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अगर आप 90 के दशक के बच्चे हैं तो आपका मोगली के साथ एक बेहद ख़ास रिश्ता होगा। एक समय होगा जब बघीरा, बलू और लुई आपके घर के हिस्से रहे होंगे। 'जंगल-जंगल बात चली है पता चला है...' गाना तो हम सभी गुनगुनाते थे, साथ में हमारे मां-बाप भी इस कार्टून को हमारे साथ बैठकर देखते थे।
पिछले साल जंगल बुक हमारे सामने एक बिल्कुल नए अवतार में आई। और इसने आज के बच्चों पर भी अपना जादू बिखेर दिया। इस बार ऑस्कर में इसे बेस्ट वीएफ़एक्स यानी स्पेशल इफेक्ट्स का अवॉर्ड भी मिला है। इस फ़िल्म की कहानी रुडयार्ड किपलिंग के एक उपन्यास से ली गई है। जिसमें एक ऐसे बच्चे की कहानी है जिसे जंगल में भेड़ियों ने पाल पोसकर बड़ा किया होता है। उसके भेड़िये मां-बाप उससे बहुत प्यार करते हैं और उसके छोटे भाई बहन उसे अपनी तरह एक भेड़िया ही मानते हैं।
बघीरा एक काला तेंदुआ होता है जो मोगली का टीचर होता है और उसे जंगल में रहने के तरीके सिखाता है। साथ ही मसखरा बलू मोगली के साथ मिलकर सारे दिन मस्ती करता रहता है। इस कहानी का विलेन है शेर खान। वो मोगली की जान के पीछे पड़ा होता है। इस फ़िल्म की कहानी एक इंसानी बच्चे की जंगल में परवरिश और जीने की जद्दोजहद के इर्द-गिर्द घूमती है।
हम जंगली जानवरों को बेहद खूंखार मानते हैं लेकिन इस फ़िल्म में उनका एक दूसरा चरित्र दिखाया गया है जहां वो एक इंसानी बच्चे से किसी जंगल के बाशिंदे की तरह ही बर्ताव करते हैं और हर सुख-दुःख में उसका साथ देते हैं। ये कहानी भारत के परिदृश्य पर आधारित है।
कहते हैं कि मध्य प्रदेश के एक जंगल से सच में एक ऐसा बच्चा मिला था जिसे कि भेड़ियों ने पाला था। वो बिल्कुल किसी जानवर की तरह ही बर्ताव करता था। इंसानों के बीच आने के कुछ समय बाद ही उसकी मौत हो गई। इसी से प्रेरित होकर रुडयार्ड किपलिंग ने ये कहानी लिखी थी।
भारतीय दर्शकों के लिए ये फ़िल्म इसलिए भी ख़ास थी क्योंकि इसके हिंदी वर्ज़न के लिए कुछ बेहद मशहूर एक्टर्स ने अपनी आवाजें दी थीं। स्वर्गीय ओम पुरी ने बघीरा की आवाज़ दी थी वहीं बलू की आवाज़ इरफ़ान खान ने दी थी। विलेन शेर खान के पीछे नाना पाटेकर की आवाज़ थी तो अजगर की आवाज़ प्रियंका चोपड़ा ने दी थी। ये फ़िल्म 3डी में आई थी और इसने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया।
इस फ़िल्म में एक पुराना मंदिर भी दिखाया गया जिसमें बंदरों का राजा लुइ रहता है और आग हासिल करने के लिए वो मोगली को उठा कर ले जाता है। वो मंदिर देखने में किसी असली मंदिर जैसा ही लग रहा था। इस फ़िल्म की कहानी उस बच्चे के इर्द-गिर्द घूमती है जो शेर खान का पक्का दुश्मन है। वो मोगली को मारना चाहता है लेकिन अंत में मोगली अपने दोस्तों की मदद से जंगल और खुद को बचा लेता है।
इस फ़िल्म के ऑस्कर जीतने पर सभी को बेहद ख़ुशी हुई है क्योंकि किसी न किसी रूप में हर भारतीय इस फ़िल्म से जुड़ा हुआ है। एक तो बड़े कलाकारों ने इसमें अपनी आवाज़ दी है, दूसरा ये कहानी हर उस बच्चे के दिल में बस्ती है जो अब बड़ा हो गया है लेकिन मोगली और उसके साथियों का आज भी उतना ही बड़ा फैन है।