Home Featured King Ranjit Singh And Kohinoor

इस सिख राजा की चालाकी से भारत वापस आया था कोहिनूर, लेकिन फिर हाथ से फिसल गया

Updated Sun, 30 Oct 2016 11:34 AM IST
विज्ञापन
Untitled-1
Untitled-1
विज्ञापन

विस्तार

आखिर क्या है कोहिनूर और क्यों इतना मशहूर है यह। इसको लेकर जब तब इतनी चर्चा क्यों होती रहती है? और अगर यह भारत पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह का था तो उनके पास कहां से आया? दरअसल यह कई मुगल व फारसी शासकों से होता हुआ, अन्त में ब्रिटिश शासन के अधिकार में लिया गया, व उनके खजाने में शामिल हो गया। आइए जानते हैं इससे जुड़ी कहानी के बारे में की आखिर ये महाराजा रणजीत सिंह के पास आया कहां से।

महाराजा रणजीत सिंह

Maharaja-Ranjit-Singh-Ji

दरअसल ये बात है सन् 1812 की जब पंजाब पर महाराजा रणजीत सिंह का शासन था। महाराजा रणजीत सिंह शेर-ए पंजाब के नाम से प्रसिद्ध हैं। उस समय महाराजा रणजीत सिंह ने कश्मीर के सूबेदार अतामोहम्मद के शिकंजे से कश्मीर को मुक्त कराने का अभियान शुरू किया था। इस अभियान से भयभीत होकर अतामोहम्मद कश्मीर छोड़कर भाग गया। कश्मीर अभियान के पीछे सिर्फ यहीं एकमात्र कारण नहीं था दरअसल इसके पीछे असली वजह तो था बेशकीमती 'कोहिनूर' हीरा।

बेगम वफा और रणजीत सिंह के बीच कोहीनूर का सौदाGuru-Ji-paintings-(78)

अतामोहम्मद ने महमूद शाह द्वारा पराजित अफगानिस्तान के शासक शाहशुजा (शाहशुजा अहमद शाह अब्दाली का ही वंशज था जिसे की यह हीरा शाहरूख मिर्जा ने दिया था, तब से यह अब्दाली के वंशजो के पास ही था) को शेरगढ़ के किले में कैद कर रखा था। उसे कैद खाने से आजाद कराने के लिए उसकी बेगम वफा बेगम ने लाहौर आकर महाराजा रणजीत सिंह से प्रार्थना की और कहा कि 'मेहरबानी कर आप मेरे पति को अतामोहम्मद की कैद से रिहा करवा दें, इस अहसान के बदले बेशकीमती कोहिनूर हीरा आपको भेंट कर दूंगी।'

रणजीत सिंह ने निभाया अपना वादा

multana

शाहशुजा के कैद हो जाने के बाद वफा बेगम ही उन दिनों अफगानिस्तान की शासिका थी। महाराजा रणजीति सिंह स्वयं चाहते थे कि वे कश्मीर को अतामोहम्मद से मुक्त करवाएं। सही वक्त आने पर महाराजा रणजीत सिंह ने कश्मीर को आजाद करा लिया। उनके दीवान मोहकमचंद ने शेरगढ़ के किले को घेर कर वफा बेगम के पति शाहशुजा को रिहा कर वफा बेगम के पास लाहौर पहुंचा दिया और अपना वादा पूरा किया।

बेगम अपने वादे से मुकरी

ranjit_singh_army_big

राजकुमार खड्गसिंह ने उन्हें मुबारक हवेली में ठहराया। पर वफा बेगम अपने वादे के अनुसार कोहिनूर हीरा महाराजा रणजीत सिंह को भेंट करने में विलम्ब करती रही। यहां तक कि कई महीने बीत गए। जब महाराजा ने शाहशुजा से कोहिनूर हीरे के बारे में पूछा तो वह और उसकी बेगम दोनों ही बहाने बनाने लगे। जब ज्यादा जोर दिया गया तो उन्होंने एक नकली हीरा महाराजा रणजीत सिंह को सौंप दिया, जो जौहरियों के जांच की कसौटी पर नकली साबित हुआ।

चालाकी से हासील किया कोहिनूर

Guru-Ji-paintings-(78)

रणजीत सिंह क्रोध से भर उठे और मुबारक हवेली घेर ली गई। दो दिन तक वहां खाना नहीं दिया गया। वर्ष 1813 की पहली जून थी जब महाराजा रणजीत सिंह शाहशुजा के पास आए और फिर कोहिनूर के विषय में पूछा। धूर्त शाहशुजा ने कोहिनूर अपनी पगड़ी में छिपा रखा था। किसी तरह महाराजा को इसका पता चल गया। उन्होंने शाहशुजा को काबुल की राजगद्दी दिलाने के लिए "गुरुग्रंथ साहब" पर हाथ रखकर प्रतिज्ञा की। फिर उसे "पगड़ी-बदल भाई"(एक रश्म) बनाने के लिए उससे पगड़ी बदल कर कोहिनूर प्राप्त कर लिया।

भगवान जगन्नाथ को अर्पित करना ताहते थे कोहिनूरKohinoor-Diamond

पर्दे की ओट में बैठी वफा बेगम महाराजा की चतुराई समझ गई। अब कोहिनूर महाराजा रणजीत सिंह के पास पहुंच गया था और वे संतुष्ट थे कि उन्होंने कश्मीर को आजाद करा लिया था। उनकी इच्छा थी कि वे कोहिनूर हीरे को जगन्नाथपुरी के मंदिर में प्रतिष्ठित भगवान जगन्नाथ को अर्पित करें। हिन्दू मंदिरों को मनों सोना भेंट करने के लिए वे प्रसिद्ध थे। लेकिन उनकी ये इच्छा पूरी ना हो सकी।

अंग्रेजों भारत से ले गए कोहिनूर

lalqilaconquer

महाराजा रणजीत सिंह की मृत्यु के पश्चात् अंग्रेजों ने सन् 1845 में सिखों पर आक्रमण कर दिया। फिरोजपुर क्षेत्र में सिख सेना वीरतापूर्वक अंग्रेजों का मुकाबला कर रही थी। किन्तु सिख सेना के ही सेनापति लालसिंह ने विश्वासघात किया और मोर्चा छोड़कर लाहौर पलायन कर गया। इस कारण सिख सेना हार गई। अंग्रेजों ने सिखों से कोहिनूर हीरा ले लिया।

और भी हैं कई अपवाद

suing-queen-elizabeth-2-for-stealing-kohinoor-diamond-from-india

कुछ लोगों का कथन है कि दिलीप सिंह (रणजीत सिंह के पुत्र) से ही अंग्रेजों ने लंदन में कोहिनूर हड़पा था। कोहिनूर को 1 माह 8 दिन तक जौहरियों ने तराशा और फिर उसे रानी विक्टोरिया ने अपने ताज में जड़वा लिया।
 

कोहिनूर एक नज़र में

1460361087793

कोहिनूर दुनिया का सबसे मशहूर हीरा है. मूल रूप से आंध्र प्रदेश के गोलकोंडा ख़नन क्षेत्र में निकला था कोहिनूर। मूल रूप में ये 793 कैरेट का था। अब यह 105.6 कैरेट का रह गया है जिसका वजन 21.6 ग्राम है। एक समय इसे दुनिया का सबसे बड़ा हीरा माना जाता था।
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree