवेकर ने।
फिल्म वास्तव की कल्पना बिना संजय दत्त और नारवेरकर के अधूरी मालूम पड़ती है। इस फिल्म ने संजय दत्त की जिंदगी बदल दी। लोगों को लगा कि इंडस्ट्री को दो बड़े कलाकार मिल गए लेकिन वास्तव के नारवेरकर पर्दे से गायब ही हो गए। जबकि कई बार खबरें आईं कि संजय नारवेरकर को फिल्में ऑफर हो रही हैं।
दरअसल संजय नारवेरकर ने हिंदी सिनेमा से दूरी बना ली। क्योंकि उन्हें वो तवज्जों नहीं मिल रही थी जिसके वो हकदार थे। लिहाजा नारवेरकर ने हिंदी सिनेमा के बजाय मराठी सिनेमा में अपनी पहचान बना डाली। हालांकि उन्होंने हिंदी धारावाहिकों में छोटे मोटे रोल किए लेकिन उनमें भी वो ज्यादा दिनों तक रूक नहीं पाए।
आज संजय नारवेरकर, मराठी फिल्मों में जाना-माना नाम है। वो वहां छोटे-मोटो रोल नहीं बल्कि लीड किरदार निभाते हुए नजर आते हैं। संजय नारवेरकर का परिवार मुंबई में उन्हीं के साथ ही रहता है। और वो अपने परिवार के साथ काफी खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं।