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अकाउंट में आए 40 लाख रुपये से खूब उड़ाई मौज, अब जेल का खाना खाना पड़ता है रोज

टीम फिरकी, नई दिल्ली Published by: Ayush Jha Updated Thu, 19 Sep 2019 01:10 PM IST
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प्रतिकात्मक तस्वीर
प्रतिकात्मक तस्वीर - फोटो : सोशल मीडिया
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अगर आपके अकाउंट में अचानक कहीं से पैसे आ जाएं तो आप क्या करेंगे? अब आपकी आंखों के सामने एक विशलिस्ट आ गई होगी, लेकिन अपनी इन इच्छाओं को दूसरे के पैसों से अम्लीय जामा पहनाने से पहले इस खबर को जरूर पढ़ लें। दावा है कि इस तरह के पैसों का इस्तेमाल करने से पहले दस बार सोचेंगे।

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2012 में तिरुपुर के एलआईसी एजेंट वी गुणाशेखरन के बैंक खाते में गलती से 40 लाख रुपये आ गए थे। उन्होंने यह पता करने की कोशिश नहीं की कि यह पैसे कहां से आए और इसे खर्च कर दिया। गुणाशेखरन और उनकी पत्नी राधा ने इन पैसों से संपत्ति खरीदी और अपनी बेटी की धूमधाम से शादी कर दी। जिसके बाद वह कानून के शिकंजे में आ गए और अदालत ने उन्हें तीन साल जेल की सजा सुनाई। 

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दरअसल, गुणाशेखरन के खाते में आई रकम सांसद और विधायक निधि के तहत लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को दी जानी थी। जिसे कि विभाग द्वारा नागरिक कार्यों पर खर्च करना था। पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने पीडब्ल्यूडी के अधिशाषी अभियंता के स्थान पर गुणाशेखरन का खाता नंबर लिख दिया था। अभियोजन पक्ष के अनुसार गुणाशेखरन का तिरुपुर के कॉर्पोरेशन बैंक की उसी मुख्य शाखा में अकाउंट है जहां अधिशाषी अभियंता का भी है। 

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बेशक रकम को गुणाशेखरन के खाते में जमा किया गया था लेकिन पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को इसके बारे में आठ महीने तक पता नहीं चला। बाद में जब उन्हें अहसास हुआ कि फंड उनके अकाउंट में नहीं पहुंचा है तो उन्होंने कॉर्पोरेशन बैंक के अधिकारियों से संपर्क किया। जिन्होंने कहा कि उन्होंने डिमांड ड्राफ्ट में उल्लिखित अकाउंट में पैसे जमा कर दिए हैं। जब बैंक अधिकारियों ने गुणाशेखरन के खाते को चेक किया तो पता चला कि रकम जमा होने के कुछ दिनों के अंदर ही उसे निकाल लिया गया है। 

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कॉर्पोरेशन बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों ने गुणाशेखरन से कहा कि वह उन पैसों को अपने खाते में जमा करें ताकि वह उसे सही जगह भेज सकें लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाए। जिसके बाद 2015 में सहायक महाप्रबंधक नरसिंह गिरी ने तिरुपुर शहर के केंद्रीय क्राइम ब्रांच में गुणाशेखरन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने दंपति के खिलाफ धारा 403 और 120 बी के तहत मामला दर्ज किया। इसलिए कहा जाता है कि भईया दूसरों के पैसों से मौज उड़ाने से पहले दस बार सोचो वरना लेने के देने भी पड़ सकते हैं। 

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