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ऊपर जो तस्वीर में दिख रही हैं। वो हैं जयम्मा भंडारी। आंध्र प्रदेश के नलगोंडा की रहने वाली जयम्मा सेक्स वर्कर्स के लिए मसीहा हैं। जयम्मा भंडारी, चैतन्य महिला मंडली (सीएमएम) नाम से एक संस्था चलाती हैं। यह संस्था सेक्स वर्कर्स का जीवन बदलने के लिए काम करती है। संस्था सेक्स वर्कर्स को मुख्यधारा में लाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई प्रकार के कार्यक्रम चलाती है। अभी तक जयम्मा 5,000 से ज़्यादा महिलाओं और 3,500 से ज़्यादा बच्चों की बदहाल ज़िंदगी का स्वरूप बदल चुकी हैं।
दअसल, जयम्मा की खुद की जिंदगी ही ने उसे ये करने के लिए प्रेरित किया। हुआ यूं कि जयम्मा जब तीन साल की थीं, तो वह अनाथ हो गईं। इसके बाद उसकी परवरिश का जिम्मा रिश्तेदारों पर आ गया। लेकिन रिश्तेदार उसे बोझ समझने लगे। उन्होंने जयम्मा की छोटी ही उम्र में शादी कर दी। लेकिन ससुराल में जयम्मा को सुख न मिला। उसका पति बहुत मारपीट करता था। यहां तक कि पैसे के लालच में उसका शोषण होने लगा। फिर एक दिन पति ने उसे जिस्मफरोशी के धंधे में धकेल दिया। लेकिन जयम्मा बहुत संघर्षों के बाद किसी तरह उनके चंगुल से निकलने में कामयाब हो गईं। यहीं से जयम्मा ने फैसला लिया कि अब वह अपने जैसी शोषित और पीड़ित महिलाओं की मदद करेंगी।
इसी फैसले के सफर में जयम्मा की मुलाकात जय सिंह से हुई। जय सिंह से मुलाकात के बाद जयम्मा का आत्मविश्वास और बढ़ा। इसके बाद जयम्मा ने चैतन्य महिला मंडली की स्थापना की। एक इंटरव्यू में जयम्मा ने बताया कि किस तरह उन्होंने सेक्स वर्कर्स को सिखाया कि वे अपनी पिछली ज़िंदगी के सदमे से निकलकर, नई शुरुआत कर सकती हैं और अपना भविष्य बेहतर बना सकती हैं। जयम्मा के साहसिक कार्यों की वजह से उसे राष्ट्रपति ने सम्मानित भी किया है।