विस्तार
अंग्रेज शासन काल से पहले भारत दुनिया का सबसे अमीर देश हुआ करता था। इसी वजह से एक समय भारत को ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाता था।
लेकिन अंग्रेजों के अलावा भी हुई विदेशी लूटपाट ने हमारे देश बड़े-बड़े खजाने खाली कर दिए। भारत से लूटे गए खजाने में विश्व विख्यात कोहीनूर हीरा और तख्त-ए-तौस शामिल भी है।
मगर इस सब के बावजूद भारत में कई खजाने ऐसे भी हैं, जिनकी खोज होनी अभी बाकी है। आज हम आपको बताने वाले हैं कि किस्सों-कहानियों के अनुसार कौनसे खजाने हैं, जिनकी खोज आज तक नहीं हुई हैं:
श्री मोक्कमबिका मंदिर, कर्नाटक
यह मंदिर कर्नाटक के पश्चिमी घाट की कोल्लूर की नीचे हैं।
मंदिर की वार्षिक आय 17 करोड़ है, लेकिन रखरखाव का सालाना खर्च 35 करोड़ रुपए हैं।
मंदिर के पुजारियों के अनुसार ‘नाग’ का चिन्ह होने के कारण मंदिर के नीचे बहुत बड़ा खजाना है।
‘नाग’ मंदिर को बाहरी ताकतों से बचाता है।
अगर खजाने को छोड़ भी दें, तो भी मंदिर में 100 करोड़ रुपए के गहने हैं।
कृष्णा नदी का खजाना, आध्र प्रदेश
दुनिया के सबसे बेहतरीन हीरों का खनन कृष्णा नदी के किनार कोल्लुर में हुआ था। गोलाकोंडा राज्य का यह भाग आज कृष्णा और गुंटूर जिले हैं। माना जाता है कि आज भी हीरे की बहुत बड़ी खेप वहां मौजूद है।
कोहीनूर हीरा भी इसी जगह से आया था।
चारमीनार सुरंग, हैदराबाद
माना जाता है कि चारमीनार और गोलकोन्डा को जोड़ना वाली सुरंग में बहुत बड़ा खजाना छुपा है।
कहानियों के अनुसार इस सुरंग का निर्माण सुल्तान मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने शाही परिवार के लिए करवाया था, जिससे कि जरूरत पड़ने पर वो किले से चारमीनार आसानी से जा सकें।
1936 में निजाम मीर उस्मान अली को एक रिपोर्ट भी दी गई मगर उन्होंने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। माना जाता है कि आज भी सुरंग में खजाना मौजूद है।
नादिर शाह का खजाना
ईरानी आक्रमणकारी नादिर शाह में 1739 में भारत पर हमला किया और 50,000 सैनिकों के साथ दिल्ली में घुसा।
भारी लूटपाट के साथ नादिर शाह ने 20,000-30,000 लोगों का नरसंहार भी किया। कहा जाता है कि लूट इतनी बड़ी थी कि वापस जाते समय उसका खेमा 150 मील लंबा था। एक मनगढंत कहानी के अनुसार, वापस जाते समय उसका कत्ल हो गया था मगर इतिहास के अनुसार 1747 में उसका कत्ल हुआ।
नादिर शाह ने करोड़ सोने के सिक्के, हीरे-जवाहरात से भरी बोरियाँ, पाक तख्त-ए-तौर (जो अब ईरान में हैं) और विख्यात, कोहीनूर हीरा लूटा, जो अब ब्रिटिश राजमुकुट में हैं।
सोनभंदर गुफाएं, बिहार
सोनभंदर गुफाएं बिहार के राजगीर की एक बड़ी चट्टान में मौजूद दो गुफाएं हैं।पश्चिमी शिलालेख के कारण इन्हें ईसा पूर्व तीसरी या चौथी सदी में का माना जात है। माना जाता है कि पश्चिमी कक्षों को रक्षक कक्ष हैं और द्वार राजा बिम्बीसरा के खजाने की ओर जाता है।
लोककथाओं के अनुसार खजाना ज्यों का त्यों पड़ा है। अंग्रेजों ने तोप के द्वारा इसे लूटने का असफल प्रयास किया था।
मीर उस्मान अली का खजाना, हैदराबाद
मीर अली उस्मान हैदारबाद के आखरी निजाम थे। उन्होंने इंग्लैंड के बराबर राज्स पर हुकुमत की। 2008 में फोर्ब्स मैगजीन ने उन्हें 210 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ दुनिया के सर्वकालिक सबसे धनी लोगों में पाँचवे पायदान पर रखा।
कहा जाता है कि उनका खजाना कोठी महल, हैदराबाद के नीचे गढ़ा हुआ है, जहां उन्होंने अपनी अधिकतर जिंदगी बिताई। हालांकि, उनकी संपत्ति का असल हिसाब या आंकलन किसी के पास नहीं।
अलवर का मुगल खजाना, राजस्थान
अलवर का किला दिल्ली से 150 किलोमीटर दूर, राजस्थान के अलवर जिले में हैं। लोककथा के अनुसार, मुगल राजा जहांगीर ने देश छोड़ने से पहले यहां शरण ली थी और अपना खजाना यहीं छुपाया था।
कहा जाता है कि खजाना का बहुत बड़ा हिस्सा अब भी किले में ही छुपा है। मुगल साम्राज्य से पहले भी अलवर का राज्य बेहद संपन्न था। यहां के कप पन्ने से बनाएं जाते थे।
मान सिंह-I का खजाना, जयपुर
जयपुर के राजा मानसिंह-I अकबर की सेना के सेनापति थे। वे अकबर के नवरत्नों में से एक थे।
एक पौराणिक कहानी के अनुसार, 1580 में अफगान विजय के बाद, उन्होंने अकबर को लूट का हिस्सा नहीं दिया और खजाने के जयगढ़ के किले में छुपा दिया।
कुछ लोगों का मानना है कि खजाने को उनके किले के नीचे ही छिपाया गया था। इस बात का प्रामाणिकता इस बात से भी मिलती है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल के समय खजाने की खोज का आदेश दिया था। हालांकि सरकारी रिपोर्टों में इस खोज को व्यर्थ करार दिया गया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि दिल्ली में प्रधानमंत्री के घर तक सेना के टैंकों में खजाने को पहुँचाने के लिए छह महीने तक दिल्ली-जयपुर मार्ग आम जनता के लिए बंद था।
कौनसी कहानी सच है, यह कहना मुश्किल है।
ग्रॉसवेनर का मलबा, दक्षिण अफ्रीका
इस खजाने की खोज करने वालों को शायद भारत से बहुत दूर जाना पड़े। भारत का यह खजाना भारत से बहुत दूर दक्षिण अफ्रीका के पास डूबा। ग्रॉसवेनर को ईस्ट इंडिया कंपनी का सबसे बड़ा और अमीर जहाज कहा जाता है, जो डूब गया।
ग्रॉसवेनर मद्रास से, श्रीलंका से होते हुए, इंग्लैंड के लिए मार्च 1782 में रवाना हुआ। 4 अगस्त, 1782 में केप टाउन, दक्षिण अफ्रीका से 700 मील दूर यह एक चट्टान से टकरा गया।
गुम हुए सामान में 26 लाख सोने के सिक्के, 14000 सोने की सिल्लियां और हीरे, पन्ने, माणक, नीलम से भरीं 19 तिजोरियां थीं, जिनका वजन किसी को भी नहीं मालूम।
हालांकि जहाज के मल्बे में से बहुत छोटा सा हिस्सा मिला, लेकिन बहुत बड़ा खेप की खोज अब भी नहीं हुई है।
पद्मनाभस्वामी मंदिर के तहखाने, केरल
तिरूवनंतपुरम, केरल के श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति मिली जब जून 2011 में इसके एक तहखाने को खोला गया। अधिकारी अंदर का दृश्य देख कर स्तब्ध रह गए।
उस तहखाने में गहने, मुकुट, मूर्तियों के साथ रोजाना इस्तेमाल जाने वाल बर्तन थे। लेकिन यह सब सोने के थे और इनमें कई नगीने भी लगे थे।
तहखाने में मिले इस खजाने की अंतर्राष्ट्रीय कीमक 22 अरब डॉलर आंकी गई। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि दूसरा तहखाना तभी खुलेगा जब पहले तहखाने में मिली संपत्ति का सारा कागजी काम पूरा हो जाएगा।
मंदिर के पुजारियों के अनुसार दुसरे तहखाने में और भी बड़ा खजाना है, जिसकी रक्षा ‘नाग’ करते हैं। इस खोलने से भारी तबाही हो सकती है।
तो आप कौन से खजाने की खोज करने वाले हैं?