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मुबारक हो राष्ट्रवादियों, इस लड़की ने अपनी हार मान ली है!

Shivendu Shekhar/firkee.in Updated Tue, 28 Feb 2017 08:47 PM IST
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गुरमेहर
गुरमेहर - फोटो : source/twitter
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विस्तार

'सूरज में लगे धब्बा फ़ितरत के करिश्मे हैं
बुत हमको कहें काफ़िर अल्लाह की मरज़ी है' 


अकबर इलाहाबादी ने मोहब्बत में डूबे लेकिन समाज से दुत्कार दिए गए लड़कों के लिए लिखा था। लेकिन हमने इसे 'गुरमेहर कौर' के लिए लिखा है। दिल्ली के लेडी श्री राम कॉलेज में इंग्लिश लिट्रेचर पढ़ने वाली 20 साल की लड़की। जिसे आज देशभर के लोग जानते हैं। ट्विटर पर उसके नाम का #हैशटैग ट्रेंड कर रहा है। लेकिन, आज हमने उसे हार कर मजबूर हो कर अपने शहर वापिस जाने पर विवश कर दिया। लेकिन, इस सब के बीच हम हार गए ये हमें समझ ही नहीं आया। 

रामजस कॉलेज में पिछले हफ्ते एक सेमीनार होना था। जिसमें JNU से कुछ लोग बोलने आने वाले थे। कोई भाषणबाजी नहीं थी बाकायदा अकादमिक इवेंट की तरह था वो। फिर वहां एबीवीपी और दूसरे छात्र संगठनों के बीच झड़प हो गई।  यहां तक कि कुछ लड़कियों तक पर भी हाथ छोड़े गए। 

इसके बाद छात्रों के अलग-अलग तरह का विरोध शुरू हुआ। इसी क्रम में गुरमेहर कौर ने भी सोशल मीडिया पर विरोध की जमीन बनाई। इसके बाद हमने उसे हर तरफ़ से कुरेद कर नोच-नोच कर भकोसने का इंतज़ाम कर लिया। धमकियां मिलीं, रेप तक की। लेकिन, वो डरी नहीं, वो तब भी लड़ी। उसने अपने हिस्से की बहस जारी रखी। उसने खुल कर बोलने की आज़ादी के अपनी इस समझ को भी बखूबी इस्तेमाल किया। लेकिन, अंततः वो एक लड़की है और हमने उसे चारो तरफ से इस कदर घेरा कि आज वो अपने देश में ही असुरक्षित महसूस कर रही है।  

24 फ़रवरी को सोशल मीडिया पर उसने अपनी लड़ाई शुरू की। उसने वही किया जो उसकी जगह पर होने वाले हर एक छात्र को करना चाहिए था। उसने क्या ही गलत कहा था, वोइलेंस कोई विरोध का तरीका नहीं? उसने क्या ही गलत कहा था, मैं ABVP से नहीं डरती? जो आप लोगों ने एक सिरे से उसे घेर लिया। 

 




आज वो भले ही देशभर की लड़कियों की नज़रों में हीरो दिख रही हो। क्योंकि हमारी परंपरा है ये, हम सोशल मीडिया और न्यू मीडिया के दौर में जी रहे हैं। हम तुरंत ही किसी को भी स्टार बना देते हैं और फिर उसे दुनियाभर से लड़ने के लिए अकेला भी छोड़ देते हैं। वास्तव में हम उसे स्टार नहीं बना रहे होते हैं बल्कि हम उसे एक झुंझलाई हुई भीड़ के बीच छोड़ देते हैं। 

जैसे ही लोगों की नज़र में गुरमेहर की ट्वीट आई। लोगों ने इसके सपोर्ट में और जवाब में ट्वीट करने शुरू किए। लेकिन, पिछले साल भी गुरमेहर से एक गलती हो गई थी। पता है वो गलती क्या थी? 

गुरमेहर के पिता कैप्टन मनदीप सिंह कारगिल में शहीद हुए थे। उसने एक वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर डाला था।वीडियो में उसने अपने पिता की मौत के लिए, जो कि देश के नाम शहीद हुए थे, युद्ध को जिम्मेवार ठहराया था। लोगों ने ढूंढ निकाला। उसका स्नेपशॉट निकालकर ट्विटर पर घुमाया गया। क्यों? क्योंकि, इसने एक विशेष तरह की सोच के खिलाफ़ अपनी आवाज़ उठाई थी। इसने घुटने टेकना मंजूर नहीं किया।  

 


मजाक उड़ाने की हद्द: 


 




बड़े-बड़े एक्टर और क्रिकेटर ने भी हंसी उड़ा दी। बिना ये सोचे कि इस विपरीत परिस्थिति में भी ये अकेली लड़की अब भी डटी है क्या ये कम है? 

और अंत में हमने उसे इतना झकझोर दिया कि मंगलवार की सुबह उसने खुद की शुरू की गई लड़ाई से ही खुद को अलग कर लिया और लौट गई पंजाब अपने घर, सब छोड़-छाड़ कर। 

अपने आखिरी ट्वीट में आज ही गुरमेहर ने लिखा, "ये एक गुज़ारिश है, कृपया मुझे अकेला छोड़ दें। मेरे वॉल और फ़ोन पर अनाप-सनाप लिखना बंद कर दें..." 

 


इस ट्वीट के पहले एक और ट्वीट आई थी। वो भी देखते जाएं। 

"एक बात तय है, अगली बार से हम वोइलेंस और धमकी तक पहुंचने से पहले दो बार सोचेंगे। यही थी मेरी लड़ाई।"  

  


गुलमेहर तुम एक बेहद ही शक्तिशाली और निडर लड़की हो, तुमने अपने हिस्से की लड़ाई लड़ी। बस, एक बात सीलती है, हम इतने कमजोर निकले कि तुम्हें मैदान छोड़ कर जाने तक को मजबूर कर दिया। 

अंत में पाश की लिखी दो पंक्तियां: 

'मेहनत की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे ख़तरनाक नहीं होती
सबसे ख़तरनाक होता है मुर्दा शांति से भर जाना...'

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