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महिला और पुरुष एक दूसरे के पूरक होते हैं। यह बात विद्वान और महात्मा कहते हैं। लेकिन हमारा समाज 21वीं सदी में भी महिला और पुरुष में फर्क करता है। पुरुषों को महिलाओं के मुकाबले ज्यादा आजादी है। महिलाओं को अपनी मनमर्जी से कोई भी काम करने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ता है। पुरुष देर रात घर से बाहर घूमे किसी को फर्क नहीं पड़ता है, लेकिन अगर महिला शाम में ही अकेली घर से बाहर निकल जाए तो महफूज नहीं रहती है। इसी से अंदाजा लगा लीजिए कि रोजाना बलात्कार और यौन शोषण की खबरों से अखबार पटे पड़े रहते हैं।
महिलाओं को भी पुरुषों की तरह आजाद फिजा में सांस लेने का सहज मौका मिले, इसके लिए एक महिला पुलिस अधिकारी ने कमर कस ली है। केरल के कोझीकोड इलाके की डीएसपी मेरिन जोसफ ने एक नई मुहिन शुरू की है।
महिला अफसर खुद अपनी कुछ लेडी कॉन्सटेबल के साथ सादा वर्दी में रात के वक्त बाहर निकलती है और माहौल भांपती हैं। न्यूजमिंट से मेरिन ने अपना अनुभव साझा किया है। मेरिन ने बताया कि उनकी इस पेट्रोलिंग से महिलाओं के प्रति होने वाले बुरे बर्ताव में कुछ अंतर तो आया, लेकिन पूरी तरह से सफलता नहीं मिली है। उन्होंने बताया कि रात में वह अपनी दो कॉन्सटेबल वीके सौम्या और एम सबिता के साथ सादा वर्दी में निकली। हुलिया ऐसा बनाया कि पहचानी न जा सकें। वह बताती है कि लोगों ने उन्हें भी देखकर सीटियां बजाईं, फब्तियां कसीं।
मेरिन अपनी महिला पुलिसकर्मियों के साथ लगातार अपनी मुहिम में जुटी है ताकि माहिलाएं सुरक्षित महसूस कर सकें। आज देश को मेरिन जैसी हजारों महिला पुलिस अधिकारियों की जरूरत है।