स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्रता दिवस पर लोग भारत की आजादी का जश्न मनाते हैं। पूरे देश में तिरंगे फहराए जाते हैं। ज़मीन और आसमान से लेकर लोगों के चेहरे तक तिरंगे के रंग से रंगे नजर आते है। आज हम बता रहे हैं भारत की आन बान और शान तिरंगे से जुड़ी ये अहम और रोचक बातें, जिन्हें जानकर आपको अपने भारतीय होने पर गर्व होगा।
पहला ध्वज 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कलकत्ता में फहराया गया था। इस ध्वज को लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों से बनाया गया था। लाल रंग हिन्दुओं और हरा रंग मुसलमानों का प्रतीक था।
राष्ट्रपति भवन के संग्रहालय में एक ऐसा लघु तिरंगा है, जिसे सोने के स्तंभ पर हीरे-जवाहरातों से जड़ कर बनाया गया है।
माउंट एवरेस्ट पर पहली बार तिरंगे को यूनियन जैक तथा नेपाली राष्ट्रीय ध्वज के साथ 1953 में फहराया गया, जब शेरपा तेनजिंग और एडमंड हिलेरी ने माउंट एवरेस्ट पर विजय प्राप्त की।
21 अप्रैल 1996 को स्क्वाड्रन लीडर संजय थापर ने एम. आई.-8 हेलिकॉप्टर से 10000 फीट की ऊंचाई से कूदकर पहली बार तिरंगा उत्तरी ध्रुव पर फहराया।
संसद भवन देश का एकमात्र ऐसा भवन है जहां एक साथ तीन तरंगे फहराए जाते हैं।
बहुत कम भारतीय जानतें होंगे कि राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम के निकट भाटलापेन्नुमारु नामक क्षेत्र में रहने वाले देशभक्त पिंगली वैंकैया ने किया था।
देश बेशक 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया था लेकिन आज़ाद देश में लाल किले से तिरंगे झंडे को सर्वप्रथम नेहरू ने 16 अगस्त 1947 में फहराया था।
भारत में बंगलुरू से 420 किमी स्थित '''हुबली''' एक मात्र लाइसेंस प्राप्त संस्थान है जो झंडा बनाने का और सप्लाई करने का काम करता है। बीआईएस झंडे की जांच के बाद ही बाजार में झंडे को बेचने की आज्ञा दी जाती है।
जब तिरंगा फहराने लायक नही होता है या फिर मृत शरीरों पर से उतारे गए ध्वज हो, दोनों को ही गोपनीय तरीके से पूर्ण सम्मान से जलाया जाता है या फिर नदी में भार बांधकर उसे जल समाधि दे दी जाती है।
भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा चन्द्रमा पर भी फहरा रहा है। 1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा ने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को लेकर अंतरिक्ष के लिए पहली उड़ान भरी थी।
दिसंबर 2014 से चेन्नई में 50,000 स्वयंसेवकों द्वारा मानव झंडा बनाने का विश्व रिकॉर्ड भी भारतीयों के पास ही है।
भारत देश को राष्ट्रीय ध्वज तो मिल गया पर भारतीय जनता को राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा सन् 2002 में नवीन जिंदल की याचिका के बाद मिला। 26 जनवरी 2002 में उस समय के केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय ध्वज संहिता में संशोधन कर देशवासियों को कहीं भी किसी भी दिन आदर और सम्मान पूर्वक फहराने की अनुमति दें दी।
भारतीय संविधान के अनुसार जब किसी राष्ट्र विभूति का निधन होता है व राष्ट्रीय शोक घोषित होता है, तब कुछ समय के लिए ध्वज को झुका दिया जाता है। लेकिन सिर्फ उसी भवन का तिरंगा झुका रहेगा, जिस भवन में उस विभूति का पार्थिव शरीर रखा जाता है। जैसे ही उस विभूति का पार्थिव शरीर अंत्येष्टि के लिए बाहर निकाला जाता है, वैसे ही ध्वज को पूरी ऊंचाई तक फहरा दिया जाता है।
(Credit : FACTS NEWS)
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