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23 साल की विनेश फोगाट ने एशियाड गेम्स में गोल्ड जीत कर इतिहास रच दिया। विनेश ने सिर्फ रेसलिंग मैट पर जापानी पहलवान को नहीं पटका बल्कि जिंदगी के अखाड़े में भी बहुत सारी स्थितियों को पटखनी देकर ये मेडल हासिल किया है। जिस जीत पर आज हम सब इतरा रहे हैं उसे हासिल करने के लिए विनेश ने एक लंबा संघर्ष किया है। ऐसा संघर्ष जिसे पढ़कर आपको भी हौसला मिलेगा।
विनेश, गीता और बबीता फोगाट की ही चचेरी बहन हैं और उन्हें भी अपने ताऊ से ही ट्रेनिंग मिली है। इनकी जिंदगी में भी झांकेंगे तो एक परिस्थितियां मिलेंगी कि पूरी एक फिल्म बन जाए। एशियाड से पहले कॉमन वेल्थ में भी देश की झोली में गोल्ड ला चुकी हैं। और वह देश की पहली महिला हैं जिन्होंने एशियाड और कॉमन वेल्थ गेम, दोनों में गोल्ड जीता है।
विनेश के पिता महावीर फोगाट के भाई राजपाल फोगाट हैं। जोकि रोडवेज में एक ड्राइवर थे। साल 2003 में उनकी मौत हो गई थी। इसके बाद महावीर फोगाट ने विनेश और उसकी बहन प्रियंका को अपने पास बुलाया और कुश्ती की ट्रेनिंग देनी शुरू की। पहले तो विनेश अपने पिता की मौत से काफी परेशान थी लेकिन उन्होंने उस परेशानी को पछाड़ते हुए कुश्ती में दिल लगाया और अब तक के करियर में दो गोल्ड समेत कुल 8 मेडल देश की झोली में डाल दिए।
रियो ओलंपिक के लिए विनेश दिन रात एक कर रही थी। तभी उन्हें ऐसी चोट लग गईं कि वो अखाड़े तो क्या, बिस्तर से भी नहीं उठ पा रही थी। लेकिन एक बार फिर अपनी शानदार इच्छा शक्ति के बदौलत चोट पर विजय पाते हुए विनेश फिर से अखाड़े में उतर आईं और विरोधियों को पटकना शुरू कर दिया।