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देश की वह पहली महिला जिसने अंतरिक्ष को छुआ और करोड़ों महिलाओं की प्रेरणा बन गई हैं। ये वही कल्पना चावला हैं जिसे आज भी याद करके हर भारतीय का सीना चौड़ा हो जाता है।
साल 2003 में अंतरिक्ष की ये परी, हमेशा के लिए एक चमकते हुए तारे में तब्दील हो गई। जानिए हरियाणा के छोटे से गांव से नासा तक का सफ़र तय करने वाली कल्पना चावला की उड़ान के बारे में...
बचपन से था उड़ने का सपना
हरियाणा के करनाल जिले में 1 जुलाई, 1961 कल्पना का जन्म हुआ था। वह अपने परिवार के चार भाई बहनों में सबसे छोटी थी। कल्पना चावला ने बचपन से ही उड़ने का सपना देखा था। कल्पना उस करनाल शहर में जन्मीं, जिसमें उस समय में भी फ्लाइंग क्लब हुआ करते थे।
वह जब छोटी थीं तो वह और उनका भाई साइकिल चलाते समय ऊपर उड़ते विमानों को बड़ी हसरत भरी निगाह से देखा करते थे। उस वक्त कल्पना पिता से पूछा करती थीं कि क्या वह भी इन विमानों में बैठकर उड़ सकती हैं? पिता भी उनके मन को समझकर फ्लाइंग क्लब ले जाया करते और पुष्पक विमानों में बैठाकर घुमाया करते।
करनाल से नासा तक
कल्पना अपने बचपन में ही अंतरिक्ष में घूमने के सपने देखती थीं। 8वीं पास करने के बाद ही उन्होंने इंजीनियरिंग करने की ठानी। उन्होने करनाल के टैगोर स्कूल से स्नातक और चंडीगढ़ से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की थी। इसके बाद वह उच्च शिक्षा के लिए टेक्सास विश्वविद्यालय गई, जहां से उन्होंने एरोस्पेस इंजीनियरिंग में एमए किया। 1988 से ही कल्पना चावला ने नासा के एम्स रिसर्च सेंटर में काम करना शुरू किया। 1995 में उनका चयन बतौर अंतरिक्ष-यात्री किया गया।
नासा में चयन
1994 में नासा ने कल्पना का चयन किया और मार्च 1995 में अंतरिक्ष यात्रियों के 15वें ग्रुप में उनको अंतरिक्ष यात्री के रूप में चयनित किया। जॉनसन स्पेस सेंटर में एक साल के प्रशिक्षण के बाद वह अंतरिक्ष यात्री के प्रतिनिधि के रूप में तकनीकी क्षेत्रों के नियुक्त की गईं।
पहली अंतरिक्ष यात्रा
कल्पना चावला की पहली अंतरिक्ष यात्रा एसटीएस-87 कोलंबिया स्पेस शटल से शुरु हुई। यह यात्रा 19 नवंबर से लेकर 5 दिसंबर, 1997 तक जारी रही। कल्पना चावला अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली भारतीय मूल की पहली महिला बन गई थीं।
आखरी अंतरिक्ष यात्रा
कल्पना चावला की दूसरी और अंतिम उड़ान 16 जनवरी, 2003 को कोलंबिया स्पेस शटल से आरंभ हुई। यह 16 दिन का मिशन था। इस मिशन पर उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर लगभग 80 परीक्षण और प्रयोग किए। वापसी के समय 1 फरवरी 2003, को शटल दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से कल्पना समेत 6 अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई।
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