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एंबुलेंस नहीं मिली तो खुद रिक्शा चलाकर पिता को अस्पताल ले आई बेटी, बहन थकी तो भाई ने थामा हैंडिल

टीम फिरकी, नई दिल्ली Updated Fri, 16 Nov 2018 01:35 PM IST
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Daughter - फोटो : Amarujala
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व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लगाने वाली यह तस्वीर आपको सामान्य लग सकती है लेकिन इसकी हकीकत जानने के बाद सड़ चुके सिस्टम की सड़ांध को सूंघ कर नाक-मुंह सिकोड़ने लगेंगे। जहां सरकारें गांवों को शहर बनाने की बात कह कर तारीफें और तालियां बंटोर रही हैं वहीं रोजाना ऐसी खबरें सामने आती हैं जिनको पढ़ने के बाद दिमाग परेशान और मन हैरान हो जाता है। 

फोड़े के कारण कई दिनों से बीमार चल रहे पल्लेदार ने गुरुवार सुबह दवा खाई तो उसका रिएक्शन हो गया। हालत इतनी बिगड़ी कि घर पर मौजूद उसकी पत्नी और बच्चों में चीख पुकार मच गई। 108 नंबर मिलाया गया, लेकिन फोन नहीं उठा। कई बार के प्रयास के बाद भी जब बात नहीं हो सकी तो मजबूर बच्चे अपने पिता को रिक्शे पर लिटाकर अस्पताल को चल दिए। जिला अस्पताल दूर था इसलिए सरायमीरा के एक डॉक्टर से इलाज कराया।  

कन्नौज शहर के मानपुर मोहल्ला निवासी शेर सिंह (45) पल्लेदारी करता है। करीब 15 दिनों से उसकी कमर में फोड़ा है। उसने जिला अस्पताल में इलाज कराया। लेकिन हालत में सुधार नहीं हुआ। इसके बाद उसने एक प्राइवेट डॉक्टर से इलाज कराना शुरू किया। शेर सिंह की पत्नी रेखा ने बताया कि सुबह पति ने दवा खाई तो उनकी हालत बिगड़ गई। पति कुछ बोल नहीं पा रहे थे। यह देख घर में चीख पुकार मच गई। अस्पताल पहुंचाने के लिए 108 एंबुलेंस पर कॉल की गई लेकिन फोन नहीं उठ सका।

इसके बाद बेटी सपना और बेटे गोलू ने पति को हाथ रिक्शे पर लादा और जिला अस्पताल के लिए चल दिए। अस्पताल दूर होने के कारण कुछ लोगों की सलाह पर वह पति को लेकर सरायमीरा स्थित डॉक्टर के पास पहुंची। इलाज के बाद कुछ सुधार हुआ और डॉक्टर ने घर भेज दिया। 

13 साल की सपना और 10 साल का गोलू जब पिता को लेकर अस्पताल के लिए निकले तो पहले सपना ने रिक्शा चलाना शुरू किया। कुछ दूर जाने पर जब सपना थक गई तो गोलू ने रिक्शे का हैंडल खुद थाम लिया। मां रेखा भी पीछे धक्का लगाकर मदद करती रही। 

यह गंभीर बात है। मामले की जानकारी हुई है। हालांकि अभी पीड़ित परिवार नहीं मिला है। यदि लिखित शिकायत मिलती है तो इसकी जांच कराकर शासन को पत्र लिखेंगे। एंबुलेंस सेवा मरीजों के लिए ही है, उन्हें हरहाल में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना विभाग की जिम्मेदारी है। पूरे मामले की जांच कराई जाएगी।  

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