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इस दिव्यांग महिला ने भरी हौसलों की उड़ान, छू लिया साहित्य का आसमान

दीपाली अग्रवाल, टीम फिरकी, नई दिल्ली Updated Thu, 04 Jan 2018 06:14 PM IST
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Story of specially abled Harpreet kaur Nandan will inspire you
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विस्तार

रामधारी सिंह जी की बहुत मशहूर पक्तियां हैं 

"खम ठोक ठेलता है जब नर,पर्वत के जाते पाँव उखड़,मानव जब ज़ोर लगाता है,पत्थर पानी बन जाता है"
 
ये कविता होशियारपुर पंजाब की रहने वाली दिव्यांग कवयित्री इंद्रजीत कौर नंदन पर सटीक बैठती है । मन के हारे हार है और मन के जीते जीत, और एक बार अगर कोई किस्मत से लड़ने की ठान ले तो उसके उस हौंसले में ईश्वर भी उसका साथ देते हैं ।  इसलिए इंद्रजीत ने अपने मन पर कभी अपनी परेशानियों को हावी नहीं होने दिया । मस्कूलर डिस्ट्रोपी नाम की बीमारी से जूझ रहीं नंदन आज साहित्य का एक चमकता हुआ सितारा हैं । वह पंजाबी साहित्य एवं भाषा में एम ए हैं और साथ ही पंजाबी और हिन्दी में कविता लेखन, दर्शन, मनोविज्ञान और इतिहास में विशेष रुचि रखती हैं ।


नंदन के पिता गुरचरण रेलवे से रिटायर्ड हैं और मां कुंदन कौर सरकारी स्कूल से हैड मिस्ट्रैस पद से रिटायर हुई  हैं। बचपन में ही वह मस्कूलर डिस्ट्रोपी बीमारी की शिकार हो गईं थीं लेकिन इससे उनके सपने कभी प्रभावित नहीं हुए । बचपन में बुखार आने पर उनकी मां ने दवा खिलाकर पंखे के नीचे लिटा दिया था। बुखार थोड़ा कम होने पर वह उठी थीं और नाचते-नाचते एकदम गिर गईं। चेकअप करवाने पर पता चला कि वह पोलियोग्रस्त हैं ।
 
उस दिन गिरने के बाद उन्होंने अपने मन को मजबूती से खड़ा किया और आज उनके दो उपन्यास 'दोआबा' और नॉवेल 'रात' प्रकाशित हो चुके हैं और 'चिक्कड़ रंगी मूर्ति' उपन्यास 'कशमकश' नाम से हिंदी अनुवाद आने वाला है । बुद्ध की पत्नी यशोधरा पर लिखी गई उनकी कविता, पंजाब में एक ख्याति प्राप्त अपनी ही तरह की एक विशेष कविता है । पंजाबी थिएटर की मशहूर शख्सियत जोगिंदर सिंह बाहला की जीवन गाथा 'दिस हद्दां तो पार, चुप दे रंग और कविता, दे माफी' की रचना के बाद अब प्रकृति पर भी अपनी कला को उकेरने वाली हैं ।  इंदरजीत को 2012 में मदर टैरेसा पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। 


नंदन की झोली में अनेक पुरस्कार भी हैं । पंजाबी साहित्य रचना में संस्कृति पुरस्कार लेने वाली वह एक मात्र पंजाबी लेखिका हैं, उन्हें साहित्य अकेडमी से भी सम्मानित किया जा चुका है । दैनिक भास्कर ने अचीवमेंट क्षेत्र में भास्कर वुमेन अवार्ड दिया तो स्वामी विवेकानंद स्टेट अवार्ड ऑफ एक्सीलेंस अवार्ड से भी नवाजा गया ।  

नंदन 'अपना' नाम से एक संगठन भी चला रही हैं जो महिलाओं को सक्षम बनाने में मदद करता है । इस ग्रुप में महिलाएं नमकीन स्नैक्स, भुजिया, पापड़, मट्ठी , पीनट्स, कुशन कवर आदि बनाती हैं और हैंडीक्राफ्ट्स से जुड़े काम कर अपनी जीविका चलाती हैं । 

यहां तक की इंद्रजीत ने साल 2015 में 'ऋषि फाउंडेशन' भी बनाया था। जिसमें उनकी देखरेख में 40 सदस्य शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और सामाजिक न्याय दिलाने की दिशा में कार्यरत हैं। इंदरजीत नंदन के हौंसले को देखते हुए कृषि विभाग के पूर्व जिला ट्रेनिंग अधिकारी डॉ. चमन लाल वशिष्ट इंदरजीत को शक्ति कहकर पुकारते हैं। उन्होंने 2014 में विकलांगता दिवस पर एबिलिटी ज्वाइंट लाइबिलिटी ग्रुप बनाया था। इसका उद्देश्य शारीरिक रूप से अक्षम लोगों में आत्मविश्वास पैदा कर उनको आत्मनिर्भर बनाना है।

नंदन के इस हौसले को देखकर कहा जा सकता है कि दिव्यांग होना मात्र एक मानसिक विचार है । मन में दृढ़ संकल्प औऱ अटल इच्छा शक्ति हो तो कुछ भी असंभव नहीं है। 

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