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एक समय था जब राम गोपाल वर्मा की फ़िल्में बहुत चलती थीं। उन्होंने रंगीला जैसी कई हिट फ़िल्में दी हैं और उन फ़िल्मों से लोगों का बहुत मनोरंजन किया है। लेकिन जैसे-जैसे उनकी फ़िल्में चलना बंद हुईं, ऐसा लगता है जैसे उनका दिमाग भी चलना बंद हो गया है। वो आए दिन कुछ न कुछ अजीबो-गरीब बातें कर ही देते हैं।
कुछ दिनों पहले बाल दिवस पर भी उन्होंने कुछ बेहद अजीब ट्वीट किए थे जिसमें उन्होंने बच्चों तक को नहीं छोड़ा था। कल महिला दिवस के मौके पर भी वो खुद को रोक नहीं पाए और फिर से अजीबो-गरीब ट्वीट करने शुरू कर दिए। इन ट्वीट को देख कर ऐसा ही लगता है जैसे राम गोपाल वर्मा महिलाओं की इज्ज़त कम और बेईज्ज़ती ज़्यादा कर रहे हैं।
"इस ट्वीट में रामू ने कहा कि मैं आशा करता हूं कि दुनिया की हर महिला पुरुषों को उतनी ही ख़ुशी दे जितनी कि सनी लिओन देती है"
इस बात से रामू का क्या मतलब था? कभी-कभी तो लगता है कि इनकी बातों को डिकोड करने के लिए दूसरी दुनिया के लोगों को उनके ख़ास उपकरणों के साथ बुलाना होगा। ये कहना चाह रहे हैं कि इस देश के हर एक व्यक्ति को सनी लिओन ही चाहिए। इन्होंने सनी लिओन को भी एक वस्तु तक सीमित कर दिया।
क्या राम गोपाल वर्मा ये कहना चाहते हैं कि पुरुषों को एक्ट्रेस के अलावा कोई दूसरा पसंद नहीं आता? या ये कहना चाहते हैं कि दुनिया की हर महिला को किसी एक्ट्रेस की तरह ही रहना चाहिए। असल में बेचारे रामू ने पुरुषों पर ही कटाक्ष करने की बेहद नाकाम कोशिश की है। ऐसा करने की कोशिश में ये साफ़ दिखा रहे हैं कि ये समाज की कैसी समझ रखते हैं।
हर बात में सनी लिओन को घसीटा जाना कहां तक सही है?
"क्या पुरुष दिवस इसलिए नहीं मनाया जाता है क्योंकि साल के बाकी सारे दिन पुरुषों के लिए होते हैं और महिलाओं का केवल एक दिन होता है?"
यकीन मानिए इस सवाल का जवाब चाचा चौधरी भी नहीं दे सकते। इनके इस सवाल को समझने के लिए सबसे पहले तो आपको इनके ट्वीट को 2-3 बार बड़े ध्यान से पढ़ना पड़ेगा। उसके बाद ही आप समझ पाएंगे कि ये सवाल पूछ रहे हैं या बता रहे हैं।
असल में राम गोपाल वर्मा में वो कला है कि ये सवाल पूछने के अंदाज़ में ही आपको ज्ञान परोस देंगे और आपको पता भी नहीं लगेगा।
"महिला दिवस को पुरुष दिवस कहना चाहिए क्योंकि पुरुष महिलाओं को अधिक सेलिब्रेट करते हैं जबकि महिलाएं महिलाओं को कम"
यकीन मानिए इस बात का मतलब समझना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। महिला दिवस महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए मनाया जाता है लेकिन इसे पुरुष दिवस कहा जाना चाहिए। वाह क्या बात है? और ये पुरुष महिलाओं को सेलिब्रेट करते हैं से क्या मतलब है? क्या रामू ये कहना चाहते हैं कि महिलाएं पुरुषों के लिए अधिक माएने रखती हैं?
रामू सर अगर आप घरेलू हिंसा, रेप, इव टीजिंग को सेलिब्रेशन कहते हैं तो ऐसा सेलिब्रेशन हमें नहीं चाहिए।
"कम से कम पुरुष दिवस पर महिलाओं को पुरुषों को बक्श देना चाहिए और उनपर चिल्लाना नहीं चाहिए"
पुरुषों पर चिल्लाना सच में कितनी बड़ी समस्या है इस देश के लिए। सारी दिक्कतें तो इसी ने पैदा कर रखी हैं। अगर महिलाएं पुरुषों पर चिल्लाना बंद कर दें तो महिला संबंधी अपराध बंद हो जाएं। रामू सर आप अपना सेंस ऑफ़ ह्यूमर ट्विटर पर दिखाना बंद कर दीजिए। क्योंकि ये आपके लिए बहुत बड़ी समस्या साबित हो सकती है और हो भी गई है।
आपको बता दें कि अन्य लिओन वाले ट्वीट के लिए उनके ऊपर एफ़आईआर दर्ज करा दी गई है।
"सारे पुरुषों की तरफ़ से मैं महिलाओं को महिला दिवस की शुभकामनाएं देना चाहता हूं"
"मुझे नहीं पता कि महिला दिवस पर पुरुषों को क्या करना चाहिए लेकिन मुझे उम्मीद है कि एक दिन ऐसा आएगा जब महिला दिवस, पुरुष-महिला दिवस के रूप में मनाया जाएगा"
जो बात इन्हें पहले कहनी चाहिए थी वो इन्होंने अब जाकर की। महिला दिवस की शुभकामनाएं देने के बजाए इन्होंने दुनिया भर की अजीबो-गरीब बातें कह डालीं। अब भला कौन महिला दिवस पर इतनी अजीबो-गरीब बातें करता है? लेकिन अंत में फिर वो एक अजीब ट्वीट कर गए।
दूसरे ट्वीट के माध्यम से ये समाज में लिंगभेद को दूर कर देने की बात करना चाहते थे। ये कहना चाहते थे कि एक वक़्त ऐसा आएगा जब इस समाज में पुरुष और महिलाएं एक बराबर होंगी और अलग से महिला दिवस मनाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
रामू सर के इन ट्वीट को पढ़कर समझ में आ जाता है कि अब इनकी फ़िल्में क्यों नहीं चलतीं। इन्होंने शायद अपना दिमाग निकाल कर फ्रिज में रख दिया है।