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कोई मानें या न मानें लेकिन यह एक सच है कि पिछले कुछ दशकों में देश की महिलाएं तेजी से मजबूत हुई हैं। मजबूत से तात्पर्य हर तरह की मजबूती से है। मानसिक, आर्थिक और शारिरीक भी। गांवों के लोगों ने भी स्वीकार करना शुरू कर दिया है कि लड़कियां जब घर से बाहर निकलती हैं तो एक घर की कई पीढ़ियों का विकास होता है। हालांकि इसका प्रतिशत अभी कम है लेकिन वक्त के साथ इस पर भी काबू किया जा सकेगा। दुनिया का कोई ऐसा काम नहीं है जो लड़कियां नहीं करती हैं।
एक जमाने में जिम को सिर्फ लड़कों के हिसाब से डिजाइन किया जाता था। लड़कियों को घर के अंदर रस्सी कूदने, पार्क में टहलने और मोहल्ले में साइकिल चलाने की सलाह दी जाती थी। लेकिन अब समय बदल रहा है। आप किसी भी शहर में चले जाएं वहां आपको जिम में लड़कियों के लिए जगह मिल जाएगी। और जैसा कि हर क्षेत्र में लड़कों को हराने के बाद लड़कियों ने बॉडी बिल्डिंग जैसी सोच को भी पटखनी दे दी है। यहां बात हो रही है प्रियंका वैश्य की, जिन्होंने वर्ल्ड स्ट्रॉन्गमैन लीग में 28 स्थान सुरक्षित किया है, इसके अलावा इस कॉम्पटीशन में वर्ल्ड मसल लिस्ट में अपनी जगह बनाने वाली पहली भारतीय महिला हैं।
25 साल की प्रियंका ने अपने करियर की शुरुआत मुंबई में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर शुरू किया था। नौकरी ठीक-ठाक थी लेकिन जिंदगी में कुछ बड़ा करना चाहती थीं। फिटनेस फिल्ड में खुद को साबित करने की प्लानिंग की। मुलाकात हुई बॉडी बिल्डिंग की दुनिया में अपने नाम कमाने वाले प्रमोद भाटी से, भाटी साहब ने प्रियंका को खूब प्रोत्साहित किया और इसका जो रिजल्ट सामने आया वो आपको हैरान कर देगा।
प्रियंका ने नौकरी-शौकरी छोड़कर बाईसेप्स और एब्स पर काम करना शुरू किया। इसका असर दिखना शुरू हुआ, 3 साल की ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने कई सारे अवार्ड्स अपने नाम किए, जिसमें स्ट्रॉन्गमैन इंडिया समेत 4 नेशनल अवार्ड शामिल हैं, वो भोजपुर के फिटनेस क्लब में बतौर ट्रेनर काम करती हैं और कहती हैं कि मेरे पास 6 फिगर वाली सैलेरी नहीं है लेकिन 6 पैक्स एब्स बना लिए हैं। आज उनकी डाइट में महीने में करीब 20 हजार का खर्च आता है।