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सचिन ए बिलियन ड्रीम्स
भारत में अपनी तरह की यह पहली फिल्म है जो करोड़ों लोगों में प्रेरणा भरेगी, इसलिए फिल्म को हमारी तरफ से पूरे पांच स्टार!
2 घंटे 19 मिनट की इस फिल्म में न तो बॉलीवुड या हॉलीवुड जैसा तेवर और कलेवर है और न ही न कोई स्पेशल वीएफएक्स (वीडियो ग्राफिक्स )। फिल्म में इंसानी उत्तेजनाओं को भड़काने वाला कोई 'लव मेकिंग' सीन भी नहीं है, फिर भी जो है, वह सीधे धड़कनों से वास्ता कर लेता है, फिल्म जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, सिनेमा हॉल में बैठा दर्शक भावविभोर होता जाता है। पूरी फिल्म आपको एक ऐसी शख्सियत का परिचय कराती है, जिसके लिए क्रिकेट उसकी ऑक्सीजन और बैट उसके शरीर का अंग है।
22 गज पर 23 साल तक दुनिया के सबसे खतरनाक गेंदबाजों के छक्के छुड़ाने वाले सचिन तेंदुलकर इस फिल्म के जरिये रूपहले पर्दे के किसी भी महानायक से बड़े लगते हैं। क्यों कि यहां न तो फिल्मों जैसी पटकथा है, न ही है उस पटकथा को मूर्त रूप देने वाला एक्टिंग का हुनर ही, है तो बस रियल लाइफ का एक साधारण सा दिखने वाला छोटे कद का आदमी, जिसकी देश के लिए खेलने की कभी न मिटने वाली भूख है और हजारों लोगों से भरे स्टेडियम, जिनमें एक ही ध्वनि रण के शंखनाद की तरह सुनाई देती है... सचिन... सचिन...
डायरेक्टर जेम्स एर्सकिन बड़े ही सरल तरीके से यह बताने में कामयाब हुए हैं कि सचिन पूरे देश को कैसे एक कर देते हैं।
सचिन तेंदुलकर के बारे में उनसी जुड़ी बहुत सी चीजें यूट्यूब पर मिल जाती है, लेकिन फिल्म के जरिये सचिन, उनके पिता रमेश तेंदुलकर, मां रजनी तेंदुलकर, पत्नी अंजलि तेंदुलकर, भाई अजित तेंदुलकर, कोच अचरेकर, उनके करीबी दोस्त, साथी खिलाड़ी, बच्चे सारा और अर्जुन तेंदुलकर और उनसे जुड़े हर खास और आम के जज्बात उन तस्वीरों और वीडियो के जरिये बयां किए गए हैं जिन्हें अब तक सचिन और उनके परिवार ने ही देखा था।
मैदान पर अपने हुनर से तमाम रिकॉर्ड्स बनाकर सचिन ने क्रिकेट जगत में भगवान जैसा दर्जा जरूर पा लिया, लेकिन फिल्म देखने से पता चलता है कि परिवार, उनके कोच और साथियों का योगदान न होता तो शायद ही इस मुकाम पर वह पहुंच पाते। सचिन के पहले अंतर्राष्ट्रीय मैच से लिए उनकी हर कामयाबी और करियर सभी उतार-चढ़ाव और भारतीय क्रिकेट के बुरे दौर के पीछे का सच भी बयां किया गया है, जिससे फैंस अब तक दूर रहे हैं।
फिल्म में सचिन और अंजलि की लव स्टोरी की यादें भी हैं। अंजलि खुद अपने अहसास बयां करती दिखाई देती हैं, वह बताती है कि कैसे एक मेडीसन प्रोफेशनल से लेकर सचिन की पत्नी बनने तक और फिर हर स्थिति में उनका साथ देने की कसौटी पर कैसे डटी रहीं और खरी उतर पाईं। सचिन भी अंजलि से जुड़ी बहुत से बातें बताते हैं।
सबसे खास बात... फिल्म के जरिये पता चलता है कि इतनी शौहरत और दौलत होते हुए भी सचिन इतने शांत और सुलझे हुए किस्म के आदमी कैसे रह पाते हैं, क्यों वह दूसरे खिलाड़ियों के जैसे नहीं लगते। आखिर वह क्या बात है जो सचिन को दुनिया में सिंगल पीस होने का दर्जा देती है जैसे कि कोहिनूर! यह राज आपको फिल्म देखने पर ही पता चलेगा। कुल मिलाकर सचिन पर बनाई गई यह फिल्म कामयाब है और दुनिया भर में उनके फैंस के लिए तोहफा! इसलिए अकेले न जाएं, फिल्म देखने के लिए पूरे परिवार को साथ ले जाएं, उम्मीद है कि फिल्म देखने के बाद आप सचिन की तरह कुछ कर गुजरने का एक स्पार्क लेकर सिनेमा हॉल से बाहर निकलेंगे।