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18 साल के रिकार्दो इझेक्सों दोस सान्तोस लेइत दो महीने बाद टूटी गर्दन के ठीक होने पर फील्ड में उतरे और 10 गोल दाग दिए। यह का ब्राजील के फुटबॉल प्रेम की जिद थी, उसका जूनून था और उसकी जरूरत थी मेडिकल सेवा जीतने की ताकी वो अपने लोकल क्लब की जूनियर टीम का हिस्सा बन सके।
जो दौड़ फुटबॉल की फील्ड में वापसी के लिए शुरू हुई, फीफा वर्ल्ड कप तक चली और दुनिया के सबसे यादगार फुटबॉलरों में एक बन कर खत्म हुई
रिकार्दो इझेक्सों दोस सान्तोस लेइत ब्राजील के फुटबॉलर हैं, जिन्हें दुनिया काका के नाम से जानती है। इनका नाम इतना मुश्किल था, कि इनके बड़े भाई इनका नाम ठीक से नहीं ले पाते थे, इसलिए वो उन्हें काका बुलाते थे और फिर दुनिया भर में इन्हें काका कहा जाने लगा।
लोकल क्लब में खेलने का चाहत रखने वाले काका 2002 की वर्ल्ड चैंपियन ब्राजील टीम का हिस्सा थे और दो बार मैन ऑफ द मैच भी बने। 2007 में काका को ‘प्रो वर्ल्ड प्लेयर ऑफ ईयर’, ‘बेस्ट इन वर्ल्ड’ और ‘फीफा प्लेयर ऑफ द ईयर’ चुना गया।
मगर काका अपनी कामयाबी के पीछे एक शख्स को बहुत मानते हैं। वो हैं ईसा मसीह
वो कहते हैं, “मेरे पास सब कुछ है – नाम, शौहरत और दौलत। मगर फिर भी लोग पुछते हैं कि मुझे अब भी ईश्वर की जरूरत क्यों है? इसका जवाब साफ है कि उनके बिना मैं कुछ नहीं। बाइबल मुझे वो सब करने का ताकत देती है, जो मै करता हूँ। उस दौर के बाद फुटबॉल खेल पाना ईश्वर का ही तोहफा है। लोग मानते हैं कि मैं उस हादसे के बाद ईसाई बना, मगर ऐसा नहीं है। मेरे माता-पिता ने हमेशा मुझे बाइबल का ज्ञान दिया। 12 साल की उम्र में ईसाई बनने के बाद, मेरी जिंदगी में ईश्वर के साथ कई अलग अनुभव जुड़े।”
काका के अनुसार अंग्रेजों ने फुटबॉल को जन्म दिया, मगर ब्राजील ने इस परफेक्ट किया। लंबे कद, शानदार काठी और बेहतरीन लुक्स के धनी काका कहते हैं यदि ब्राजील की इसमें महारथ नहीं होती, तो वो सबसे ज्यादा वर्ल्ड कप कैसे जीतता।
सुपरस्टार की छवि रखने वाले काका लाइमलाइट और नाइटलाइफ से दूर भागते हैं। काका आध्यात्म और ईसा मसीह से जुड़े हैं।
काका कहते हैं उन्हें सब ईसा ने दिया है, इसलिए वो ईसा के ही हैं....
Happy Birthday Kaka