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आकाश को सबसे पहले छूने का श्रेय यूरी गागरिन को जाता है। आज से 55 साल पहले 12 अप्रैल, 1961 को 27 साल के पायलट ने अंतरिक्ष में कदम रख कर इतिहास रच दिया था। वह पहले शख्स थे जिन्होने दूसरे अंतरिक्ष यात्रियों को प्रेरणा दी, गागारिन ने पृथ्वी का एक चक्कर लगाकर अंतरिक्ष में मानव उड़ान के युग की शुरुआत की थी। इसलिए हर साल 12 अप्रैल को इंटनेशनल डे ऑफ ह्यूमन स्पेस फ्लाइट मनाया जाता है। चलिए जानते हैं 12 अप्रैल के इतिहासिक दिन के बारे में रोचक बातें।
12 अप्रैल 1961 को रूसी-सोवियत पायलट गागरिन अंतरिक्ष अंतरिक्ष पहुंचाने वाला यान वोस्तोक रवाना हुए। जाते वक्त उनके पहले शब्द थे "पोयेख़ाली" जिसका अर्थ होता है "अब हम चले"। ये दुनिया के लिए ऐसा समय था जब कोई भी से नहीं जानता था कि अंतरिक्ष में भारहीनता की स्थिति में पहुंचने पर गागरिन को क्या होगा।
रुसी वैज्ञानिकों को इस बात का डर था कि गागरिन भारशून्यता की स्थिति में बेहोश हो सकते हैं। लेकिन गागरिन ने कहा कि भारशून्यता की स्थिति उन्हें अच्छी लग रही है। यूरी ने पृथ्वी की कक्षा में 108 मिनट तक चक्कर लगाया। वो 203 मील की उंचाई पर 27000 किलोमीटर प्रतिघंटे की तेज गति का सामना किया।
मजेदार बात ये है कि यूरी गैगरिन को उनकी कम ऊंचाई के कारण ही इस अभियान के लिए चुना गया था। उनकी ऊंचाई मात्र पांच फुट दो इंच थी। वहीं गागरिन अंतरिक्ष की यात्रा कर दुनिया भर में हीरो बन चुके थे। गागरिन को ऑर्डर ऑफ लेनिन और सोवियत संघ के हीरो के सम्मान से सम्मानित किया गया, स्मारक बनाए गए और सड़कें उनके नाम पर कर दी गईं। ये वह मौका था जब अंतरिक्ष में सोवियत संघ पहला इंसान भेज कर अमेरिका को तगड़ा झटका दे चुका था।
यूरी के बारे में एक बात मशहूर है, जब वह 6 साल के थे तब दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उनके घर पर एक नाजी अधिकारी ने कब्जा कर लिया था। इसलिए उनका परिवार दो साल तक झोपड़ी में रहा। 1955 में सारातोव शहर में उन्होंने कास्टिंग टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा लिया। साथ ही, वहां के फ्लाइंग क्लब में भर्ती हो कर विमान चलाना भी सीखने लगे। लेकिन मिग-15 ट्रैनिंग जेट हादसे का शिकार हो गया, जिसमें यूरी गैगरिन की मौत हो गई।