Home Feminism Subhashini Mistry Built Hospital By Selling Vgitables

जज्बे को सलाम: 20 साल सब्जी बेचकर गरीबों के लिए बनाया अस्पताल

टीम फिरकी, नई दिल्ली Updated Sun, 15 Apr 2018 04:11 PM IST
विज्ञापन
Subhasini Mistry,
Subhasini Mistry,
विज्ञापन

विस्तार

खुद के लिए तो पूरी दुनिया जीती है लेकिन जो दूसरों के लिए जीता है वही सच्चा इंसान होता है। अगर हम आपको बताएं कि गरीबी रेखा पर रहकर जीवन यापन करने वाली एक महिला ने सब्जी बेचकर एक अस्पताल का निर्माण करवा दिया, तो शायद आपको यकीन करने में मुश्किल हो। आपको ही नहीं बल्कि किसी को भी इस बात को पचाने में दिक्कत हो, लेकिन ऐसा वाकई में हुआ है। पश्चिम बंगाल में रहने वाली सुभाषिनी मिस्त्री ने सब्जी बेचकर पैसे इकट्ठे किए और उन पैसों से गरीबों का मुफ्त इलाज करवाने के लिए अस्पताल खोला। इस अस्पताल का नाम रखा, Humanity Hospital. उनके इस प्रयास की वजह से उन्हें पद्मश्री ने सम्मानित भी किया गया। 

सुभाषिनी मिस्त्री का जन्म गुलाम भारत में 1943 को हुआ था। वह कुल 14 भाई-बहन थीं। अकाल के दौर में गरीबी, यमराज को अपनी ओर आकर्षित करने लगी। 7 भाई-बहनों को सूखे ने निगल लिया। इसके बाद पिता ने 14 साल की उम्र में शादी करवा दी और 23 की उम्र होते-होते सुभाषिनी 4 बच्चों की मां बन चुकी थी। एक रोज सुभाषिनी के पति बीमार हो गए, गांव में अस्पताल नहीं था लिहाजा पति को जिला अस्पताल लेकर जाना पड़ा। पैसे की कमी की वजह से सुभाषिनी के पति की भी मौत हो गई। इस घटना ने सुभाषिनी को अंदर तक हिला दिया, उन्होंने तय कर लिया कि अब वो गांव में किसी को इलाज की कमी से मरने नहीं देंगी। 

इसके बाद, इसी मिशन पर सुभाषिनी लग गईं, उन्होंने 20 साल तक सब्जी भेजी, मजदूरी की, लोगों के घरों में काम किया, पैसे इकट्ठे किए। इन पैसों से घर भी चलाया, बच्चों को पढ़ाया और अस्पताल के लिए पैसे भी जमा किए। धीरे-धीरे करते हुए उन्होंने 10 हजार रुपये इकट्ठे किए और अस्पताल के लिए 1 एकड़ जमीन खरीदी।  1993 में सुभाषिनी ने ट्रस्ट खोला और उसी ट्रस्ट की मदद से उन्होंने 1995 में अस्पताल की नींव रखी। उन्होंने गांव वालों के सामने अस्पताल खोलने की बात कही तो गांव वालों ने भी जमकर तारीफ की और मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया। धीरे-धीरे अस्पताल बनना शुरू हुआ और जब बनकर तैयार हुआ तो उससे गरीबों को क्या फायदा हुआ। लेकिन अस्पताल कच्चे मकान में चल रहा था तो धीरे-धीरे परेशानियां बढ़ने लगी। 

जिस बिल्डिंग में अस्पताल चल रहा था वो कच्चा मकान था, बारिश के दिनों में बहुत परेशानी होने लगी, डॉक्टरों को सड़क पर बैठकर अस्पताल चलाना पड़ा। सुभाषिनी ने अपने इलाके के सांसद से मिलकर परेशानी के बारे में बताया। सांसद ने भी मदद का भरोसा दिलाया। सांसद, विधायक और स्थानीय लोगों की मदद से एक बार फिर अस्पताल बनकर खड़ा हो गया। जिसका उद्घाटन करने के लिए  पश्चिम बंगाल के राज्यपाल आए। राज्यपाल की मौजूदगी में मीडिया की जानकारी में भी सुभाषिनी का प्रयास आया और उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया। 

अब सुभाषिनी के अस्पताल से कई बड़े लोग जुड़ चुके हैं, ट्रस्ट के पास अस्पताल के लिए तीन एकड़ जमीन है और अस्पताल का दायरा 9 हजार वर्ग फीट तक पहुंच चुका है। 

विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree