Home Bollywood Narendra Jha Who Was Least Worried About The Release Of Kabil And Raees In The Same Week

काबिल और रईस के एक साथ रिलीज़ होने पर सबसे ज्यादा फ़ायदा इस एक्टर को हुआ

Shivendu Shekhar/firkee.in Updated Mon, 06 Feb 2017 01:22 PM IST
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काबिल
काबिल - फोटो : Video Grab
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चाहे वो 2014 की फिल्म हैदर के डॉक्टर साहब हों या फिर हमारी अधूरी कहानी का एसीपी पाटिल हों या फ़ोर्स-2 का अंजन दास। अपने छोटे-छोटे रोल में ही एक कलाकार हमारे आपके दिलों में बस जाता है। 

नया साल आया। 2017। 2016 में सबसे ज्यादा चर्चा में रही दो फिल्में रिलीज़ होनी थी। काबिल। रईस। काबिल, साल 2017 में हृतिक रोशन की सबसे बड़ी फ़िल्म। रईस, स्वयं शाहरुख़ खान पर्दे पर लंबे अरसे बाद नेगेटिव से दिखने वाले एक किरदार में नज़र आने वाले थे। लवर बॉय, अपने उस अंदाज़ में वापिस आने वाला था। जिससे उसे बॉलीवुड ही नहीं हिंदुस्तान ने पहचाना था। गुजरात का एक गैंगस्टर। 

फिल्म रिलीज़ होने का वक़्त आया। दोनों ही फिल्में जनवरी के आखिरी हफ़्ते में रिलीज़ होती है। बाज़ार में नई बहस छिड़ जाती है। क्या होगा, रईस की रईसी चलेगी या काबिल की काबिलियत? पब्लिक किसे ज्यादा प्यार देने वाली है। 

ट्विटर पर भी हृतिक और शाहरुख़ के फैन पगलाए हुए होते हैं। दोनों के बीच बेहतर कौन, बेहतर कौन की बहस चल रही होती है। लेकिन इस पूरी बहस के बीच एक आदमी। चिल्ल मार कर अपनी बालकनी में बैठा ब्लैक कॉफ़ी की सिप ले रहा है। और मुंबई के समुंदर से उठती हल्की भीगी हवा के मजे ले रहा है।

जो अपने साथ समेटे लाती है पूरे बी-टाउन की बहस। लेकिन जैसे ही ये हवा इसके बालों को सहलाते हुए निकलती है। इसके चेहरे पर एक मुस्कुराहाट आ जाती है। होठ अपने आप ही मुड़ने लगते हैं। क्योंकि, ये आदमी होता है, रईस का मूषा भाई। जो रईस को रईस बनाता है। और आखिर में उसके अंत का कारण बनता है। और काबिल का पुलिस ऑफिसर चौबे। जो अपना काम पूरी ईमानदारी से करने की ढोंग करता है। लेकिन, हालात इसे बेईमान बनने ही नहीं देते। 


 


नरेन्द्र झा। बिहार के मधुबनी में पैदा हुआ लड़का। दिल्ली में आगे की पढ़ाई लिखाई की। जेएनयू से मास्टर्स की डिग्री ली। इतिहास में। और फिर दिल्ली की हवा में तैरने वाले सबसे तीखे नशे का स्वाद चखता है। जिसे थिएटर या एक्टिंग कह सकते हैं। 1992 में मंडी हाउस के श्री राम सेंटर से एक्टिंग का कोर्स किया। फिर मुंबई गया। मुंबई में शुरूआती वक़्त भीड़ में लोगों ने एक्टिंग नसीब नहीं होने दिया। मॉडलिंग का काम मिला। बीसियों विज्ञापन फिल्मों में काम किया।

फिर टीवी में कई सालों तक काम किया। 2002 में 'फंटुश' नाम की एक फिल्म में काम मिला। फिर लंबे वक़्त तक कोई पहचान के लायक काम नहीं। 2014 में विशाल शेखर की फिल्म हैदर में डॉक्टर मीर का किरदार मिला। यहां के बाद लोगों में नरेंद्र झा को जानने की खुसफुसाहट शुरू हुई। 

अब 2017 में जब लोगों ने एक साथ दो बड़ी फिल्में जो साल के शुरुआत में सबसे ज्यादा चर्चा में रहीं। तब लोगों को मूषा और पुलिस ऑफिसर चौबे में एक नया चौंचक कलाकार एक्टर दिख रहा है।  

फिल्म नहीं देखी है तो देखिए। दोनों ही अच्छी फिल्में हैं। मुझे पूरा भरोसा है सिनेमा हॉल से निकल कर अगर आप फिल्म के ऊपर थोड़ी बहुत चर्चा करते हैं तो 'नरेंद्र झा' उर्फ़ मूषा उर्फ़  पुलिस ऑफिसर चौबे का जिक्र जरूर होगा!

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