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सोशल मीडिया के लफंदरों के लिए ज्वाला का संदेश!

Shivendu Shekhar/firkee.in Updated Mon, 28 Nov 2016 04:17 PM IST
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ज्वाला
ज्वाला - फोटो : source
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सोसाइटी, सोसाइटी, सोसाइटी। सच कहें तो बहुत हो गया। क्स्सम से हम 21वीं सदी में रह रहे हैं। हां, मैं वही घिसी-पिटी लाइन लिख रहा हूं। लोग चांद पर पहुंच चुके हैं और हम आज भी छोटे कपड़ों में अटके हैं। 

ज्वाला गुट्टा। जानते ही होंगे। बहुत सी हॉट तस्वीरें देखी होंगी इनकी। है न? नहीं देखी? कोई बात नहीं आज भी जा के गूगल कर लेना। पक्का मिल जाएगा। एक नहीं बीस। दुःख इस बात का है कि ज्वाला गुट्टा कोई मॉडल नहीं हैं। जिनका काम ही है आम लोगों से ज्यादा बेहतर दिखना। हॉट, हॉट दिखना।

लेकिन ज्वाला एक खिलाड़ी हैं। स्टार खिलाड़ी। बैडमिंटन में डबल्स में इंडिया की टॉप में।एशियन गेम्स से लेकर। कॉमनवेल्थ तक। सब में इंडिया के लिए मैडल लाने वाली खिलाड़ी। ओलंपिक में इंडिया के लिए खेलती हैं। रियो में भी थीं। लेकिन किसी को क्या फर्क पड़ता है। 


 


स्पोर्ट्सकीड़ा एक वेबसाइट है। अंग्रेजी में स्पोर्ट्स की वेबसाइट। उसी ने एक इंटरव्यू किया। ज्वाला का। उनसे पूछा गया। सोशल मीडिया पर लोग आपकी तस्वीरों पर ऐसे-वैसे कमेंट करते हैं? आपको बुरा नहीं लगता? ज्वाला का तुरंत ही जवाब था। हां, बिल्कुल पड़ता है, क्यों नहीं! लेकिन मैं ऐसे कमेंट्स देखती ही नहीं। छोड़ देती हूं।


एक्चुअली उनका कहने का मन था, 'हाथी चले बाज़ार कुत्ते भौंकें हज़ार।' लेकिन उन्होंने इस बात को भी थोड़ी तहज़ीब से कहा। 


आगे कहती हैं कि क्या हुआ जो मैं एक स्पोर्ट्सपर्सन हूं लेकिन मैं भी तो एक आम आदमी हूं। मुझे भी अच्छा दिखने का शौक है।


बिल्कुल है! क्यों नहीं है! 


एक और जरूरी बात पर उन्होंने अपना कमेंट दिया और वो था उनके कपड़ों को लेकर। जिसको लेकर उनके सोशल मीडिया अकाउंट पर लोग आ के गाली-गलोच तक भी लिख देते हैं। लेकिन ज्वाला को इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ता। 

साफ़-साफ़ कहती हैं, ' लोगों को लगता है मैं ऐसे कपड़े पहनती हूं वैसे कपड़े पहनती हूं तो आसानी से वो सब भी कर सकती हूं। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है' 

वाजिब बात है। आखिर कब तक लड़कियों को उनके कपड़े पहनने के तौर तरीकों पर तौला जाएगा? हम कब सुधरेंगे? या फिर टट्टी में रहने की आदत ही हो गई है हमारी? 

 

​सोच के देखें। एक लड़की जो अलग-अलग जगह जा-जा कर देश के लिए खेल रही है। उसे ये देख कर कैसा लगता होगा। जब वो कहती है कि 'मैंने अपने पापा के उम्र के लोगों को भी अपनी तरफ ऐसे देखते हुए देखा है। जैसे पता नहीं उनके दिमाग में क्या चल रहा है।'

कोई नहीं हम सुधरें या नहीं सुधरें। ये लड़कियां हमें सुधार ही देंगी एक दिन। और हम मजबूर होंगे मानने के लिए क्योंकि संविधान ने उन्हें ये हक़ दिया है। और कहां संविधान में अटके हैं साहब मामला इससे आगे निकल चुका है! जरूरत पड़ी तो संविधान में संसोधन भी किया जाएगा। 


रही बात हॉट तस्वीरों की। तो सवाल हमसे भी किए जाने चाहिए। बिल्कुल किया जाना चहिए। लेकिन इसका जवाब भी आप ही के पास है। और किसी के पास नहीं। और जवाब है, इन हॉट तस्वीरों को कभी-कभार ठेंगा भी दिखा सकते हैं। हालत सुधरते हुए दिखेंगे। 

ज्वाला से भी एक शिकायत है हमें। बावजूद इसके कि इस मुद्दे पर आपने खुल कर इतना कुछ कहा, हम इसकी तारीफ़ भी करते हैं। लेकिन आपकी एक बात जो हमें जंची नहीं। आखिर क्यों आप लोगों के कमेंट इग्नोर करती हैं? उनके जवाब दीजिए। सवाल कीजिए। आखिर ऐसा कौन सा चरस खा के कमेंट लिखते हैं, चोट्टे! 


Firkee.in सवाल जो हमें खुद से करने हैं! 


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