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जोहरा सहगल बॉलीवुड की कई फिल्मों और टीवी शो में दमदार किरदार निभा चुकी हैं, लेकिन हर कोई इन्हें क्यूट दादी के रूप में ज्यादा जानते हैं। 27 अप्रैल 1912 को जन्मीं जोहरा सहगल के जन्मदिन पर जानिए उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें।
चली गई थी आंख की रोशनी
जोहरा सहगल का असली नाम साहिबजादी ज़ोहरा बेगम मुमताजुल्ला था। जब जोहरा एक साल की थी तो उनकी बांई आंख की रोशनी चली गई। उस समय तीन लाख पाउंड खर्च कर लंदन के एक अस्पताल में इलाज कराया गया और आंख की रोशनी लौटी।
लड़कों जैसी शरारत
जोहरा की पढ़ाई लड़कों के स्कूल में हुई इसलिए उनका स्वभाव अल्हड़ और खिलंदड़ था। वह स्कूली दिनों में पेड़ों पर चढ़ जाया करती और लडकों जैसी शरारत करती थी।
करियर की शुरुआत
जोहरा सहगल ने अपना करियर कोरियोग्राफर के रूप में शुरू किया था। अपनी युवावस्था में आठ साल तक उदय शंकर के नर्तक दल में शामिल होकर दुनियाभर में अपनी नृत्य कला का प्रदर्शन करती रहीं। आजादी के बाद बारह साल तक पृथ्वी थिएटर के माध्यम से भारत के अनेक शहरों में नाटकों में अभिनय किया।
हिन्दू से की शादी
जोहरा ने इन्दौर के रुढ़िवादी हिन्दू परिवार के युवक कामेश्वर से शादी की थी। वह उनसे आठ साल छोटे थे। दोनों परिवारों का विरोध था, फिर भी वे शादी के बंधन में बंध गए। कामेश्वर वैज्ञानिक होने के साथ अच्छे रसोइए थे।
सारी रात सड़कों पर नाची
कामेश्वर और जोहरा विभाजन के बाद बंबई पहुंच गए, जबआ जादी का जुलूस निकला तो जोहरा सारी रात सड़कों पर जुलूस के साथ नाचती रहीं। उस समय फिल्मकार ख्वाजा अहमद अब्बास ने उन्हें भारत की 'इसाडोरा डंकन' कहा था।
102 साल की जोहरा
जोहरा ने 60 साल से अधिक अभिनय जीवन जिया। 50 से अधिक देशी-विदेशी फिल्में और टीवी सीरियलों में दर्शकों का मन मोहती रहीं। ज़ोहरा को विशेष रूप से ‘भाजी ऑन द बीच’ (1992), ‘हम दिल दे चुके सनम’ (1999), ‘द करटसेन्स ऑफ बॉमबे’ (1982) ‘बेंड इट लाइक बेकहम’ (2002), ‘दिल से'(1998) और ‘चीनी कम’(2007) जैसी सुरपहिट फिल्मों में बेहतरीन अभिनय के लिए जाना जाता है। उनकी आखिरी फिल्म ‘चीनी कम’ और ‘सांवरिया’ रही थी। 102 साल की उम्र मे जोहरा ने दुनिया को अलविदा कह दिया, लेकिन आज भी उनकी फिल्मों में उनके किरदार लोगों को हसां जाते हैं।