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एलिजाबेथ होम्स... नाम शायद नहीं सुना होगा। मगर इनकी कहानी बड़ी दिलचस्प है। 31 साल की उम्र में उन्होंने कुछ ऐसा किया, जो बड़े-बड़े दिग्गज नहीं कर पाते। 19 साल की उम्र में स्टैनफोर्ट छोड़ने वाली एलिजाबेथ आज दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला अरबपति हैं।
ये मुकाम पाने के लिए एलिजाबेथ ने असाधारण तरीके से साधारण काम ही किया। उन्होंने एक कंपनी बनाई, दवाई की कंपनी...
होम्स ने कॉलेज में बचाए पैसों से एक कंपनी खोली – ‘थेरानोस’ और यह कंपनी आज कीमत $9,000,000,000 है...!!
जी हाँ, 9 अरब डॉलर यानि करीब 67 हजार करोड़ रुपए की, जो उन्हें अपने दम पर बनी दुनिया की सबसे कम उम्र की अरबपति महिला बनाती है।
होम्स अपनी कंपनी को जल्द ही भारत में लाना चाहती हैं। उनकी कंपनी उन्हीं के डर से शुरू हुई। सुई और इंजेक्शन से डरने वाली होम्स ने बिन दर्द के खून की जांच करने का तरीका पेटेंट करवाया। अमेरिका में बढ़ते मेडिकल खर्च के कारण होम्स के लिए सबसे बड़ी चिंता कीमत को कम रखने की थी।
थेरानोस अमरेकि में सीरिंज के बगैर की खून की जांच करती है, वो भी मार्केट कीमत से बहुत कम दाम पर। थेरानोस नसों में से खून लेने के बजाय उंगली में सुई चुभा कर जरा सा खून लेती है। कंपनी का दावा है कि वो सामान्य रुप से लिए गए खून के 1000वें भाग से 30 टेस्ट कर सकते हैं।
होम्स का कहना है कि 40% लोग, जिन्हें खून का जांच करवाने के लिए कहा जाता, सुई के डर या फिर महंगे टेस्ट के कारण जांच नहीं करवाते। होम्स का मानना है कि शरीर में इंजेक्शन से खून निकालना एक ‘टॉर्चर’ है, जो इंसान अपने साथ होते हुए देखता है।
हालांकि एलिजाबेथ होम्स के आलोचकों की भी कमी नहीं है। उनते अनुसार वो स्टीव जॉब्स बनना चाहती हैं। उनका पहनावा एप्पल से सह-संस्थापक की तरह ही है। हालांकि कंपनी के बार में ज्यादा जानकारी न होने के कारण उनकी विश्वनीयता पर भी सवाल उठाए जाते हैं।
होम्स का कहना है कि वो कंपनी को कंपीटिशन से बचा रही हैं। एलिजाबेथ होम्स की कहानी एक प्रेरणा है और वो जल्द ही मेडिकल इंडस्ट्री में नई क्रांति ला सकती हैं। आगे-आगे देखिए होता है क्या...