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कहानी: सरप्राइज गिफ्ट

Apoorva Pandey/ firkee.in Updated Thu, 11 May 2017 04:02 PM IST
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relationship - फोटो : huffingtonpost
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विस्तार

आज हम आपको एक कहानी सुनाने जा रहे हैं। कहानी, जिससे आप शायद खुद को जोड़ सकेंगे, जिसे पढ़कर आपको लगेगा कि कभी न कभी आपका जीवन भी इसी तरह की परिस्थितियों से होकर गुजरा है। इस कहानी का नाम है 'सरप्राइज गिफ्ट'। यह कहानी हमें लिख भेजी है भावना पालीवाल ने जो पेशे से शिक्षिका हैं।



शबनम के निकाह को दो साल पूरे होने जा रहे थे। इस बीच में उसने अपने शौहर के साथ जिंदगी के उतार चढ़ाव देखे थे और दोनों ने उन हालातों से जंग भी खूब की थी। निकाह के दो साल बाद भी दोनों के पास सेविंग्स के नाम पर दो हजार रुपये भी न थे। वे दोनों हनीमून मनाने भी गए जहां दोनों ने एक दूसरे को और अच्छे से जाना, लेकिन उसका खर्च भी शबनम के पिता की देन थी और उसकी हर तंगी में पिता ने पूरा सहयोग किया। शबनम के निकाह के 1 साल बाद ही उसके पिता अल्लाह को प्यारे हो गए और घर में एक भैया भाभी थे जो अब शबनम की मदद कर सकते थे, लेकिन पिता के मरते ही उन्होंने बहन से नाता तोड़ दिया।

फिरोज ने शबनम से निकाह करने के लिए अपने घरवालों से सारे रिश्ते तोड़ दिए थे। मिल जुल कर बस दोनों अपना वक़्त गुजार रहे थे। फिरोज की एक सच बोलने की आदत पर शबनम जैसे फिदा थी,लेकिन फिर भी कभी-कभी फिरोज को अपने शक्की मिजाज का शिकार बना देती। फिरोज भी शबनम को बेइंताह मोहब्बत करता था। पर फिरोज की कुछ अजीब हरकतें शबनम को उस पर शक करने पर मजबूर कर देती थी। फिरोज की यह अजीब हरकतें उसको नौकरी में मिल रहे उतार चढ़ाव की वजह से होती थीं, लेकिन इस बात से अनजान शबनम फिरोज की परेशानियों को पता लगाने की तलाश में दिन-रात लगी रहती लेकिन हाथ कुछ आता न था।

निकाह के बाद किये गए फिरोज के वादों पर शबनम का यकीन कभी डगमगाया नहीं था। यूं तो शबनम को प्यार की कमी न थी, लेकिन प्यार से घर के आर्थिक जरूरतों का खामियाज़ा तो नहीं किया जा सकता था। फिर भी दोनों हंसी खुशी गुजारा कर रहे थे। फिरोज की कम सैलरी में वह बस घर खर्च ही देख पाते थे। उनके पास इतने पैसे भी नहीं होते थे की अपने लिए भी कुछ खर्च कर पाते। अगर इस महीने एक जोड़ी चप्पल खरीदी है, तो एक जोड़ी कपड़े खरीदने के लिए 3 या 4 महीने तक रुकना पड़ता था। निकाह से पहले सजाये गए एक लड़की के ख्वाब अनमोल से होते हैं, जिसमें वह अपने शौहर को उसकी हर जरूरत को पूरा करते देखती है। शबनम का खुद की इच्छाओं पर काबू भी गजब था, वह कभी कोई फरमाइश फिरोज के सामने नहीं रखती थी।

शबनम ने फिरोज को बहुत बार परेशान भी देखा था, लेकिन वह उससे कभी उसकी परेशानियों का जिक्र नहीं करती थी। फिरोज ने अपने 33 वर्ष के उम्र में कई नौकरियाँ बदली थी, लेकिन अभी भी अपनी जरूरतों पूरा करने लायक नहीं बन पाया था। लेकिन उसकी मेहनत में कोई कमी नहीं थी। बस इंसान को किस्मत से पहले और जरुरत से ज्यादा नहीं मिलता हैं, ऐसा ही कुछ फिरोज का हाल था। शबनम कर भी क्या सकती थी वह तो बस 10वीं पास थी।

शबनम का शक्की मिजाज जो उसने अपने अंदर कभी नहीं देखा था। न जाने क्यों फिरोज को उसने इसका हिस्सा बना दिया था। वह खुद भी इस बात को बार-बार सोचती लेकिन इस शक की वजह से कितनी बार दोनों में झगड़े होते थे। शबनम के चीखने-चिल्लाने से फिरोज को सख्त नफरत थी। उसे शबनम की आंख में आया एक आंसू भी बुरा लगता था। लेकिन शबनम अपने स्वाभाव को बदलने में बार-बार नाकामयाब होती थी। 

जहां फिरोज का नेचर बड़ा ही शांत था, लेकिन जब वह किसी बात पर रूठता तो शबनम मनाते-मनाते हार जाती थी। वहीं दूसरी ओर, शबनम का गुस्सा पल भर का भी नहीं होता था और वह झट से मान भी जाती थी, वो पागल थी फिरोज के लिए। शबनम अलग-अलग ढंग से अपना प्यार जता देती थी। दूसरी ओर फिरोज ऐसा कुछ भी नहीं करता था। कभी कभी शबनम एक आई लव यू सुनने को तरस जाती थी, उसका मन करता की अगर फिरोज दफ्तर में बिजी है तो मैसेज करके तो बोल सकता है, मगर वो ऐसा कुछ नई करता था। बस यूं ही दो साल कैसे गुजरने को हो गया। इस बीच शबनम की पड़ोस में एक सहेली भी बनी जिससे वह कभी कभार अपना मन हल्का कर लेती। शबनम ने रीमा को बताया की वह अपनी शादी की सालगिराह पर फिरोज को सरप्राइज देना चाहती है तो वह क्या करे। उसने रीमा को यह भी बताया की उनकी आर्थिक स्तिथि भी अच्छी नहीं है, अगर फिरोज की भी अच्छी सैलरी वाली नौकरी होती तो मैरिज एनिवर्सरी सेलिब्रेट करने का मजा ही कुछ होता।

रीमा का हसबैंड एक एमएनसी में जॉब करता था और उसने थोड़े दिन पहले रीमा से अपनी कंपनी में निकली कुछ जगहों के बारे में जिक्र किया था। रीमा ने यह बात शबनम को बताई तो रीमा ने कहा इनमें से फिरोज एक जॉब के लिए सूटेबल हैं अगर तुम बोलो तो में बात करती हूं। शबनम ने तुरंत हां कर दी और फिरोज के रिज्यूमे की एक कॉपी रीमा को थमा दी। रीमा ने अगले ही दिन वह कॉपी अपने हस्बैंड को दे दी और कहा की देख लो अगर फिरोज की जॉब यहाँ लग जाए तो एक और परिवार जी उठेगा।

कुछ दिन बाद फिरोज के पास एक एमएनसी से इंटरव्यू कॉल आता हैं, लेकिन वह समझ नहीं सका की उसने तो कहीं अप्लाई भी नहीं किया तो कॉल कैसे आया। उसने यह बात शबनम को नहीं बताई और कॉल आने के दो दिन बाद वह बन-ठन के इंटरव्यू के लिए जाने लगा तो शबनम को कुछ शक-सा हुआ। उसने पूछा भी कहां की तैयारी हो रही हैं, लेकिन फिरोज ने कह दिया की आज ऑफिस में एक फेयरवेल पार्टी हैं। शबनम को लगा कि कहीं घर से बाहर तो इनका कोई अफेयर तो नहीं हैं। शबनम पूरे दिन बेचैन रहीं क्योंकि पहले भी पार्टी होती थी ऑफिस में मगर फिरोज की उनमें कोई बड़ी रूचि नहीं होती थी।

इंटरव्यू के दो हफ्ते बाद फिरोज को एक मेल आता हैं जो की ऑफर लेटर था न्यू ज्वॉइनिंग के लिए, उसमे लिखा था की आपको कंपनी प्रोडक्शन मैनेजर नियुक्त कर रही हैं 40 हजार की सैलरी पर। फिरोज की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था, उसने घर जाकर शबनम को सब बात बता दी। तब शबनम को याद आया की यह तो रीमा के हसबैंड की कंपनी हैं। शबनम ने फिरोज से कहा की यह सब रीमा की मदद से हो पाया हैं शुक्रिया करना है तो उसे करो। फिरोज ने रीमा और उसके पति को घर पर बुलाकर के उन्हें धन्यवाद दिया। 

आज शबनम फिरोज की दूसरी सालगिरह है और वो दोनों डिनर के लिए बाहर गए तो रीमा को एक आइडिया आया और उसने कहा कि तुम बस मुझे अपने घर की चाबी दे जाना बाकी सब मैं देख लुंगी।

शबनम ने शाम को जाते वक़्त रीमा को चाबी दे दी। फिरोज ने शबनम को उसका मनपसंद खाना खिलाया और उसे एक गुलाब का फूल भी दिया। शबनम ने भी फिरोज को एक प्यारी सी घड़ी तोहफे में दी। शबनम इस खूबसूरत शाम के सपनों में हिलोरे ले रही थी। उसके लिये वह अब तक का सबसे खूबसूरत दिन था। लौटते वक्त वह अपने सरप्राइज के बारे में सोच रही थी जो रीमा की मदद से उसने फिरोज के लिये प्लान किया था। शबनम ने रीमा को मिस कॉल देकर आगाह कर दिया की वे दोनों घर पहुंचने ही वाले हैं। जब फिरोज ने दरवाजा खोला तो घर में अँधेरा था मगर कही झरोखे से कुछ रोशनी आ रही थी, तो फिरोज अपने बेडरूम में पंहुचा और देखता है की बहुत सारी कैंडल्स जली हुई हैं और दो कैंडल लैंप उसके बेड के सिराहने पर रखे थे जिनमें जल रहे दिये से बेडरूम जगमगा रहा था।

बेड पर नई चादर बिछी हुई थी और उसके ऊपर दो गुलाब के फूल एक दूसरे को क्रॉस करते हुए रखे थे। शबनम और फिरोज दोनों का मन रोमांटिक हो गया। उस पल की यादों को कैद करने के लिए फिरोज ने कैमरे को ऑटोमेटिक मोड पे डाल के अलग-अलग पोज में अपनी और शबनम तस्वीरें निकाली। शबनम ने गुलाब की पंखुड़ियों को तोड़ के बेड पर एक दिल बनाया और एक बार फिर दोनों ने एक दूसरे से प्यार का इज़हार किया। फिरोज ने शबनम को इस खूबसूरत शाम को और रंगीन बनाने के लिए शुक्रिया कहा। 

कभी-कभी कुछ लोग फरिश्ते बनकर आते हैं और हमारी सारी परेशानियों को ख़त्म कर देते हैं। ऐसे ही फिरोज और शबनम के लिए रीमा और उसका पति खुशियां लेकर आए।  

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