विस्तार
महिलाओं को लेकर बॉलीवुड हमेशा से संजीदा रहा है, हालांकि ये बात अलग है कि उस पर खुद पर हीरो प्रधान इंडस्ट्री होने का आरोप लगता रहा है। खैर, आज उन फिल्मों की बात कर रहे हैं जिन्हें हर भारतीय महिला को देखनी चाहिए। इन फिल्मों में महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार और दुर्भावना को दिखाया गया है। और महिलाएं किस तरह से अपना हिसाब पूरा करती हैं, ये भी दिखाया जा चुका है।
कहते हैं मॉडलिंग के रास्ते ही बॉलीवुड का दरवाजा खुलता है। इस फिल्म ग्लैमरस और जगमगाती दुनिया के पीछे की बजबजाती हुई सड़ांध और उसमें फंसी महिलाएं आप देख सकेंगे।
प्रियंका चोपड़ा की शानदार फिल्म, जिन्दगी में जिंदादिल मगर प्यार में मायूस। सात खून माफ की सुजाना (प्रियंका चोपड़ा) फैशनेबल है, बोल्ड है, अमीर और शातिर महिला प्यार कीतलाश में 6 मर्दों से मोहब्बत करती है और शादी भी करती है। लेकिन कोई पति जालिम निकलता है तो कोई नशेड़ी, कोई शायर है, तो कोई बेवफा। कोई सुजाना के पैसों में दिलचस्पी रखता है, तो कोई ब्लैकमेलर होता है। सुजाना भी अपनी मर्जी की मलिक होती है। जब हर पति से निराशा हाथ लगती है, तो इन्हें ठिकाने लगा दिया जाता है।
वो करें तो रासलीला और मैं करु तो कैरेक्टर ढीला... पर सीधा कटाक्ष किया था विद्या बालन की फिल्म ने। द डर्टी पिक्चर 80 के दशक में साउथ की सिल्क स्मिता के जीवन से प्रभावित है। यह सफर है एक गरीब लड़की रेशमा से सेंसेशनल स्टार सिल्क बनने का और फिर उसके नीचे गिर जाने का। वह डांसर जो मौका मिलते ही अपनी सेंसेशनल अदाओं से फिल्म इंडस्ट्री को बता देती है कि उसमें स्टार बनने का मसाला कितना कूट-कूट कर भरा है। एक बारगी ये फिल्म आपको चीप और भद्दी भी लग सकती है लेकिन देखते-देखते आपको सिल्क की मजबूरी और उसके दर्द का एहसास होगा।
फूलन देवी के जीवन पर आधारित इस फिल्म का निर्देशन शेखर कपूर ने किया था। इसमें एक गांव की लड़की की दास्तान को दिखाया गया है कि कैसे एक मासूम, निर्मल लड़की, समाज और कानून के अत्याचारों के बाद डकैत बनकर हिसाब पूरा करती है और फिर राजनीति में उतरकर खुद के दामन पर लगे दाग भी धोती है।
4 अलग अलग महिलाओं की कहानी है जो इस पुरुष प्रधान समाज के निशाने पर आ जाती हैं। कुछ परिस्थितियों के बाद चारों महिलाएं एक साथ आ जाती हैं और फिर सबसे डटकर
मुकाबला करती हैं।
इस फिल्म में जुबैदा, एक हिंदु युवराज की दूसरी बीवी बन जाती है। इसके बाद जुबैदा की जिंदगी उसे इस फैसले पर दोबारा सोचने के लिए मजबूर कर देती है। और दूसरी बार आए मौके को जुबैदा जाने नहीं देती है।
बार डांसर्स की जिंदगी पर बनी यह फिल्म, आपके सामने उस समाज की सच्चाई ला देगी जो खुद को व्हाइट कॉलर होने का दावा करता है।
इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक महिला समाज से न्याय के लिए लड़ती है।
फिल्म बनी तो हॉकी पर है लेकिन यह फिल्म आपको सभी खेलों में महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव पर गहराई से सोचने को विवश करती है।
भारतीय इतिहास की सबसे शानदार फिल्मों में शुमार मदर इंडिया में एक गरीब और बेसहारा महिला की भीतरी मजबूती को दिखाया गया है। दिखाया गया है कि कैसे एक महिला किसी भी परिस्थिति में झुकती नहीं है और अपने दिए हुए वचन को निभाने के लिए अपने जिगर के टुकड़े पर भी बंदूक चला देती है।