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फेसबुक चाहे कितने भी हथकंडे अपना ले लेकिन लगता है की यहां ट्राई उसकी दाल नहीं गलने देगा। कई दिनों से चल रही बहस में टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने नेट न्यूट्रैलिटी के सपोर्ट में फैसला लिया है। ट्राई के चेयरमैन राम सेवक शर्मा ने कहा कि भारत में इंटरनेट डेटा के डिफरेंट प्राइस नहीं हो सकते हैं। इस फैसले से फेसबुक के फ्री इंटरनेट बेसिक सर्विस को करार झटका लगा है।
निर्देश न मानने पर 5 लाख तक जुर्माना
ट्राई के चेयरमैन का कहना है की, सर्विस प्रोवाइडर अलग-अलग कंटेंट के लिए डिफरेंट टैरिफ नहीं ले सकते हैं। इसको लेकर नोटिफिकेशन भी जारी किया गया। जो तुरंत प्रभाव से लागू हो गया है। यदि कोई सर्विस प्रोवाइडर ऐसा करता है, तो ट्राई उसे ट्रैरिफ वापस लेने के ऑर्डर दे सकता है। यदि कोई सर्विस प्रोवाइडर नियमों का वॉयलेशन करता है तो उसे हर दिन के 50 हजार से 5 लाख रुपए तक देना पड सकता है।
इसके अलावा टेलीकॉम कंपनियों को वाट्सऐप या ट्विटर जैसी कंपनियों के लिए अलग डाटा पैकेज को बंद करने के लिए भी कहा गया है।
ट्राइ ने डेटा सर्विस के लिए डिफरेंट रेट के लिए लोगों से सजेशन मांगे थे। इसके लिए अपनी वेबसाइट पर कंसल्टेशन पेपर डाला था। ट्राई के अनुसार, 24 लाख लोगों ने इस पर अपने रिएक्शन दिए हैं। रिलायंस के फ्री बेसिक्स सर्विस को और एयरटेल के जीरो सर्विस को होगा नुकसान।
इमरजेंसी में कम कर सकते हैं टैरिफ
ट्राई ने साफ किया कि इमरजेंसी के दौरान प्रोवाइडर चाहें तो टैरिफ प्लान्स कम कर सकते हैं, वहीं आम दिनों में टैरिफ स्थान, सोर्स और ऐप्लिकेशन पर निर्भर नहीं करेंगे।
आखिर है क्या ये फ्री बेसिक्स सर्विस?
इस सर्विस को कोई भी यूजर्स अपने एंड्राइड स्मार्टफोन पर यूज कर सकता है। यहां उसे लिमिटेड सर्विस मिलेंगी। बता दें कि फेसबुक ने पहले इस सर्विस को internet.org के नाम से लॉन्च किया था। लेकिन, कई एक्सपर्ट्स ने इसे नेट न्यूट्रैलिटी के खिलाफ बताया था। और नेट इस पर बहस शुरू हो गई थी।
विरोध के बाद फेसबुक ने internet.org को Free Basics इंटरनेट के नाम से पेश किया। internet.org को 2014 में लॉन्च किया गया था। फेसबुक सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने एक पोस्ट में कहा था 'कम्युनिकेशन को बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया गया है। इससे एजुकेशन, हेल्थ और जॉब में बहुत मदद मिलेगी।' रिलायंस ने फ्री बेसिक्स को पिछले साल अक्टूबर में लॉन्च किया था।
कोई भी मोबाइल यूजर्स फेसबुक की फ्री बेसिक्स ऐप के जरिए फेसबुक, न्यूज, क्रिकेट, जॉब्स, ट्रेन, फ्लाइट्स शेडयूल, हेल्थ, एस्ट्रोलॉजी, ओएलएक्स जैसी सीमित साइट्स और एप्स को फ्री में एक्सेस कर सकते हैं। यूजर्स को इनका इंटरनेट चार्ज भी नहीं देना होगा।
क्या है नेट न्यूट्रैलिटी?
Net Neutrality मतलब की अगर आपके पास इंटरनेट प्लान है तो आप हर वेबसाइट पर हर तरह के कंटेंट को एक जैसी स्पीड के साथ एक्सेस कर सकें। न्यूट्रैलिटी के मायने ये भी हैं कि चाहे आपका टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर कोई भी हो, आप एक जैसी ही स्पीड पर हर तरह का डेटा एक्सेस कर सकें। कुल मिलाकर, इंटरनेट पर ऐसी आजादी जिसमें स्पीड या एक्सेस को लेकर किसी तरह की कोई रुकावट न हो।
Net Neutrality टर्मिनोलॉजी का इस्तेमाल सबसे पहले 2003 में हुआ, तब कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर टिम वू ने कहा था कि इंटरनेट पर जब सरकारें और टेलीकॉम कंपनियां डेटा एक्सेस को लेकर कोई भेदभाव नहीं करेंगी, तब वह Net Neutrality कहलाएगी।
नेट कम्युनिटी का दावा है कि अगर कंपनियों फ्री बेसिक्स जैसा मॉडल अपनातीं तो यूज़र्स को हर एक्स्ट्रा साइट या ऐप के लिए अलग चार्ज देना पड़ता या उन्हें नेट की स्पीड काफी कम मिलती।
TRAI ने क्या किया?
ट्राइ ने डेटा सर्विस के लिए डिफरेंट प्राइस के लिए लोगों से सजेशन मांगे थे। इसके लिए अपनी वेबसाइट पर कंसल्टेशन पेपर डाला था। इसमें 20 तरह के सवालों के जवाब लोगों से मांगे गए थे। कई अवेयरनेस ग्रुप ने इन्हें सिम्प्लीफाई करने के टूल्स भी बना लिए थे। 6 लाख से ज्यादा लोगों ने ट्राई को नेट न्यूट्रैलिटी के फेवर में अपने जवाब भेजे थे।
पहले भी उठा था मामला
इसके पहले एयरटेल ने अपने यूज़र्स के लिए ‘एयरटेल ज़ीरो’ प्लान का फ्लिपकार्ट जैसी कुछ कंपनियों के साथ करार किया था। बताया गया था कि यह प्लान लेने से यूज़र्स कुछ ऐप्स का फ्री में इस्तेमाल कर पाएंगे। ऐसे ऐप्स का चार्ज यूज़र से न लेकर उन कंपनियों से लिया जाएगा जिनका एयरटेल से करार होगा। इसका इंटरनेट कम्युनिटी ने विरोध किया। मामला इतना उठा कि कई लोगों ने फ्लिपकार्ट के ऐप्स ही डिलीट कर दिए।