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सोफ़िया जो न सुन सकती हैं और न बोल सकती हैं लेकिन आज एक मॉडल और नेशनल लेवल की एथलीट हैं!

Shivendu Shekhar/firkee.in Updated Fri, 09 Dec 2016 02:05 PM IST
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सोफ़िया
सोफ़िया - फोटो : source
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'इंसान गर लाख चाहे तो क्या होता है
वही होता है जो मंजूर ए खुदा होता है'


गलत! बिल्कुल गलत बात। खुदा/भगवान/इश्वर जो कहना है कह लें। अगर ऐसा कुछ मानते हैं आप। तो उसने तो सोफिया और उसके भाई को गूंगा और बहरा बना कर भेजा। लेकिन सोफ़िया ने आज जो कर दिखाया है वो सिर्फ और सिर्फ उसकी मेहनत का कमाल है। 

अब सुनो असली वाली हम सुनाते हैं। लोग जिसे आप समझते हैं कि हरिवंश राय बच्चन जी ने लिखा है। अमिताभ बच्चन के पप्पा। लेकिन ऐसा नहीं है। इसको लिखने वाले थे सोहन लाल द्विवेदी। खैर ये किस्सा कभी और। अभी सुनें काम की बात। द्विवेदी जी लिखते हैं...

 
'लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती'

और ये सच कर दिखाया है सोफ़िया ने। सोफ़िया। केरल की रहने वाली। कोच्ची की। बचपन से ही सुनने की शक्ति और न ही बोलने की। शायद उस खुदा ने क्रूरता की हद पार कर दी हो। लेकिन आज की तारीख में सोफ़िया एक नेशनल लेवल की एथलीट भी हैं। और एक जानी-मानी मॉडल भी। यही नहीं केरला की पहली महिला हैं जिसे ड्राइविंग लाइसेंस दिया गया है। बावजूद इसके कि सोफ़िया सुन नहीं सकतीं। लेकिन इसके लिए इन्हें दिल्ली हाईकोर्ट तक का दरवाज़ा खट खटाना पड़ा था। हमने कहा था न सोफ़िया को ये सब बैठे-बैठे नहीं मिला है। लड़कर लिया है उन्होंने। 

इनकी मम्मी और पापा कहते हैं कि बचपन से लेकर बड़े होने तक इनकी ज़िंदगी नॉर्मल थी। हमने अपनी पूरी कोशिश की कि ये आम बच्चों जैसे ही बड़े हों। 

लेकिन सोफ़िया के पापा एक बात बताते हैं जो वाकई रौंगटे खड़े कर देने वाला है। वो बताते हैं कि सोफ़िया और इसका भाई दोनों को एक ही तरह की प्रॉब्लम थी। बचपन में स्कूलों में इन्हें एडमिशन नहीं मिल पाता था। बहुत मुश्किल होती थी। इसमें न मेरी गलती है। न मेरे बच्चों की। लोग हमारा मजाक भी उड़ाते थे। लोग ऐसे-ऐसे कमेंट करते जैसे हमने कोई पाप कर दिया हो। 
 


लेकिन आज की तारीख में सोफ़िया इंग्लिश में ग्रेजुएट हैं। एक फेमस मॉडल भी हैं और एक खिलाड़ी। जिसने बचपन से सिर्फ लड़ना सीखा है। उनकी मां कहती हैं कि सब कुछ ठीक ठाक ही था। बस हमें अपने बच्चों को कुछ दिन तक घर में पढ़ाना पड़ा। बाद में एक साधारण से स्कूल में डाल दिया। ट्रेनिंग घर पर ही देते। और हम हमेशा उसके साथ खड़े रहे। वो जो भी करना चाहे। और इससे उसका कॉन्फिडेंस बना रहा। 
 


अब सोफ़िया का एक और कारनामा सुन लें। वैसे तो मुझे इस कॉन्टेस्ट के नाम से ही शिकायत है। लेकिन फिर भी अब है तो है। मिस इंडिया डेफ एंड डम्ब। मतलब ऐसे लोग जो बोल या सुन नहीं सकते। उनके लिए मिस इंडिया का कॉन्टेस्ट। उसमें 2014 में सोफ़िया दूसरे नंबर पर रही थीं।  और इसके बाद इसी  केटेगरी के मिस वर्ल्ड कॉन्टेस्ट में सोफ़िया ने इंडिया को रेप्रेजेंट किया था। 

फिल्म में भी काम किया। और अब डांस की ट्रेनिंग ले रही हैं। और अब सोफ़िया को कार रेसर बनने का शौक है। वाह! शानदार, जबरदस्त, ज़िंदाबाद! सोफ़िया को शायद बुना सुने ही इस बात का इल्म हो गया होगा कि इस जमाने में एक दिव्यांग को लेकर क्या-क्या धारणाएं हैं। और इसे अब वो सब कुछ करना है जो लोगों को लगता है ये नहीं कर सकतीं। बहुत खूब। सोचिए, दुनिया कितनी ख़ूबसूरत होगी! 


Firkee.in किस्से जो हमें जीना सिखा दें! 


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