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हम अक्सर शिक्षा संस्थानों में निकले गए नए नियमों के बारे में सुनते हैं। ये नियम कभी संस्थान में अनुशासन से संबंधित होते हैं तो कभी पाठ्यक्रम या परीक्षा में किये गए बदलावों से संबंधित होते हैं। प्रत्येक नियम यही दावा करता है की वो छात्रों के हिट को ध्यान में रखकर बनाया गया है लेकिन हमेशा इन दावों पर भी भरोसा नहीं किया जा सकता।
हाल ही में ओडिशा के बुर्ला में स्थित सुरेन्द्र साई यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी ने एक दकियानूसी नियम जारी किया जिसमें इस यूनिवर्सिटी की लड़कियां लड़कों से सड़क के किनारे खड़े होकर बात नहीं कर सकतीं। रिपोर्ट के मुताबिक, सुरेन्द्र साई यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में कुल पांच हॉस्टल हैं।
जिनमें से एक है रोहिणी हॉल ऑफ रेसिडेंस। इस हॉस्टल के बाहर 01 दिसंबर को एक नोटिस लगाया गया।उसमें लिखा था, वाईस-चांसलर के निर्देशानुसार रोहिणी हॉल ऑफ रेसिडेंस में रहने वाली लड़कियां मेल स्टूडेंट्स से सड़क के किनारे खड़े होकर बात नहीं कर सकतीं। अगर उन्होंने ऐसा किया तो उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
छात्राओं को पहले ये बात मजाक लगी लेकिन बाद में जब सुरेन्द्र साई यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के रिलेशंस इन-चार्ज प्रोफेसर पी सी स्वेन ने इस नोटिस की पुष्टि की तब जाकर ये साफ हुआ की दरअसल ये मजाक नहीं बल्कि संस्थान द्वारा जारी किया गया दकियानूसी नियम है। यूनिवर्सिटी के रिलेशंस इन-चार्ज प्रोफेसर पी सी स्वेन ने कहा कि, हम लड़कियों की सुरक्षा चाहते हैं इसलिए ये नोटिस लगाया गया है।
किसी संस्थान का इस प्रकार के नियम जारी करना कितना जायज है।लड़को से ना बात करना लड़कियों के लिए सुरक्षा कवच कब बना? ये सिर्फ एक मानसिक प्रवित्ति है जो ऐसी सोच रखती है।हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब महिलाओं की सुरक्षा के लिए महिलाओं को ही स्वयं सुरक्षित रहने की अजीबोगरीब नसीहत दे दी जाती है।
अक्सर लड़कियों के जीन्स पहनने और ज्यादा देर तक बाहर रहने पर भी पाबंदी होती है। लड़कियों की सुरक्षा को लेकर ऐसे अजीबोगरीब नियम जारी करने वाला एक और संस्थान है सत्यभामा यूनिवर्सिटी जहां कुछ समय पहले ये नियम जारी किया गया था कि अगर लड़के-लड़कियां आपस में बात करेंगे तो भ्रष्ट हो जाएंगे। क्लासरूम से लेकर कॉलेज तक में उनके आपस में बात करने पर पाबंदी थी। अगर कॉलेज अनुशासन उन्हें आपस में बात करते हुए देखता तो उनके माता-पिता को सूचित कर दिया जाता था।