विस्तार
68 साल पहले धरती का स्वर्ग कहे जाने वाला कश्मीर आज ही के दिन भारतीय गणराज्य का हिस्सा बना था। लंबी जद्दोजहद के बाद कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 के तहत दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर कर इसे कानूनी अनुमति दी थी। पढ़िए हमेशा से सुर्खियों और विवाद में रहने वाली इस खूबसूरत जन्नत के बारे में कुछ दिलचस्प आंकड़े:
खूबसूरती के दीवाने
मुगल शासक शासक जाहंगीर ने कश्मीर की सुंदरता से प्रभावित होकर इसे धरती का स्वर्ग कहा था। कश्मीर से उसकी दीवानगी का पता इससे लगाया जा सकता है कि जहां औरंगजेब अपने दौर में सिर्फ एक बार यहां आया, वहीं जाहंगीर ने 13 बार इसकी यात्रा की। मशहूर सूफी संत और कवि अमीर खुसरो ने खूबसूरत शब्दों के साथ कश्मीर के बारे में कहा कि "गर फिरदौस बर-रूऐ जमीं अस्त...हमी अस्तो, हमी अस्तो, हमी अस्त..!!!" (अगर धरती पर जन्नत है, तो वो यहीं है, यहीं है, यहीं है)
अशोक से मिली पहचान
9वीं शताब्दी में बौद्ध राजा अशोक ने सबसे पहले श्रीनगर को कश्मीर घाटी को जम्मू-कश्मीर की राजधानी के तौर पर स्थापित किया था।
मंगोलों का कब्ज़ा
14वीं शताब्दी में मंगोल राजा शम्सशुद्दीन शाह मीर ने कश्मीर में अशोक की सत्ता को पराजित कर अपना परचम लहराया और राज्य में पहले इस्लामिक शासन की नींव रखी।
हाउसबोट की शुरुआत
कश्मीर में मशहूर हाउसबोट परंपरा की शुरुआत हांजी समुदाय ने की। ब्रिटिश दौर में उन्होंने अंग्रेज़ और भारतीय पर्यटकों के लिए पानी में तैराने वाली खूबसूरत बोट बनाई क्योंकि उन्हें राज्य में जम़ीन खरीदने की इजाज़त नहीं थी।
अलग संविधान और झंडा
भारत का हिस्सा होने के बावजूद इसे विशेष राज्य का दर्जा हासिल हैं जिसके कारण देश से अलग इसका अपना संविधान है। इसके अलावा इसका अपना झंडा भी है। लाल और सफेद रंग का बना ये झंडा इसकी विशिष्ट पहचान जाहिर करता है।
एशिया का स्विटज़रलैंड
इस देश तक नहीं बल्कि इसकी खूबसूरती का खर्चा दुनिया भर में है इसलिए इसे एशिया के स्विटज़रलैंड जैसे शब्दों से व्याख्यायित किया जाता है। इसके अलावा इसे नेचर्स- शो विंडो भी कहा जाता है।
दो राजधानी
संविधान के तहत जम्मू-कश्मीर की दो राजधानी सुनिश्चित की गई हैं। 6-6 महीने के लिए सर्दियों में जम्मू और गर्मियों में श्रीनगर राजधानी घोषित की गई। दोनों शहरों में विधानसभा का सत्र चलता है।