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बॉलीवुड के दिग्गज निर्माता-निर्देशकों, अभिनेताओं और लेखकों से मंगलवार को महाराष्ट्र के राज भवन में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुलाकात की। प्रधानमंत्री की बॉलीवुड कलाकारों से इस मुलाकात का उद्देश्य भारतीय फिल्म उद्योग में चल रहे मुद्दों और भविष्य के विषय में चर्चा करना था।
बॉलीवुड के जिन कलाकारों ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की या यूं कहे कि जिन कलाकारों को प्रधानमंत्री से मुलाकात करने के लिए निमंत्रित किया गया उनमें निर्माता करन जोहर, सिद्धार्थ रॉय कपूर, रितेश सिधवानी, फिल्म निर्माता गिल्ड के अध्यक्ष राकेश रोशन, रोनी स्क्रूवाला और सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) के चेयरमैन प्रसून जोशी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। इस मौके पर अभिनेता और अभी निर्माता बने अक्षय कुमार और अजय देवगन भी मौजूद थे।
एक बार जरा ऊपर लिखी गयीं लाइनों को गौर से पढ़िए कुछ समझ आया? जी हां, अगर समझ गए हैं तो मुद्दा वही है।ऊपर दिए गए इन दिग्गजों के नामों में एक भी महिला निर्माता, निर्देशक या अभिनेत्री का नाम नहीं है। जब प्रधानमंत्री द्वारा ये मुलाकात बॉलीवुड के भविष्य और उससे जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आयोजित की गयी थी तो महिला निर्माताओं, निर्देशकों और अभिनेत्रियों को क्यों नहीं आमंत्रित किया गया?
महिला फिल्म निर्माताओं की राय का क्या? हालांकि, इतनी बड़ी बैठक से महिलाओं के बहिष्कार के विषय में प्रधानमंत्री ने बेशक नहीं सोचा होगा अगर सोचा होता तो बैठक में महिला निर्माता और निर्देशक या बॉलीवुड की अन्य प्रतिभाशाली महिलाओं को जरूर शामिल किया गया होता।
बहरहाल, ये पुरुष प्रधान सामाज या पुरुष वर्चस्व का जीता जागता उदहारण नहीं तो और क्या है? आखिर क्या वजह थी जो प्रधानमंत्री ने बैठक में महिलाओं को बुलाना उचित नहीं समझा? संघर्ष, तलाश, धोबी घाट, फिराक, गोल्ड, मार्गरिटा विथ स्ट्रॉ, इंग्लिश विंग्लिश, डिअर जिंदगी, ए डेथ इन द गूंज ये वो फिल्में हैं जो प्रतिभाशाली महिलाओं द्वारा निर्मित हैं। जिन्होंने कुछ हद तक ही सही लेकिन पारंपरिक फिल्मों का कायापलट किया है।
बैठक में पहुंचे पुरुष निर्माताओं, निर्देशकों और अभिनेताओं ने प्रधानमंत्री के साथ फिल्म की दुनिया से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की। इस साल 24 अक्टूबर को भी प्रधानमंत्री के साथ फिल्म निर्माताओं ने बैठक की थी और आप ये अनुमान लगा सकते हैं कि पहले हुई बैठक में भी कोई महिला प्रतिनिधि मौजूद नहीं थी।
क्या लगता है आपको, सोचिये! हम साल 2019 में प्रवेश करने जा रहे हैं या फिर पिछड़े दौर में वापस जा रहे हैं या फिर ये भी उन्ही पुरुषों में से एक हैं जिन्हे ये लगता है कि कोई भी चीज सोचना या समझना महिला के दिमाग के लिए काफी जटिल है।