हिंदी फिल्म जगत के शोमैन कहे जाने वाले अभिनेता-निर्माता-निर्देशक राज कपूर के फिल्मी करियर की शुरुआत भी उनकी तरह ही निराली है। उनकी फ़िल्मों में मौज-मस्ती, प्रेम, हिंसा से लेकर अध्यात्म और समाजवाद तक सब कुछ मौजूद रहता था। लेकिन क्या आप उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा सच जानते हैं कि क्यों अपने प्यार नर्गिस से जुदा हो गए राज कपूर। जानिए राज कपूर और नर्गिस की लवस्टोरी का सच:
राज कपूर और नर्गिस 1940-1960 के दशक की बॉलीवुड की सबसे खूबसूरत और पॉपुलर जोड़ियों में से एक है। ये दोनों स्टार्स सिर्फ़ रील लाइफ में नहीं बल्कि रियल लाइफ में भी रोमांटिक कपल थे। वहीं उनकी ऑनस्क्रीन केमिस्ट्री दर्शकों ने खूब पसंद की। नर्गिस ने राजकपूर के साथ कुल 16 फिल्में की, जिनमें से 6 फिल्में आर.के.बैनर की ही थी। इस फेहरिस्त में आग, बरसात, अंदाज़, आवारा, आह, श्री 420, जागते रहो और चोरी-चोरी जैसी यादगार फिल्में शामिल हैं।
लेखक टीजेएस जॉर्ज की किताब 'द लाइफ एंड टाइम ऑफ नर्गिस' के मुताबिक दोनों की पहली मुलाकात का ज़िक्र करते हुए नर्गिस ने अपनी दोस्त नीलम को बताया- नीली आंखों वाला एक मोटा-सा ‘पिंकी’ घर आया था। इस फिल्म की शूटिंग के दौरान नर्गिस और राज एक दूसरे के बेहद करीब हो गए। नरगिस भी राज को पसंद करने लगीं थी। उन्होंने अपनी दोस्त नीलम से कहा था कि पिंकी अब मेरे साथ तरोताज़ा दिखने लगा है।
लेखिका मधु जैन की किताब 'द कपूर्स' के मुताबिक – जब बरसात बन रही थी , नर्गिस पूरी तरह से राज कपूर के लिए समर्पित हो चुकी थीं। यहां तक कि जब स्टूडियो में पैसे की कमी हुई तो नर्गिस ने अपनी सोने की चूड़ियां बेचीं। उन्होंने दूसरे निर्माताओं की फिल्मों में काम करके आर.के फिल्म्स की खाली तिजोरी को भरने का काम किया। आर. के वाकई नर्गिस-राजकपूर का एक बैनर था। वह एक साझेदार थी।
राजकपूर और नर्गिस के बीच अलगाव की पहली दरार रूस यात्रा के दौरान आई। तब तक 'आवारा' रूस की अघोषित राष्ट्रीय फ़िल्म हो चुकी थी। राज कपूर का मॉस्को के ऐतिहासिक 'लाल चौराहे' पर नागरिक अभिनंदन किया गया। उसी रात राज कपूर ने नर्गिस से कहा 'आई हैव डन इट' और इसके पहले हर सफलता पर राज कपूर कहते थे 'वी हैव डन इट'। अनजाने में कहे गए एक शब्द ने उनके संबंधों में दरार डाल दी। वर्षों की अंतरंगता पर यह एक शब्द भारी पड़ गया।
1956 में आई फिल्म 'चोरी चोरी' नरगिस और राजकपूर की जोड़ी वाली अंतिम फिल्म थी। हालांकि राजकपूर की फिल्म 'जागते रहो' में भी नर्गिस ने अतिथि कलाकार की भूमिका निभाई।
कहते हैं जब नर्गिस आरके स्टूडियो और राज कपूर की जिंदगी से निकल गई थीं तब भी कई सालों तक इस कमरे को वैसे ही रखा गया जैसा कि वो छोड़ गई थीं।
1957 में आई फिल्म मदर इंडिया ने नर्गिस के करियर और जिंदगी को एक नया मोड़ दिया। कई साल पहले फिल्म 'आग' के दौरान उनकी जिंदगी में राज कपूर आए थे। अब 11 साल बाद एक और आग लगी और नरगिस की जिंदगी में आए सुनील दत्त। मदर इंडिया के एक सीन को शूट करते हुए जब नर्गिस आग में फंस गईं तो इससे पहले कि कोई दुर्घटना हो पाती सुनील दत्त भागते हुए आए और आग में कूद पड़े। सुनील दत्त ने न सिर्फ़ नर्गिस की जान बचाई बल्कि उनका दिल भी जीत लिया। 11 मार्च 1958 को नर्गिस और सुनील दत्त ने शादी कर ली।
जब उन्हें पता चला कि नर्गिस ने सुनील दत्त से शादी कर ली है तो वो आपे से बाहर हो गए। वह अपने दोस्तों के सामने ही फूट-फूटकर रोने लगे अफवाह तो ये भी थी कि उन्होंने जलती हुई सिगरेट से खुद को जलाकर ये जानने की कोशिश की कि कहीं वो कोई सपना तो नहीं देख रहे।
नर्गिस सुनील द्त के साथ अपनी ज़िंदगी में बेहद खुश थीं लेकिन शादी के कई साल बाद खबर आई कि नर्गिस को कैंसर है। नर्गिस की बीमारी ने पूरे दत्त परिवार को हिलाकर रख दिया। सुनील दत्त ने दुनिया के बेहतरीन डॉक्टरों से उनका इलाज करवाया लेकिन 3 मई 1981 को नर्गिस ज़िंदगी की जंग हार गईं। उनके आखिरी सफर पर अंतिम विदाई देने वालों में राज कपूर भी थे।