चाहे वो 2014 की फिल्म हैदर के डॉक्टर साहब हों या फिर हमारी अधूरी कहानी का एसीपी पाटिल हों या फ़ोर्स-2 का अंजन दास। अपने छोटे-छोटे रोल में ही एक कलाकार हमारे आपके दिलों में बस जाता है।
नया साल आया। 2017। 2016 में सबसे ज्यादा चर्चा में रही दो फिल्में रिलीज़ होनी थी। काबिल। रईस। काबिल, साल 2017 में हृतिक रोशन की सबसे बड़ी फ़िल्म। रईस, स्वयं शाहरुख़ खान पर्दे पर लंबे अरसे बाद नेगेटिव से दिखने वाले एक किरदार में नज़र आने वाले थे। लवर बॉय, अपने उस अंदाज़ में वापिस आने वाला था। जिससे उसे बॉलीवुड ही नहीं हिंदुस्तान ने पहचाना था। गुजरात का एक गैंगस्टर।
फिल्म रिलीज़ होने का वक़्त आया। दोनों ही फिल्में जनवरी के आखिरी हफ़्ते में रिलीज़ होती है। बाज़ार में नई बहस छिड़ जाती है। क्या होगा, रईस की रईसी चलेगी या काबिल की काबिलियत? पब्लिक किसे ज्यादा प्यार देने वाली है।
ट्विटर पर भी हृतिक और शाहरुख़ के फैन पगलाए हुए होते हैं। दोनों के बीच बेहतर कौन, बेहतर कौन की बहस चल रही होती है। लेकिन इस पूरी बहस के बीच एक आदमी। चिल्ल मार कर अपनी बालकनी में बैठा ब्लैक कॉफ़ी की सिप ले रहा है। और मुंबई के समुंदर से उठती हल्की भीगी हवा के मजे ले रहा है।
जो अपने साथ समेटे लाती है पूरे बी-टाउन की बहस। लेकिन जैसे ही ये हवा इसके बालों को सहलाते हुए निकलती है। इसके चेहरे पर एक मुस्कुराहाट आ जाती है। होठ अपने आप ही मुड़ने लगते हैं। क्योंकि, ये आदमी होता है, रईस का मूषा भाई। जो रईस को रईस बनाता है। और आखिर में उसके अंत का कारण बनता है। और काबिल का पुलिस ऑफिसर चौबे। जो अपना काम पूरी ईमानदारी से करने की ढोंग करता है। लेकिन, हालात इसे बेईमान बनने ही नहीं देते।