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एक नई पहल और कुछ बदलाव लाने की फिराक में कई लोग कुछ भी कर जाते हैं। साथ ही वह अपने दमदार जज्बे से लोगों के लिए एक अलग मिसाल भी खड़ा कर जाते हैं। ऐसी ही एक महिला ने साड़ी को खास पहचान दिलाने के लिए दौड़ लगाई। हैदराबाद की इस महिला ने मैराथन में साड़ी पहन कर
42 किलोमाटर दौड़ लगाई।
महिला का नाम जयंती संपत कुमार है। दरअसल जयंती संपत हैंडलूम साड़ी को बढ़ावा देने के लिए मैराथन में साड़ी पहनरकरदौड़ी थीं, ताकि वो ये बात साबित कर सके कि साड़ी में काम करना या पहनना असहजता नहीं है।
जयंती कहती हैं “हर किसी को वही पहनना चाहिए जिसमें वह सहज हों। मैं ये दिखाना चाहती हूं कि साड़ी पहनकर भी सभी काम किए जा सकते हैं"
44 वर्षिय जयंती ने हाल ही में अद्भुत तरीके से हथकरघा उद्योग ( हैंडलूम इंडस्ट्री) के प्रति अपने प्रेम और लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए अनोखा रास्ता चुना। लेकिन साड़ी पहनकर मैराथन में भाग लेना आसान बात नहीं थी। इसके लिए जयंती ने बाकायदा ट्रेनिंग ली थी। जनवरी 2016 से हैदराबाद के धावकों के साथ प्रशिक्षण शुरू किया।
यह सब जयंती के लिए आसान नहीं था। पहले साड़ी को महाराष्ट्रियन स्टाइल बांध कर दौड़ने का प्रयास किया। इन स्टाइल में दौड़ने में परेशानी हुई। साड़ी पैरों में फंस जाती। इस दौरान वह कई बार फिसल कर गिरी भी, लेकिन आखिरकार वो महाराष्ट्रियन स्टाइल में साड़ी बांधकर उन्हें सफलता मिली।
साथ ही आपको बता दें कि जयंती कुमार ने यह दौड़ सैंड़ल पहनकर पूरी की। वह कहती हैं कि वह इस दौड़ को नंगे पैर पूरा करना चाहती थी, लेकिन उनके पैर में पत्थर चुभने की वजह से वह ऐसा नहीं कर पाईं।
जयंती कुमार ने भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाते हुए साड़ी पहनकर मैराथन पूरी की है। उन्होंने फिलहाल गिनिज बुक ऑफ वर्ल्ड में अपना नाम दर्ज करवाया है। वह साड़ी पहनकर सबसे तेज दौड़ने वाली महिला हैं।
हथकरघा वस्त्र और हथकरघा बुनकर भारत की समृद्ध संस्कृति, विरासत और परंपरा का एक अनोखा अंग है। दुनिया में सबसे अधिक हथकरघा बुनकर भारत में ही हैं। हथकरघा उद्योग देश के 'वस्त्र उत्पादन' में एक बड़ा योगदान रखता है। लेकिन इस कारीगरी की महानता से अभी भी लोग अनजान हैं। इसी चीज को बढ़ावा देने के लिए जयंती ने इस अनोखे काम को अंजाम दिया है..