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दक्षिण कोरियाई समाज में अच्छा दिखना बेहद अहम माना जाता है। इसी वजह से ब्यूटी पार्लर, मेकअप और ब्यूटी प्रोड्क्ट्स का बाजार वहां बहुत फल फूल रहा है। वहां बेहतर दिखने के लिए प्लास्टिक सर्जरी कराना भी आम है, लेकिन अब कुछ दक्षिण कोरियाई महिलाएं खूबसूरती के परंपरागत पैमानों को चुनौती दे रही हैं और मेकअप के खिलाफ आंदोलन पर उतारू हो गई हैं।
मेकअप के खिलाफ ये आंदोलन तब शुरू हुआ, जब दक्षिण कोरिया की महिलाएं एक-एक करके अपने सौंदर्य प्रसाधनों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर डालने लगीं। सौंदर्य प्रसाधनों को तोड़ते हुए महिलाओं द्वारा बनाया गया वीडियो सोशल मीडिया पर काफी चर्चित हुआ। वीडियो को देखकर ऐसा लगता है की जैसे किसी खूबसूरत कला का प्रदर्शन किया जा रहा हो।
लेकिन ये किसी कला का प्रदर्शन नहीं, बल्कि मेकअप के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर करने का विरोध प्रदर्शन है। दरअसल मी टू आंदोलन से प्रेरित होकर दक्षिण कोरिया की महिलाएं अपने देश में महिलाओं के लिए अनिवार्य मेकअप के परंपरागत पैमानों को चुनौती दे रही हैं।
बता दें कि, दुनिया में सबसे अधिक कॉस्मेटिक सर्जरी दर दक्षिण कोरिया में है और सबसे बड़ा सौंदर्य प्रसाधनों का बाजार भी दक्षिण कोरिया को ही माना जाता है। पिछले वर्ष इस देश ने सौंदर्य बाजार के जरिये 13 बिलियन डॉलर की कमाई की थी।
इसके पीछे बड़ी वजह सिर्फ ये नहीं है कि दक्षिण कोरिया की महिलाएं मेकअप के परंपरागत पैमानों को तोड़ना चाहती हैं, बल्कि ये औरतें कसे हुए कपड़ों, कोरिया के मशहूर बाउल हेअरकट और चश्मों के खिलाफ भी हैं। महिलाओं के मुताबिक इन चीजों को त्यागने से वे प्रति महीने 100 डॉलर खर्च होने से बचा लेती हैं।अपनी छोटी सी आजादी के लिए आंदोलन करती महिलाओं को समर्थन कम, मगर गालियां और जान से मारने की धमकी जरूर मिली हैं।
हालांकि मेकअप के खिलाफ इस आंदोलन का कई हस्तियों ने समर्थन किया है। 'गुड प्लेस' की अभिनेत्री जमीला जमील ने अपनी सोशल मीडिया साइट इंस्टाग्राम पर एक आंदोलन 'आई वेघ मूवमेंट (तुलनात्मक आंदोलन) की शुरुआत की है। इस आंदोलन का मकसद लोगों को ये समझाना है कि लोगों को उनकी विशेषताओं और प्रतिभा के दम पर तौलना चाहिए न कि उनके वजन पर तौला जाना चाहिए।
ये आंदोलन सीधे तौर पर 'बॉडी शेमिंग' पर निशाना साधता है।महिलाओं द्वारा शुरू किये गए इन छोटे-छोटे आंदोलनों का सीधा उद्देश्य ये है कि लोगों को अपनी विकृत सोच से बाहर आना होगा।