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भारत में लोहड़ी का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ये पर्व फसल पकने पर किसान की खुशी को जाहिर करता है तो वहीं जोश व उल्लास को दर्शाते हुए सांस्कृत्तिक जुड़ाव को दर्शाता है। पंजाब और हरियाणा में विशेष रुप से इस त्योहार को मनाया जाता है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि क्यों बनाया जाता है लोहड़ी का त्योहार? पंजाबियों में लोहड़ी मनाने की बहुत सारी मान्यताए प्रचलित हैं। जानिए लोहड़ी की अनेक मान्यताएं।
मुस्लिम डाकू दुल्हा बत्ती
यह त्योहार दुल्हा बत्ती की प्रशंसा में मनाया जाता है, जो राजा अकबर के समय में एक मुस्लिम डाकू था। वह अमीर लोगों के घरो से धन चोरी करता था और गरीब लोगों को बांट देता था। वह गरीब लोगों और असहाय लोगों के नायक की तरह था, उसने विभिन्न लड़कियों के जीवन को बचाया जो अजनबियों द्वारा जबरन अपने घर से दूर ले जायी गयी थी। उसने असहाय लड़कियों की उनके विवाह में दहेज का भुगतान करके मदद की। तो, लोगो ने गरीब लोगों की गयी बहुत सारी मदद गरीब लोगों के लिए गये उसके महान कार्यों के लिए दुल्हा भट्टी की प्रशंसा मे लोहड़ी त्योहार मना रहा शुरू कर दिया।
भगवान सूर्य
लोहड़ी दक्षिण से उत्तर की दिशा में सूर्य की गति को इंगित करती है और कर्क रेखा से मकर रेखा को प्रवेश करती है। लोहड़ी त्योहार भगवान सूर्य और आग को समर्पित है। यह हर पंजाबी के लिए सबसे खुशी के मौकों में से एक है। सूर्य और आग ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत को दर्शाते है और साथ ही आध्यात्मिक शक्ति को भी जिसे लोग आशीर्वाद पाने के लिए पूजा करते है। लोग अपने देवताओ को मूंगफली, मिठाई, पॉपकॉर्न, तिल, चिरवा, रेवङी गजक, आदि के रूप में कुछ खाना-चढ़ाते है। यह दोनों धर्मों (सिखों और हिंदुओं) के लोगों द्वारा मनाया जाता है।
कबीर की पत्नी
यह माना जाता है कि नाम लोहड़ी शब्द "लोई" (संत कबीर की पत्नी) से उत्पन्न हुआ था। हालांकि, कुछ मानते है कि यह शब्द "लोह" (चपाती बनाने के लिए प्रयुक्त उपकरण) से उत्पन्न हुआ था।
होलिका की बहन
लोहड़ी का त्योहार मनाने का एक और विश्वास है, कि लोहड़ी का जन्म होलिका की बहन के नाम पर हुआ लोग मानते है कि होलिका की बहन बच गयी थी, हालांकि होलिका खुद आग मे जल कर मर गयी। इस त्योहार मनाने का एक और कारण है कि लोहड़ी शब्द तिलोरही (तिल का और रोरही एक संयोजन) से उत्पन्न हुआ था। किसान नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत के रूप में लोहड़ी मनाते हैं।