Home Feminism Women In South Korea Are Fighting Against Makeup Culture

इस देश की महिलाएं नहीं दिखना चाहतीं हैं खूबसूरत, मेकअप के खिलाफ छेड़ दी है जंग

फिरकी टीम, अमर उजाला Published by: Pankhuri Singh Updated Wed, 19 Dec 2018 03:56 PM IST
विज्ञापन
Women in south korea are fighting against makeup culture
- फोटो : BBC
विज्ञापन

विस्तार

दक्षिण कोरियाई समाज में अच्छा दिखना बेहद अहम माना जाता है। इसी वजह से ब्यूटी पार्लर, मेकअप और ब्यूटी प्रोड्क्ट्स का बाजार वहां बहुत फल फूल रहा है। वहां बेहतर दिखने के लिए प्लास्टिक सर्जरी कराना भी आम है, लेकिन अब कुछ दक्षिण कोरियाई महिलाएं खूबसूरती के परंपरागत पैमानों को चुनौती दे रही हैं और मेकअप के खिलाफ आंदोलन पर उतारू हो गई हैं।

मेकअप के खिलाफ ये आंदोलन तब शुरू हुआ, जब दक्षिण कोरिया की महिलाएं एक-एक करके अपने सौंदर्य प्रसाधनों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर डालने लगीं। सौंदर्य प्रसाधनों को तोड़ते हुए महिलाओं द्वारा बनाया गया वीडियो सोशल मीडिया पर काफी चर्चित हुआ। वीडियो को देखकर ऐसा लगता है की जैसे किसी खूबसूरत कला का प्रदर्शन किया जा रहा हो।

लेकिन ये किसी कला का प्रदर्शन नहीं, बल्कि मेकअप के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर करने का विरोध प्रदर्शन है। दरअसल मी टू आंदोलन से प्रेरित होकर दक्षिण कोरिया की महिलाएं अपने देश में महिलाओं के लिए अनिवार्य मेकअप के परंपरागत पैमानों को चुनौती दे रही हैं। 

बता दें कि, दुनिया में सबसे अधिक कॉस्मेटिक सर्जरी दर दक्षिण कोरिया में है और सबसे बड़ा सौंदर्य प्रसाधनों का बाजार भी दक्षिण कोरिया को ही माना जाता है। पिछले वर्ष इस देश ने सौंदर्य बाजार के जरिये 13 बिलियन डॉलर की कमाई की थी।

इसके पीछे बड़ी वजह सिर्फ ये नहीं है कि दक्षिण कोरिया की महिलाएं मेकअप के परंपरागत पैमानों को तोड़ना चाहती हैं, बल्कि ये औरतें कसे हुए कपड़ों, कोरिया के मशहूर बाउल हेअरकट और चश्मों के खिलाफ भी हैं। महिलाओं के मुताबिक इन चीजों को त्यागने से वे प्रति महीने 100 डॉलर खर्च होने से बचा लेती हैं।अपनी छोटी सी आजादी के लिए आंदोलन करती महिलाओं को समर्थन कम, मगर गालियां और जान से मारने की धमकी जरूर मिली हैं। 

हालांकि मेकअप के खिलाफ इस आंदोलन का कई हस्तियों ने समर्थन किया है। 'गुड प्लेस' की अभिनेत्री जमीला जमील ने अपनी सोशल मीडिया साइट इंस्टाग्राम पर एक आंदोलन 'आई वेघ मूवमेंट (तुलनात्मक आंदोलन) की शुरुआत की है। इस आंदोलन का मकसद लोगों को ये समझाना है कि लोगों को उनकी विशेषताओं और प्रतिभा के दम पर तौलना चाहिए न कि उनके वजन पर तौला जाना चाहिए।

ये आंदोलन सीधे तौर पर 'बॉडी शेमिंग' पर निशाना साधता है।महिलाओं द्वारा शुरू किये गए इन छोटे-छोटे आंदोलनों का सीधा उद्देश्य ये है कि लोगों को अपनी विकृत सोच से बाहर आना होगा। 
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree