विस्तार
2018 में खड़े होकर 2017 की उन घटनाओं पर नजर डाली जा रही है जिनकी चर्चा में हम सब ने हिस्सा लिया। खास बात ये थी साल 2017 में कई अहम पदों और चर्चाओं के केंद्र महिलाओं ने अपनी मजबूत जगह बनाई। तो ऐसे ही कुछ नामों की चर्चा हम करते हैं यहां।
राम रहीम आज जेल में है तो लोग उसके खिलाफ खुल कर बोलते हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि एक वक्त था जब उस बाबा के सामने सरकार-प्रशासन भी बौना दिखाई पड़ता था। ऐसे रईस, बिगड़ैल और ताकतवर बाबा के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने की ताकत रखने वाली वह दो औरतें सम्मान की हकदार हैं। जिनकी निडर सोच ने आज एक बाबा को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। उनके समर्थकों के गुस्से की आग में कई राज्य झुलस गये। सरकारों के नकाब मोम के परदों की तरह पिघल कर गिर गये। लेकिन इन महिलाओं के हौसलों को टस से मस नहीं करा पाए। 15 सालों तक छिप-छिप कर गवाही देते हुए अपनी जान बचाने के साथ इन महिलाओं ने बाबा की सच्चाई सबके सामने लाकर रख दी। वो महिलाएं आज भले हमारे सामने नहीं है। लेकिन उनकी कोशिश हमें कई दशकों तक प्रेरणा देती रहेगी।
जिस खेल को जेंटल'मेन' गेम कहा जाता था। वहां भारतीय महिलाओं ने साबित किया कि क्रिकेट में महिलाएं न सिर्फ बराबर प्रतिभा रखती हैं बल्कि उतने ही सम्मान की हकदार भी हैं जितना सम्मान पुरुषों को दिया जाता है। मिताली फील्ड पर विरोधियों के खिलाफ अपनी टीम की अगुवाई तो करती ही हैं साथ ही ऑफ द फील्ड यानी की सोशल मीडिया पर भी करारा जवाब देना जानती हैं। उन्होंने 2017 में कई बार सुर्खियों को खुद की तरफ मोड़ दिया। कभी अपने बल्ले से तो कभी अपने जवाब से।
यह वहीं महिला हैं जिनकी कहानी पर हमने टॉयलेट एक प्रेमकथा देखी थी। 19 साल की प्रियंका भारती जब शादी करके ससुराल पहुंची तो पता चला कि घर में फ्रीज टीवी तो हैं लेकिन टॉयलेट नहीं था। किसी तरह तो दो दिन खेतों में जाती रहीं लेकिन तीसरे दिन खेतों में जाने से इनकार कर दिया और मायके वापिस चली गईं। समाज ने कई बातें कहीं लेकिन प्रियंका को कोई फर्क नहीं पड़ा। 2014 की इस घटना पर बाद में फिल्म बनी। आज गांव-गांव शौचालय पहुंच रहे हैं। इसमें प्रियंका भारती का भी कुछ योगदान है।
डीआईजी रुपा मुदगिल, वैसी पुलिस अधिकारी हैं जैसी हम फिल्मों में देखा करते हैं। तेज, तर्रार और इमानदार। रुपा मुदगिल ने शशिकला को जेल में मिल रही सुविधाओं पर से पर्दा हटाया था। रुपा ही थी जिन्होंने बताया था अब्दुल तेलगी का सहयोगी जेल में चार लोगों से मालिश लिया करता है। डीआईजी रुपा की पोस्टिंग एक जगह पर ज्यादा दिनों तक रहती नहीं क्योंकि ये किसी से नहीं डरती। नेता हो या मंत्री, क्लास लेने में कोई मुरव्वत नहीं। गलती करने वाली को बख्शती नहीं। शशिकला जैसी शख्सियत को एक आम कैदियों जैसी जिन्दगी पर मजबूर करने में डीआईजी रुपा को एक मिनट का भी वक्त नहीं लगा।
नाम भी निर्मल है, स्वभाव भी सरल है। लेकिन अंदर से इतनी सख्त हैं कि पीएम मोदी ने रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंप रखी है। जिस देश की छवि पुरुष प्रधान है उस देश में एक महिला रक्षा की जिम्मेदारी संभाल रही है, तो यह बात कहने में गुरेज नहीं होती। मेरा देश वाकई में बदल रहा है। निर्मला सीतारमण को जिम्मेदारी मिलने के बाद पूरे दुनिया ने उनकी काबिलियत की चर्चा की थी।