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क्वीन विक्टोरिया भारत की पहली महारानी बनी। क्वीन विक्टोरिया का जन्म 24 मई 1819 को हुआ। 1857 की क्रांती के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी को खत्म कर दिया गया और भारतीय उपमहाद्वीप ब्रिटिश साम्राज्य के आधीन हो गया। इससे पहले 18 साल की विक्टोरिया को युनाइटेड किंग्डम की महारानी का ताज पहनाया गया। 4 लाख लोग इस इतिहास के साक्षी बने।
1837 से लेकर 1901 तक क्वीन विक्टोरिया की हुकुमत रही, जो मौजूदा क्वीन एलिजाबेथ-II के बाद दूसरा सबसे लंबा शासन काल है। जन्म के 197 साल के बाद, यह कहा जा सकता है कि इंडिया में फेमिनिज़्म का पहला उदाहरण थी।
क्वीन विक्टोरिया बेबाक, तेजतर्रार शख्सियत थी, मगर उनका कद बमुश्किल ही पाँच फुट से ज्यादा था। कुछ लोगों का कहना है वो काफी मोटी भी थी। इस बाद का अंदाजा उनके नीलाम हुए कपड़ो से लगाया जा सकता है।
विक्टोरिया अपने पति प्रिंस एल्बर्ट से पहली बार 16 साल की उम्र में मिली। एल्बर्ट उनके ममेरे भाई थे। उन्होंने 1839 में अल्बर्ट से शादी कर ली। अपनी डायरी में विक्टोरिया ने एल्बर्ट के बारे में काफी कुछ लिखा था। प्रेग्नेंसी में मोहभंग होने के बावजूद क्वीन विक्टोरिया के 9 बच्चे थे। इसे वो डार्क साइड वो शेडो मानती थी।
क्वीन विक्टोरिया अपने पिता की इकलौती संतान थी। 1820 में उनके पिता ड्यूक ऑफ केंट, एडवर्ड की मृत्यु हो गई। तब उनकी उम्र एक साल भी नहीं थी। 1861 में टायफायड के कारण प्रिंस एल्बर्ट की मौत के बाद वो भी सिंगल मदर बन गई। हालांकि वो ताउम्र उनके शोक से नहीं निकल पाए।
क्वीन विक्टोरिया की हत्या की कोशिश 6 बार की गई। ज्यादातर तब, जब वो अपनी गाड़ी में होती थीं। 1840 में लंदन में पहली बार उन पर हमला हुआ। फिर 1842, 1849 और 1850 में भी उनकी गाड़ियों पर हमला हुआ। अंतिम हमला 1882 में हुआ जब एक कवि ने महारानी को मारने की कोशिश की।
इंडिया के तत्कालीन कैपिटल कलकत्ता में भारत की पहली महारानी क्वीन विक्टोरिया के नाम पर विक्टोरिया मेमोरिया बना है, जो किसी भी महिला के नाम पर भारत में पहला स्मारक है। मार्बल से बना यह म्युजियम 1906 में बनना शुरू हुआ और 1921 में बन गया।
कमाल है न... एक औरत वो सब कर चुकी जिसकी बात हम आज करते हैं। यानि 197 साल पहले ही इंडिया महारानी के रूप में मिल गया फेमिनिज़्म का बड़ा उदाहरण