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एक बात कहें? सच्ची बोल रहे हैं, ड्रामा न समझिएगा। आपलोग लड़कियों को जितना स्वीट, डेलिकेट, क्लासी और पता नहीं क्या-क्या समझते हैं न.. ऐसा होता कुछ नहीं है। दरअसल हम लड़कियां भी आपकी ही तरह हैं। आप जितने नहीं पर फिर भी आपकी तरह। आपकी ये इमैजिनेशन की वजह से हमें ज़बरदस्ती अलग भी बनना पड़ता है कई बार। वैसे हैं तो हम आपसे बेहतर ही :-P पर हम में बहुत सारी चीज़ें कॉमन हैं। कभी गर्ल्स हॉस्टल गए हैं आपलोग? हां, पता है आप यही कहेंगे कि कहां से जाएंगे, लड़के अलाउड नहीं होते वहां। अलाउड तो बहुत कुछ नहीं होता जनाब! करने से होता है। गर्ल्स हॉस्टल में भी सिगरेट-सुट्टा-शराब कुछ भी अलाउड नहीं होता। अगर तलाशी ली गई तो किसी को कुछ मिलेगा भी नहीं। पर होता सबकुछ है। :D ख़ैर, हम आपको बता रहे हैं कि लड़कियां कैसी होती हैं जब वो अपने जैसी होती हैं, मतलब जब वो हॉस्टल में होती हैं। और वही लड़कियां कैसी हो जाती हैं जब बाहर जाती हैं। पढ़िए, आपके लिए ही लिखे हैं।
कभी डाइटिंग करती हैं, कभी खाने पर टूट पड़ती हैं
- बाहर ये हाल है..
2. और हॉस्टल में?
लड़कियां बड़ी तमीज़दार होती हैं, है न?
- बाहर, so disciplined na!
2. हॉस्टल वाले तेवर भी देख लो ज़रा..
ओह्ह! कितना sophisticated बनना पड़ता है हमें!
- हम born beautiful हैं यार! लुक्स की टेंशन हमें नहीं होती
. नानी याद आ जाती है ड्रेस choose करने में!
ख़ैर, ये तो है कि हम कितनी भी unhygienic रहें तो भी लड़कों से साफ-सुथरे ही रहती हैं। फिर भी हमने स्वच्छता अभियान का अकेले ठेका तो नहीं ले रखा न!
- उफ़्फ़! मुझसे ये धूल-मिट्टी बर्दाश्त नहीं होती
2. अब ये भी देख लो।
हम भी शहज़ादी हैं, अपने घर की
मां-बाप ने बड़े लाड़-प्यार में पाला है
2. आधी ज़िंदगी तो यहां कपड़े धोते बीत जाती है, इससे अच्छा तो लॉन्ड्री खोल लेती
देख लो, तुम्हारे जैसे ही हैं न? फालतू का भौकाल बना रखा है। हम भी नैचुरल हैं यार। इसलिए जब तुम पैर देखकर कहते हो न कि waxed legs नहीं है तो बड़ा गुस्सा आता है। मन करता है कि चिल्ला कर कहूं - बेटा अगर hair removal की बात है न, तो तुम्हारी पूरी बॉडी छीलनी पड़ जाएगी। हां नहीं तो! भालू कहीं के!